रविवार, जून 17, 2007

शिन चान नोहारा..कैसे बना सबका प्यारा !

मुझे नहीं लगता था कि पाँच साल का ये बच्चा मेरा कुछ बिगाड़ पाएगा, पर वास्तव में ऐसा हो नहीं सका है। अव्वल तो इसके आते ही अपने पुत्र को मैं टी.वी. बंद करने की हिदायत दे देता था। आखिर है भी तो ये इतना शरारती। जब देखो अपने माता पिता की नाक में दम कर देता है , अपने टीचरों को छकाता रहता है और यहाँ तक की सुंदर कन्याओं को देख उनकी ओर आँखें तरेरने लगता है। पर क्या मैं इतने शरारती बच्चों के कारनामों को अपलक निहारते अपने बालक को मना कर पा रहा हूँ। नहीं, क्यूँकि अपनी इन सारी खुराफातों के बाद भी शिन चान नोहारा हम सबके मन-मस्तिष्क में रच बस गया है।

जो लोग शिन चान कार्टून शो से परिचित नहीं है उनको बताना चाहूँगा कि ये जापानी कार्टून शो हंगामा टीवी पर आता है और छोटे-बड़े बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी काफी लोकप्रिय हो रहा है । परसों यानि १९ जून को ये भारत में अपने प्रसारण का एक साल पूरा कर लेगा। वैसे सबसे पहले आज से १५ साल पूर्व ये शो 'क्रेयन शिन चान ' के नाम से जापान के एक चैनल टीवी आशी से प्रसारित होना शुरु हुआ था। आज इसका प्रसारण भारत के आलावा उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका और यूरोप में भी सफलतापूर्वक हो रहा है।

शिन चान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस कार्टून श्रृंखला में एक पाँच साल के बच्चे की मासूमियत और उसके खुराफाती दिमाग को बखूबी चित्रित किया गया है। जब वो टीवी पर अपने माता-पिता से बातें कर रहा होता है तो दूसरे कमरे से सुनते हुए मुझे ऐसा लगता है कि अरे ये तो वही संवाद और हिदायते हैं जो हम रोज अपने कुलदीपक के सामने रटते रहते हैं। कार्टून में दिखाई जाने वाली ज्यादातर शरारतें इतनी मासूमियत भरी होती हैं कि होठों पर मुस्कुराहट आ ही जाती है।

शिन चान के परिवार के सभी सदस्यों को आप जरा नजदीक से जानना चाहते हैं तो यहाँ जाइए । इस जालपृष्ठ पर आपको इसकी शीर्षक धुन भी सुनने को मिलेगी। और १९ जून को इसकी वर्षगांठ के उपलक्ष में सारा दिन इसी श्रृंखला के अंश आप हंगामा टीवी पर देख ही सकते हैं। और अगर आप ऐसी जगह बैठे हों जहाँ इस चैनल का दूर-दूर तक अता-पता ना हो तो भी कोई वात नहीं। आखिर यू ट्यूब तो है ना...

तो चलिए आप भी देखिए ना 'शिन चान' की एक झलक !:)



वैसे शिन चान की कुछ शरारतें ऐसी भी हैं जिन्हें देखकर लगता है कि गर इसे संपादित कर दिया जाता तो बेहतर रहता। क्योंकि जिस बात को बुरा बताकर अपने बच्चों में हम सही गलत की भावना लाते हैं, उसे ही अपने पसंदीदा चरित्र को करता देख बच्चा उसे सही मानने के लिए जल्द तैयार नहीं होता। खैर ऐसे में मैं तो बस ये कह देता हूँ कि ये थोड़ा शैतान बच्चा है इसलिए ऐसा करता है। वैसे आप क्या करते/कहते ऐसे हालातों में ?
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11 टिप्पणियाँ:

सुजाता on जून 17, 2007 ने कहा…

हम भी शिनछैन नोहारा के मुरीद है‍ और हमार बेटा तो उसके पदछिह्नो‍ पर चल पडा है ।:)
लगता है वैसे यह कार्टून हम मात पिताओ‍ के लिए ही बनाया गया है हमे‍ सान्त्वना देने के लिए कि केवल आपका बच्चा हीअइसा शरारती नही है ।

Monika (Manya) on जून 17, 2007 ने कहा…

मुझे नहीं लगा था मनीश जी की आप भी कार्टून देखते होंगे.. शिन चान आपाका भी पसंदीदा केरेक्टर है और इस्का शायद ही कोई एपिसोड मैने ना देखा हो.. स्कूल से लेकर घर तक उसकी शरारतें.. टीचर को पटाना.. प्रंसिपल की नाक में दम करना.. जहां भी जाना वहां हंगामा करना.. औइर फ़िर भी प्यारा लगना यही तो खासियत है इस नन्हें शैतान की.. इसके बोलने का अंदाज .. की तो मैं फ़ैन हूं.. इसके बारे में लिखने का शुक्रिया... यहां भी हमारी पसंद मिल गयी .. :)

