रविवार, जून 28, 2009

राग 'ख़माज' पर आधारित एक प्यारा नग्मा "मोरा सैयां मोसे बोले ना....."

'सा रे गा मा पा' जी टीवी का एक ऍसा कार्यक्रम है जिसके प्रतिभागी हर साल कुछ ऍसे गीत जुरूर चुनते हैं जिसमें उनकी गायन प्रतिभा निखरकर आ सके। अभी पिछले हफ्ते की बात है, पीसी के सामने बैठकर कीबोर्ड पर उंगलियाँ घिस रहा था कि बगल के कमरे से इस गीत का मुखड़ा सुना। दौड़ कर गया तो देखा तो दुबई से आए गायक 'अमानत अली' इस गीत को बड़ी संजीदगी से गा रहे हैं। गाना तो खत्म हो गया पर गीत का ये जुमला "मोरा सैयां मोसे बोले ना....." मन में रच-बस गया। मन ही मन अपने को कोसा कि ये गीत अगर इतना लोकप्रिय है, कि दिया मिर्जा , जी टीवी के उस शो में आने के पहले उसे अपनी गाड़ी में सुन रहीं थीं तो मैं अब तक इसे क्यूँ नहीं सुन पाया।



अंतरजाल पर खोज के बाद पता चला कि ये किसी फिल्म का गीत नहीं बल्कि पाकिस्तान के म्यूजिक बैंड फ्यूजन की एलबम 'सागर' का एक ट्रैक है। ये बैंड शफकत अमानत अली खाँ (गायन), इमरान मोमिन ( कीबोर्ड ) और शालुम जेवियर( गिटॉर) का सम्मिलित प्रयास है। इस गीत की खासियत ये है कि इस गीत की बंदिश राग ख़माज पर आधारित है और शफ़कत ने इसे गाया भी बेहद खूबसूरती से है। अगर शफकत अमानत अली खाँ आपके लिए नया नाम हो तो ये बता देना जरूरी होगा कि ये वही शफ़कत है जिनके गाए 'कभी अलविदा ना कहना' के गीत मितवा... पर सारा देश झूम उठा था। पटियाला घराने से जुड़े शफ़कत से जब ये पूछा गया कि ठेठ शास्त्रीय गायन को छोड़ कर उन्हें इस तरह का एलबम करने की क्या सूझी तो उनका जवाब था कि

"शास्त्रीय संगीत में थोड़ी मीठी चाशनी लगा हम आज के युवाओं को परोस रहे हैं। आज हमारे कार्यक्रमों में युवा आते हैं और कहते हैं कि 'ख़माज' गाईए। उनमें से अधिकतर को इस राग के बारे में पता नहीं होता। पर ये भी जरूर होगा कि उनमें से कईयों में इसे सीखने की रुचि जाग्रत होगी।"

इस गीत के बोल बिलकुल सीधे सरल हैं...अपने पिया के विरह वियोग में डूबी नायिका की करुण पुकार। इस सलीके से शफ़कत ने उन भावनाओं को अपने सुर के उतार चढ़ाव के साथ समाहित किया है कि इसे सुनते सुनते मन खोने सा लगता है ..कुछ क्षणों के लिए अपने चारों ओर की दुनिया बेमानी सी लगने लगती हैं...सच्ची लगती हैं तो बस इस गीत की भावनाएँ ..

सावन बीतो जाए पीहरवा
मन मेरा घबड़ाए
ऍसो गए परदेश पिया तुम
चैन हमें नही आए
मोरा सैयां मोसे बोले ना....
मैं लाख जतन कर हारी
लाख जतन कर हार रही
मोरा सैयां मोसे बोले ना....

तू जो नहीं तो ऍसे पिया हम
जैसे सूना आंगना
नैन तेरी राह निहारें
नैनों को तरसाओ ना
मोरा सैयां मोसे बोले ना....
मैं लाख जतन कर हारी..
लाख जतन कर हार रही
मोरा सैयां मोसे बोले ना....

प्यार तुम्हें कितना करते हैं
तुम ये समझ नहीं पाओगे
जब हम ना होंगे तो पीहरवा
बोलो क्या तब आओगे ?
मोरा सैयां मोसे बोले ना....
मैं लाख जतन कर हारी
लाख जतन कर हार रही
मोरा सैयां मोसे बोले ना....


