गुरुवार, जुलाई 19, 2007

जाने क्या चाहे मन... बावरा, अखियन मेरे सावन चला....

मेरे शहर में आषाढ़ की घटाओं का राज है। रोज़ ठीक कार्यालय जाते वक़्त ही, अपना रौद्र रूप दिखा कर वो मुझे भिंगो डालती हैं। पर इसमें नई बात क्या है? ये बारिश तो इस मौसम में आपको भी गीला कर ही रही होगी।

ऊपरवाले की बरखा तो खाली शरीर भिगोती है ... पर अगर दिल में उदासी के बादल उमड़े घुमड़ें तो पूरा मन भींग जाता है... परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं कि नहीं चाहते हुए भी आपको मन की पुकार को अनसुना कर देना पड़ता है... नतीजन दिल की ये उदासी दर्द का रूप ले लेती है ... और जब ये दर्द असहनीय हो जाता है तो आँसुओं का बाँध टूट सा जाता है...
मयूर पुरी ने सीधे साधे लफ़्जों में यही कोशिश की है अपने इस गीत में। मैंने परसों पहली बार इस गीत को सुना और यक़ीन मानिए ये किसी भी तरह मेरे ज़ेहन से उतर नहीं रहा।


इसका सारा श्रेय जाता है असम के युवा गायक जुबीन गर्ग को। जुबीन मेरे चिट्ठे के लिए नए नहीं है। पिछले साल उनका एक गीत मेरी गीतमाला में शामिल था। इस खूबसूरती से उन्होंने गीत के बोलों का मर्म पकड़ा है कि उनके साथ गुनगुनाते - गुनगुनाते गीत ख़त्म होने तक आँखें नम हो जाती हैं। मुखड़े के बाद का उनका आलाप गीत को एक शास्त्रीय रंग देता है। अतिश्योक्ति नही होगी अगर मैं ये कहूँ कि ये गीत सच ही मन को बावरा बना देता है।

प्रीतम ने अपनी चिरपरिचित शैली में पश्चिमी और पूर्वी वाद्य यंत्रों का समायोजन किया है। गीत के अंतरे के बीच-बीच में बजती पश्चिमी बीट्स के साथ सारंगी की मधुर तान कानों तक पहुंचती है तो मन उसका कोर-कोर ज़ज़्ब करने को उद्यत हो जाता है।

तो लीजिए सुनिये 2006 में रिलीज हुई प्यार के साइड एफेक्ट्स का ये गीत।
<bgsound src="JaaneKya.wma">



feelin’ blue,feelin’ blue,feelin’ blue…
my heart sayscan't be, can't be, true…
only…, can't be through, my heart says can't be, can't be, true

जाने क्या चाहे मन... बावरा..
जाने क्या चाहे मन... बावरा..
अखियन मेरे.. सावन चला
अखियन मेरे.. सावन चला
जाने क्या चाहे मन... बावरा....सावन चला

feelin’ blue,feelin’ blue,feelin’ blue…

सघन, अचल सराबोर होवे
सजन, असुवन में क्या जोर होवे

क्या जोर होवे...
अपने जिया पे...
मन तो मरा ये मनचला
जाने क्या चाहे
मन बावरा..

जाने क्या चाहे मन बावरा
अखियन मेरे.. सावन चला

पवन पुरवा में यूँ उड़ता जावे
बदरा चंदा से मन जुड़ता जाए
आवे हवा का...
झोंका फिर ऐसा..
टूटे पतंग की डोर सा

जाने क्या चाहे मन बावरा
अखियन मेरे.. सावन चला
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24 टिप्पणियाँ:

Yunus Khan on जुलाई 17, 2007 ने कहा…

ज़ूबिन पिछले कुछ सालों में हिंदी फिल्‍म संगीत की उपलब्धि बन गये हैं । जब ज़ूबिन का स्‍वर चढ़ता है तो दिल में हूक सी उठती है । मिट्टी जैसी सोंधी आवाज़ और साथ में पश्चिमी संगीत का स्‍पर्श । एक मंजा गायक । ज़ूबिन का गाया एक अनमोल गाना मैं जल्‍दी ही अपने ब्‍लॉग पर देने वाला हूं । मनीष आपकी ये बात अच्‍छी लगती है कि नये गानों के शोर में आप संगीत खोज ले आते हैं । और अपने अपने से लगते हैं । यही मेरा भी शग़ल है । गीतकारी में भी अच्‍छा है ये गीत ।

Unknown on जुलाई 17, 2007 ने कहा…

यूनुस भाई ने एकदम सही कहा, नये गानों में भी कुछ-कुछ तो बहुत ही बेहतरीन बन पडे हैं, जिसमे से ये भी एक है. जूबिन हों या कैलाश खेर इन सभी में समानता यही है कि इनकी आवाज देसी लगती है, मिट्टी की सुगन्ध वाली..

Satyendra Prasad Srivastava on जुलाई 17, 2007 ने कहा…

इतना अच्छा गाना सुनाने के लिए धन्यवाद

Udan Tashtari on जुलाई 17, 2007 ने कहा…

अच्छा लगा इस गीत को सुनना. आभार गीत सुनवाने का और रोचक जानकारी का.

अनुराग श्रीवास्तव on जुलाई 18, 2007 ने कहा…

आपके और यूनुस के लेखों में एक अजब सी मासूमियत और रोमांस है - जो दिल हो छू जाते हैं.

साधुवाद!

