जैसे-जैसे ये श्रृंखला चल रही है आप सब अपनी पसंद के गीत भी मुझे बता रहे हैं। मैंने सोचा कि इससे पहले कि ये फेरहिस्त ज्यादा लंबी हो जाए, किशोर की कहानी को आगे बढ़ाने से पहले इन गीतों को आपको सुनाता चलूँ। दरअसल इतने मँजे हुए कलाकार के दस गीतों को चुनना समुद्र की गहराई नापने के बराबर है। आपने जिन गीतों का जिक्र किया वो मेरे भी प्रिय रहे हैं पर मैं उन्हें पहले दस की सूची में समेटने में असमर्थ रहा।
तो आइए आज की शुरुआत करें आलोक मलिक जी की पसंद 'मेरे अपने' के इस गीत से जिसकी धुन बनाई थी सलिल दा ने और लिखा था गुलज़ार नें। अब गुलज़ार का जिक्र हो और आँख, ख्वाब और नींद जैसे लफ्ज ना आएँ ऐसा हो सकता है भला ! किशोर ने अपने ज़िगर का सारा दर्द अपने गायन में उड़ेल सा दिया है। जिंदगी में अकेलेपन का अहसास कितनी भयावहता के साथ आपको तोड़ सकता है, ये इस गीत को सुनकर आप महसूस कर सकते हैं।
आँखों में नींद न होती
आंसू ही तैरते रहते
ख़्वाबों में जागते हम रात भर
कोई तो ग़म अपनाता
कोई तो साथी होता
कोई होता जिसको अपना...
कोई होता जिसको अपना
हम अपना कह लेते यारों
पास नहीं तो दूर ही होता
लेकिन कोई मेरा अपना
इस गीत को सुनना चाहें तो यहाँ क्लिक करें अन्यथा विनोद खन्ना पर फिल्माए गीत का आनंद आप यहाँ देख कर उठा सकते हैं।
अब सुनिए हैदराबाद की अन्नपूर्णा जी की पसंद फिल्म 'जहरीला इंसान' से। काफी मुलायमित से गाया है मजरूह के लिखे इस गीत को किशोर ने। पंचम ने इस गीत में धुन भी कमाल की दी थी। अभी हाल में पंचम दा के गीतों का इस्तेमाल कर एक फिल्म बनी थी ..दिल विल प्यार व्यार ! उसमें भी इसे रखा गया था।
O Hansini - Zehree... |
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहां उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगाकर कहां उड़ चली
देर से लहरों में कमल सँभाले हुए मन का
जीवन ताल में भटक रहा रे तेरा हंसा
मजरूह का लिखे एक और गीत को सुनना चाहा था नीरज रोहिल्ला और समीर जी ने ! अब किशोर के रूमानी गीतों में "रात कली एक ख्वाब में आयी" अव्वल नंबर पर आता है। कैरोके तो मेरे बस का नहीं भाई तो सिर्फ गुनगुना भर रहा हूँ
raat kali.mp3 |
पूरा गीत यहाँ से सुनें या फिर देख ही लें
ममता जी ने फिल्म 'दूर गगन की छाँव' से "आ चल के तुझे मैं ले के चलूँ .." सुनवाने की इच्छा ज़ाहिर की थी। गौरतलब है कि निर्देशन के आलावा इस फिल्म का संगीत और बोल भी किशोर कुमार ने ही दिए थे। सहज शब्दों में इतने प्यारे बोल लिखना किशोर की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है ...
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो ..
बस प्यार ही प्यार पले
आ चल के तुझे मैं ले के चलूँ
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
तो लीजिए ममता जी सुनिए अपना पसंदीदा नग्मा
Aa Chal Ke Tujhe M... |
अब वो गीत जो कि मेरी दस की लिस्ट में शामिल होते होते रह गया। दरअसल 'मिली' के सारे गीत मुझे बेहद पसंद हैं। इस फिल्म में उदासी का पुट काफी ज्यादा है और फिल्म के हर इक नग्मे में ये परिलक्षित भी होता है। दुख की बात ये भी रही की महान संगीतकार एस. डी. बर्मन की बनाई आखिरी धुन बड़ी सूनी सूनी है... इसी फिल्म से है। इस गीत की धुन बनाने के बाद बर्मन दा कोमा में चले गए। इस फिल्म के गीत योगेश ने लिखे हैं और सारे गीत दिल को छू लेते हैं। अब इसी गीत को लें जिसे सुनना चाहा है लखनऊ की कंचन चौहान ने!इस गीत का ये अंतरा मुझे बेहद मर्मस्पर्शी लगता है।
जब मैं रातों को तारे गिनता हूँ
और तेरे कदमों की आहट सुनता हूँ
लगे मुझे हर तारा तेरा दरपन
आए तुम याद मुझे ...
हर पल मन मेरा मुझसे कहता है
जिसकी धुन में तू खोया रहता है
भर दे फूलों से उसका दामन
आए तुम याद मुझे ...
आए तुम याद मुझे
गाने लगी हर धड़कन
खुशबू लाई पवन, महका चंदन....
जया और अमिताभ बच्चन पर फिल्माए इस गीत को यहाँ देखें
तो ये थी आपकी फर्माइश के कुछ गीत..शीघ्र लौटूँगा इस श्रृंखला के अगले गीतों के साथ....
8 टिप्पणियाँ:
सुंदर!
बहुत खूबसूरत नग्मे सुनवाये आपने,
आजकल ब्लाग जगत पर संगीत के बारे में खूब पढने/सुनने को मिल रहा है । आप अपनी श्रॄंखला जारी रखिये ।
अपनी आवाज में "रात कली एक ख्वाब में आयी" सुनवाने के लिये धन्यवाद ।
दूर का राही का गीत 'पंथी हूँ मैं उस पथ का ,अन्त नहीं जिसका'। एक रवीन्द्र संगीत के शब्द (अनुवाद) और धुन पर है। सुनवा दें।
मनीष भाई
बहुत बढ़िया गाने सुनवा रहे हैं , लगे हाथ अगर मिल जाये तो, मरने कि दुवायें क्यूं मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे... किशोरदा का पहला गाना सुनवा दीजिये।
सार्थक प्रयास मजा आगया भाई…।
मेरी फरमाईस है…
कोई रोको न दिवानो को प्रियतमा फिल्म से… अगली कड़ी में इंतजार रहेगा।
तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.
--बहुत सही....
अरे! मेरी पसंद भी सुना दी गई और मुझे पता भी नही चला!....शुक्रिया शुक्रिया !
अफलातून जीं , दिव्यभ और सागर भाई आप सब की पसंद नोट कर ली गई है इसी पोस्ट में एक साथ सम्मिलित करने का प्रयास करूँगा.
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