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26 टिप्पणियाँ:

Vikash on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

आह! ये मेरा प्रिय गीत है। बहुत बहुत धन्यवाद!

Vikash on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

I've all songs from this album. All are beautiful. there is one song based on 'malhar' also. :)

बेनामी ने कहा…

बहुत सुना है मनीष भाई ये गीत...खूब अच्छा लगता है।

एक गुजारिश है यार। आपका चिट्ठा खोलते ही गाना बजने लगता है और ऐसी जगह जहां गाना बजाना उचित नही हो, बडी अप्रिय सी स्थिति हो जाती है (मसलन आफिस)...ऐसी डिफाल्ट सेटिंग करें कि जिसे गाना सुनना हो वो प्ले दबा कर सुन ले...बाकि ऐसे ही निकल लें...

mamta on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

सा,रे,गा,मा,पा,मे तो हम नही सुन पाए थे पर आज यहां पर सुन लिया।

Laxmi on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

आपके चिटटठे पर पहली बार आया हूँ। बहुत सुन्दर गीत की प्रस्तुति के लिये धन्यवाद।

कंचन सिंह चौहान on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

nchआवाज सुनते ही मन ने पूँछा कि "अरे! ये आवाज बाबूजी की याद क्यों दिला रही है और गाना ना सुना हो कर भी सुना सुना सा क्यों लग रहा है" और दिमाग पर ज़ोर देने पर याद आया कि हमारी भोजपुरी के बहुत से लोकगीत इस राग पर आधारित हैं और बाबू जी फगुआ, कजरी, चैता खूब गाया करते थे, आवाज़ भी उनकी थोड़ी इसी तरह की थी....! बाबू जी तो १७ साल पहले चले गए लेकिन उनके वो गाने अभी भी रिकॉर्ड हैं।
अभी हाल ही में आई भोजपुरी फिल्म गंगा (जिसमें अमिताभ जी ने भी अभिनय किया है) में मनोज तिवारी द्वारा गाये गये एक गीत-रूठे सजन को जगाए हो रामा कोयल बड़ी पापिन का मुखड़ा भी इसी तरह का है!
सुनाने के लिये धन्यवाद

Udan Tashtari on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

उस दिन सा रे गा मा पर हमने भी पहली बार सुना. बहुत बढ़िया गीत है. और आपको पसंद आये वो तो खास होगा ही. :)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` on जुलाई 26, 2007 ने कहा…

आपने बहुत बढिया गीत सुनवाया , मनीष भाई --
रागोँ की बँदिश समझनेवाली आपकी पारखी नज़रोँने,नगीना खोज ही लिया -
शुभकामना सहित,
--- लावण्या

sanjay patel on जुलाई 27, 2007 ने कहा…

मनीषभाई..एक विचित्र क़िस्म का बैरागी भाव है..हालाँकि खमाज में प्रकृति और श्रॄंगार की बंदिशें बहुत ही भली और सलोनी लगती हैं लेकिन यहाँ भी वह विलक्षण बन पड़ी है.ऐसी ही कुछ कोशिशों से संगीत बचा हुआ है.

Monika (Manya) on जुलाई 28, 2007 ने कहा…

बहुत अच्छा लगा राग ' खमाज क ये गीत' अलग और बहुत सुंदर.. बोल भी बेहद अच्छे हैं..ध्न्य्वाद आपका.

silbil on जुलाई 30, 2007 ने कहा…

aapne to mere man ki baat sun li...main soch rahi thi teen hafte se ki yeh jo do saal se mera favourite gaana hai is ke baare mein kis se pooch sakti hoon...
is ka picturisation bhi bahut bahut accha hai btw
anyway, please mujhe koi 'peeharwa' ka matlab bata dijiye...

Manish Kumar on जुलाई 30, 2007 ने कहा…

समीर जी, लावण्या जी, विकास और मान्या गीत पसंद करने के लिए आप सब का शुक्रिया !

ममता जी क्या आप सारेगामा हमेशा नहीं देंखतीं?

संजय भाई बिल्कुल सही कहा आपने !