Manish Kumar on जुलाई 18, 2007 ने कहा…

यूनुस जुबीन काफ़ी जान डालते हैं अपनी अदाएगी में। शायद इसीलिए उनकी आवाज दिल तक असर करती है। जरूर सुनाईए वो गीत !

सुरेश जी सही कहा आपने।

सत्येंद्र भाई समीर जी आप को गीत पसंद आया जान कर खुशी हुई।

अनुराग अच्छा लगा जानकर। बस कोशिश रहती है कि जो भी लिखें पूरे मन से उसे व्यक्त करें।

तकदीर का फसाना on जुलाई 19, 2007 ने कहा…

जीवन की आपाधापी में कभी समय ही नहीं मिल पाया कि संगीत से नाता जोड़ सकूं। आज अचानक आप के साइट पर आ पंहुचा और बहुत ही सुन्‍दर गीत सुनने को मिला। आनन्‍द के यह पल हमेशा याद रहेगें - और आप ही हैं इसके लिए बधाई के पात्र। अब हमेशा आप की साइट पर विचरण करता रहूंगा।

Manish Kumar on जुलाई 19, 2007 ने कहा…

फ़साना जी जरूर विचरण कीजिए , मेरा सौभाग्य होगा !

Abhishek Sinha on जुलाई 20, 2007 ने कहा…

मनीष जी ,
बहुत दिनों से मैं तो इस गाने को खोज रहा था, धन्यवाद जो आपके इसके बारे में जल्दी से मुझे बता दिया, और सच में जब से सुना है , बार बार इसे ही सुनता जा रहा हूँ।

बेनामी ने कहा…

Hi,

great article! Can you please turn off autostart for the realaudio players. When I load your page, one or more players start playing songs at the same time. (for more fun try going to one of the labels: e.g. http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/search/label/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A8%20%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4
)

Cheers!
Amit

Monika (Manya) on जुलाई 24, 2007 ने कहा…

सिर्फ़ इतना कहूंगी.. Again one of my favourite song.. simply love it.. अंखियों में मेरे सावन चला...

Manish Kumar on जुलाई 24, 2007 ने कहा…

अभिषेक जी किधर हैं आजकल ना कुछ पढ़वा रहे है् ना कुछ सुनवा रहे हैं। संतोष हुआ जानकर कि आपकी खोज मेरे चिट्ठे पर आकर खत्म हुई।

अमित चक्रदेव स्वागत है भाई आपका। आपने जिस बात की ओर ध्यान दिलाया उसका आभारी हूँ। अब मैंने autostart बंद कर दिया है।

मान्या अच्छा लगता है आपसे बारहा ऍसा सुनकर।

journeycalledlife on जुलाई 27, 2007 ने कहा…

manishji! geet to behad pasand aya par ek baat par shayad kissi ne gaur kiya hai ya nahi pata nahi - par shayad hindi/urdu na maloom hone ki wajah se zubin shabdo ko wahan tod bathtein hain jahan nahi hona chahiye...aur pronunciation me bhi thoda bahut gadbad hain...ya pata nahi mujhe hi aisa laga ho!..but otherwise unki gayaki mujhe bahut hi pasand hai (shayad main kuch zyaada hi "indian idol" dekh rahi hoon!!!)

बेनामी ने कहा…

one of my favourite songs by zubeen. i belong to the same state he hails from and I know what an icon he is for us! Thanks a lot for loving this song by our Zubeen!

बेनामी ने कहा…

i don't agree to what smita says. Zubeen is a fluent singer and he sings like no other. I bet he will be the best singer in India in a couple of years time. just watch and see. Smita, plz don't write lines like that if u don't know about the person well. I think u neither know hindi nor urdu.

Manish Kumar on अगस्त 30, 2007 ने कहा…

स्मिता ऐसा मुझे नहीं लगा. हाँ आप जिस बात की ओर इशारा कर रहीं हैं वो कभी कभी संगीत निर्देशक की दी हुयी लय के साथ गाने पर होने लगता है और इस गाने की धुन कई जगह ऐसी है कि ऐसा जुबीं को करना पड़ा है.

Manish Kumar on अगस्त 30, 2007 ने कहा…

Edin ज़ुबीन कि गायिकी से जितना आप प्रभावित हैं उतना मैं भी हूँ और वो भविष्य में जितना ऊपर जायेंगे उतना ही अच्छा लगेगा. पर भाई अगर स्मिता जी की बात से आप इत्तेफाक नहीं रखते तो आप जरूर तर्क से उनसे असहमति जतायें पर संयम के साथ, अन्यथा आप की बात का वज़न कम होगा .

बेनामी ने कहा…

TOO GOOD a SONG !!

i think he uses both 'jane kya jane man' and 'jane kya chahe man'
please check

Thanks for the lyrics anyway Manish !!

Sarah on दिसंबर 25, 2007 ने कहा…

omg ! touching ! /// song ever //

nice work ..

www.sarahnarayan.wordpress.com

बेनामी ने कहा…

bahut bahut dhanyawad for the lyrics.

बेनामी ने कहा…

I've been looking for the lyrics to this song, and I finally found it here. Uske liye bahut bahut dhanyawaad. I appreciate the translations. While I understand hindi, urdu is beyond me.

I also like the intro you have written. The east-west mixture is what I like the most about this song. Thanks again.

Manish Kumar on अगस्त 06, 2008 ने कहा…

Thanks Achala for appreciating my efforts. Its really great fusion based composition by Preetam.

smita ने कहा…

Tazgi hai awaz me...very rightly commented..."shor me bhi sangeet dhoondh laye...

बेनामी ने कहा…

Wow nice song...Zubeen Garg my fvrt singer..

 

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