मंगलवार, जून 26, 2007

दिल्ली के चिट्ठाकार बंधुओं के लिए सूचना !

हफ्ते भर बाहर था। वापस आया तो देखा कंम्पयूटर पर कुछ टाइप नहीं कर सकता। कम्पयूटर वायरस ने ब्लॉगिंग बंद करा दी है और तमाम Antivirus बेकार साबित हो रहे हैं। इसलिए चिट्ठा लिखने ओर पढ़ने का काम ठप्प है।

मैं कार्यालय के काम से २७‍-२९ तक दिल्ली में रहूँगा, संभवतः करोलबाग इलाके में। इससे पहले कानपुर और कोलकाता जाकर भी लोगों से मिल नहीं पाया। इस बार भी कितना समय मिल पाएगा मुझे मालूम नहीं। कोशिश करूंगा कि वहाँ आप में से जिससे संभव हो पाए मिल सकूँ। आप अपना दिल्ली का पता ठिकाना मुझे ई मेल कर सकते हैं या यहाँ प्रतिक्रिया दें।
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12 टिप्पणियाँ:

Pratik Pandey on जून 26, 2007 ने कहा…

मनीष भाई, कभी आगरा का भी रुख़ कीजिए।

शैलेश भारतवासी on जून 26, 2007 ने कहा…

मनीष जी,

मेरी बहुत ख़वाहिश आपसे मिलने की। जब भी आप फ़्री हों मुझे मेरे मोबाइल नं॰ 9873734046 पर फ़ोन करें। मैं वर्तमान में दिल्ली में ही हूँ।

Pramendra Pratap Singh on जून 26, 2007 ने कहा…

अच्‍छी बात है, आशा है कि आपसे विस्‍तृत बाते पढ़ने को मिलेगा।

कभी प्रयाग कि ओर भी रूख कीजिऐगा :)

संजय बेंगाणी on जून 26, 2007 ने कहा…

भई हमारे लिए दिल्ली तो अभी दूर है :) अहमदाबाद आते हो तो आपका स्वागत है.

राजीव रंजन प्रसाद on जून 26, 2007 ने कहा…

मेरा चलभाष नं है: 9311433178 आपका स्वागत है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Arun Arora on जून 26, 2007 ने कहा…

जब भी फ़ुरसत हो उंगलियो को हरकत दीजीये ९८९९०२२६८८ आपके मुंतजिर है हम,हर घडी हर पल

बेनामी ने कहा…

हमहो आपको ईमेलवा किए हैं, देख लयो। :)

Sajeev on जून 26, 2007 ने कहा…

manish it will great to meet you my no is 9871123997 if you found it not reachable just leave a massege in sms form

Udan Tashtari on जून 26, 2007 ने कहा…

सब ही बुला रहे हैं तो हम काहे को छूटें-कभी यहाँ भी आओ. :)

--वैसे ब्लॉगर मीट तो आपके रोचक अंदाज में पढ़ने का इन्तजार लग ही गया है.

Manish Kumar on जून 26, 2007 ने कहा…

shukriya aap sab ka maine aap sab ke no. note kar liye hain. Aur aap sabse phone par to juroor sampark karoonga. Main Karolbaag mein hotel florence mein rukoonga.

Zyenab on जून 28, 2007 ने कहा…

Manish ji...
Aap k is ashiyanay ki hum kin lafzon mai tareef karain?
Behad hasaas andaaz mai ...sari juziyaat aur zarooriyat ka khayal rakhtay huway..aap nay mukamal tor say bharpoor sajaya hai apnay is ghar ko..yahan ki ek alag nayi faza aur naya mahol dekh kar buhat acha laga... Koi apnay din k ghanton aur dil ki dharkanon ko jab kisi cheez k liye waqf karta hai ...tab hi ja kar ek aisa anmol ashiyan banta hai..humari janib say is khubsurat ghar ko sanwarnay k liye buhat buhat mubarak ho.. :) Aur dua hai k ye gulistan yun hi mehkta rahay...
waisay humay bhi aap mubarak baad dijiye...:p Itni sari hindi bhasha k lafzon mai "Post a comment" k askshar pehchaanay k liye Haha ;)

Manish Kumar on जुलाई 04, 2007 ने कहा…

shukriya Chutki lagta hai exams khatma ho gaye tumhare. :)Bahut Bahut shukriya yahan padharne ka aur haan u can still get some idea about the posts thru my roman blog

 

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