गुप्ता जी आपका कहना सही नहीं है।
यहाँ देखें :)

Manish Kumar on जुलाई 30, 2007 ने कहा…

नितिन भाई समस्या क्या है मैं नहीं समझ पा रहा हूँ। मैं जब अपना ब्लॉग खोलता हूँ तो मुझे कोई गीत सुनाई नहीं पड़ता। मैंने सारे embeded गीतों का autostart option off कर रखा है। फिर भी अगर आपको कोई गीत अपने आप सुनाई पर रहा है तो मुझे उस गीत का मुखड़ा बतायें। मैं फिर से check कर लेता हूँ।

Manish Kumar on जुलाई 30, 2007 ने कहा…

कंचन आपके पिताजी का गायन कुछ इसी तरह का था ..तब तो उन्हें सुनना, आपके घर में सबको बेहद प्रिय रहा करता होगा। लोकगीत, वास्तव में हमें अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़े रखते हैं। शायद इसीलिए वक़्त के साथ भी उनमें हम अपनी मिट्टी की खुशबू हमेशा पाते हैं।

journeycalledlife on अगस्त 03, 2007 ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

absolute favourite .. i first heard it many years after i released infact. Aankhon Ke Saagar from the same album is wow too - have u heard it?

Dimple on अगस्त 06, 2007 ने कहा…

Haan ye gaana bahut hi pyara hai..Fuzon ke baaki gaane " Ankhon Ke Saagar" aur "Tere Bina" bhi kaafi ache hain..agar kabhi waqt mile toh aap unhe bhi sunyega..

आलोक श्रीवास्तव on अक्टूबर 04, 2007 ने कहा…

this really a great song i ever heard.this song gives me a perfect relaxation.

Manish Kumar on अक्टूबर 07, 2007 ने कहा…

शुक्रिया सुपर्णा हाँ आखों का सागर मैंने सुना है।

डिंपल हाँ, पूरा एलबम ही कर्णप्रिय है।

आलोक सही कहा मन रम सा जाता है इस गीत में।

बेनामी ने कहा…

this is one of the greatest song that i have ever heard.Thank you fusion band for such a nice composition.

I love all members of fusion band.

बेनामी ने कहा…

I discovered this song when watching the movie Hyderabad Blues2!
dunno about raags and all but this song immediately touched my heart.
It comes just at the right situation in the movie too and is picturised to perfection..

VIMAL VERMA on जून 28, 2009 ने कहा…

जवाब नहीं आपका,कयामत ढाते है जब आप इतने तफ़्सील से लिखते हैं,आपके इस बेहतर पोस्ट के लिये साधुवाद मित्र।मज़ा आ गया सुनकर, "मोरा संइयां मोसे बोले ना" अपने आप बजने लगता है उसे autostart option off पर रखियेगा तो और गानों को सुनने में परेशानी नहीं होगी।

Udan Tashtari on जून 28, 2009 ने कहा…

बड़ी पुरानी पोस्ट निकल कर सामने आई. :)

Yunus Khan on जून 28, 2009 ने कहा…

आह । आनंदम आनंदम । चुपके से इस गाने को चुरा लिया है । बंबईया बारिश और ये गीत । बस अब क्‍या कहें ।

Manish Kumar on जून 28, 2009 ने कहा…

समीर जी दरअसल कल फिर चैनल जी पर आने वाले कार्यक्रम लिटिल चैम्पस पर इसे सुना तो अपनी इस पुरानी पोस्ट की याद आ गई। देखा मौसम भी है और मौका भी तो इसे लगा दिया....

विमल जी मैं हमेशा autostart option off रखता हूँ फिर भी बहुत लोगों के PC पर गीत अपने आप बजने लगता है। ऍसा मेरे पीसी पर नहीं होता और इस समस्या का हल नहीं मिल पाने की वज़ह से मैं अब मुखपृष्ठ पर एक पोस्ट ही रखता हूँ। पोस्ट आपको पसंद आई जान कर खुशी हुई.


यूनुस खुशी हुई जानकर की आपकी तरफ मानसून की शुरुआत तो हुई

सागर नाहर on जून 28, 2009 ने कहा…

बहुत ही सुन्दर गीत है, कई बार सुना है।लगता है- बार बार सुनने को मन करता है।
नितिनजी से सहमत हूं, ये प्लेयर ओटो प्ले होता है, जो कभी कभार परेशानी करता है।

 

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