Sagar Chand Nahar on जून 17, 2007 ने कहा…

मनीष जी
कभी कभार मैं भी शिन चान को देख लेता हूँ और वाकई बहुत मजा आता है इसकी शरारतें देख कर।

puff and mish on जून 18, 2007 ने कहा…

थैंक्‍यू अंकल
हॉट पॉट शिन चैन दिखाने के लिए। मैं भी शिन चैन देखती हूँ।
शिन चैन को हैप्‍पी बर्थ डे

Yunus Khan on जून 18, 2007 ने कहा…

एक दिन किसी मित्र के पास बैठा था । टी0वी0 पर यही सीरीज़ चल रही थी । मैं तो दंग रह गया देखकर । तब पता चला कि शिनचान क्‍या है । बच्‍चे इसे बड़े चाव से देखते हैं । मैंने एक भी एपीसोड नहीं देखा । पर मित्र बड़ा दुखी है कि उसका बेटा एक भी एपीसोड नहीं छोड़ता । उसका कहना है कि हमने बहुत ही अनुशासित, नैतिक, मर्यादित और सीधे सादे बाल नायकों वाली कहानियां और कॉमिक्‍स पढ़ीं थीं पर ये तो उसका बिल्‍कुल उलट है । अगर मेरे बेटे ने ऐसा शुरू कर दिया तो क्‍या होगा । वैसे मैंने बच्‍चों को कुछ शरारतें शिन चान की तर्ज़ पर करते देखा है और फिर ये जवाब देते भी कि मम्‍मी आप मना क्‍यों करते हो शिनचान भी तो ऐसा करता है ।

Manish Kumar on जून 19, 2007 ने कहा…

सुजाता जी हा हा, ये भी खूब कही आपने ! कुछ असर तो पड़ना ही है, बच नहीं सकते इस मासूम प्राणी के प्रभाव से !

मान्या ज्यादा तो नहीं देखता पर अपने बालक से टीवी बंद कराते कराते एक दिन इसकी हरकतों पर नजर गई तो off बटन दबा ना सके और उसके बाद बालक की पार्टी में जा मिले।

सागर भाई बिलकुल सही कहा ! ये है ही मजेदार !

Manish Kumar on जून 19, 2007 ने कहा…

पफ एंड मिश प्यारे बच्चों, जब अंकल देखने लगे है तो आप तो देखते ही होगे। पर हाँ, इसके जेसी शैतानियाँ ना करना !

युनुस दिक्कत यही है। बच्चे स्वभावतः कॉपी करने लगते हैं। कुछ लोग तो बिलकुल बंद कर देते हैं। पर मुझसे ये हो नहीं पाया है।

Udan Tashtari on जून 20, 2007 ने कहा…

अब घर मेम कोई बच्चा नहीं है तो कार्टून के बारे में शून्य जानकारी हो गई है. फिर भी आपकी रोचक प्रस्तुति पसंद आई.

नारद नारद पोस्टों में खो गया था तो अब नजर पड़ी. देरी के लिये क्षमा मित्र.

Unknown on जून 21, 2007 ने कहा…

हे प्रभु! ये रोग आपको भी हो गया, घर में अपने भांजे को तो मैं डाँट सकती हूँ लेकिन अपने इन मित्रों का क्या करूँ, जिनका मै सम्मान भी बहुत करती हूँ | मेरी बड़ी ही खास सखी जिनके साथ मैं रोज लंच करती हूँ, मुझे लगता है बच्चों से अधिक तो उन्हे पसंद है ये कार्यक्रम और लंच में चटनी और सलाद के साथ एक आइटम ये भी होता है कि कल के चिन चेन मे मजेदार कया हुआ? अगर मेरे मित्रों मे चिन चेन का चाव इसी गति से बढ़ता रहा तो मुझे लगता है कि अपने दैनिक कार्यक्रमों मे मुझे जल्द ही इसे शामिल करना पड़ेगा....!

Dimple on जून 24, 2007 ने कहा…

aap cartoon bhi dekhte hain..ye sunkar toh mei heraan reh gayee..theek hai mei bhi dekhti hoon..hungama tv pe..aap keh rahe hain toh kuch acha hi hoga !!

Zyenab on जून 28, 2007 ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
 

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