मंगलवार, मार्च 20, 2007

जो तुम आ जाते एक बार !


छायावादी कवियों से स्कूल के दिन में हम सब बहुत दूर भागते थे । एक तो उनकी रचनाएँ सर के ऊपर से गुजरती थीं और दूसरे इन कविताओं के भावार्थ रटने में सबके हाथ पैर फूल जाते थे । जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा सरीखे कवि हमारे मन में प्रेम रस की बजाए आतंक ज्यादा उत्पन्न करते थे । पर कितना फर्क आ गया है तब और अब में। आज उम्र की इस दलहीज पर इन्हीं कवियों की रचनाएँ मन को पुलकित करती हैं ।

महादेवी जी की इस रचना को ही लें --- उस प्यारे से आगुंतक के लिए प्रतीक्षारत व्याकुल मन से निकलती ये भावनाएँ हृदय को सहजता से छू लेती हैं।
आज इनका भावार्थ बताने के लिए मास्टर साहब के नोट्स देखने की जरूरत नहीं, बस दिल का दर्पण ही काफी है।

जो तुम आ जाते एक बार !


कितनी करुणा, कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
आँसू लेते वे पद
खार !

हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता ओठों का विषाद,
छा जाता जीवन में वसन्त
लुट जाता चिर संचित विराग

आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार !
Related Posts with Thumbnails

9 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

सही है। लेकिन चलो अब देर आये दुरुस्त आये।

Udan Tashtari on मार्च 20, 2007 ने कहा…

बिल्कुल सही फरमाया मनीष भाई. सब उम्र का तकाजा है.
-कविता पेश करने के लिये साधूवाद!!

archana on मार्च 21, 2007 ने कहा…

माना उम्र का तकाजा सही .एक और बात मेरे साथ थी.मेरी हिंदी की शिक्षिका छायावाद को ईश्वर के साथ जोड देतीं थीं.जो मुझे कभी भी समझ नहीं आता था.

Poonam Misra on मार्च 22, 2007 ने कहा…

मेरे लिये बहुत ही ह्र्दय स्पर्शी पक्तियां है.आजकल मैं ऐसी ही स्थिति से गुज़्रर रही हूँ.यह कविता मैंने विदेश में तैनात अपने पति को भेज दीं.

Manish Kumar on मार्च 23, 2007 ने कहा…

अनूप भाई :) :)

समीर जी शुक्रिया !

कांति दी बाप रे, यानि कनफ्यूजन और भी ज्यादा !

पूनम जी अरे वाह ! चलिए उम्मीद करता हूँ की आपकी भेजी हुई पंक्तियाँ अपना असर दिखायेंगी ।

Kim on मार्च 23, 2007 ने कहा…

mann prasann hogaya aapke blog ko pad kar...!!! amazinf collection of hindi literature !!!

rachana on मार्च 24, 2007 ने कहा…

// उस प्यारे से आगुंतक के लिए प्रतीक्षारत व्याकुल मन से निकलती ये भावनाएँ हृदय को सहजता से छू लेती हैं।
//
टिप्पणी मे बस यही कहना है!

Manish Kumar on मार्च 25, 2007 ने कहा…

किम स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर । तारीफ का शुक्रिया, आते रहें !

रचना जी लगता है मैंने आपके मुँह की बात छीन ली :)

A B Shrivastava on जून 04, 2011 ने कहा…

जो तुम आ जाते एक बार निःसंदेह महादेवी जी की यादगार कविता है और इन महान कवियों को इस ब्लॉग के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाना अपने आप में श्रेष्ठ कार्य है. कविता में एक संशोधन कर लें 'पद प्रखार' को कृपया 'पद पखार' कर लें. ऐसे ही अन्य कवियों को उद्घृत करते रहें पाठकों की दुआएं आपको मिलती रहेंगी .

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie