जैसा कि पिछले वीडियो में लीना जी ने कहा कि किशोर कहते थे कि मरने के बाद भी लोग मेरे बारे में बातें करेंगे। और देखिए अपने मरने के बीस सालों के बाद भी वो हमारी यादों में अजर अमर हैं बहुत कुछ खामोशी फिल्म में उनके गाए हुए इस गीत की तरह जो मेरी इस श्रृंखला का प्रथम पायदान का गीत है।
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसीं में इक, हसीन सा सवाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूँ लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी ...
मेरा ख़याल हैं अभी, झुकी हुई निगाह में
खुली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है
वो यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
लीजिए सुनिए किशोर की आवाज़ में ये गीत
खामोशी फिल्म में ये गीत राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र और वहीदा रहमान पर बेहद खूबसूरती से फिल्माया गया था।
ये तो थे मेरी पसंद के दस गीत पर बिना ये बताए कि किशोर दा को अपने श्रेष्ठ गीत कौन से लगते थे, ये श्रृंखला अधूरी रह जाएगी
विधाता ने कितने ही मोहक रंगों को समाहित कर ये प्रकृति बनाई। भोर से अर्धरात्रि तक फिज़ा के कितने रूप आते हैं और अपनी उपस्थिति से हमारा मन मोह लेते हैं। ऍसा ही एक रूप है शाम का जिससे बचपन से ही मेंने सबसे ज्यादा प्रीति कर ली है। जीवन के कितने यादगार पल इसी बेला में घटित हुए हैं और यही वज़ह हे कि मेरे चिट्ठे के नाम में भी शाम का जिक़्र है। फिर आप ही बताइए कि मेरा सर्वाधिक प्रिय गीत शाम से जुदा कैसे हो सकता है ?
यूँ तो हेमंत दा के संगीत और मेरे प्रिय गीतकार गुलज़ार के अद्भुत संगम से बनी खामोशी के सारे गीत लाजवाब हैं। पर बात अगर किशोर दा की हो तो ये गीत मेरे ज़ेहन में सबसे पहले उभरता है। इस गीत के उदास उदास बोल और धुन का ठहराव मन में यूँ चिपकता है कि लगता है कि इसमें अपने ही दर्द की प्रतिध्वनि तो नहीं। किशोर की बेमिसाल गायकी आपको उस अहसास से गीत सुनने के बाद भी काफी देर तक निकलने नहीं देती।
हर बार की तरह इसे गुनगुनाने का मेरा प्रयास...wo shaam.mp3 |
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसीं में इक, हसीन सा सवाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूँ लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी ...
मेरा ख़याल हैं अभी, झुकी हुई निगाह में
खुली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है
वो यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
लीजिए सुनिए किशोर की आवाज़ में ये गीत
खामोशी फिल्म में ये गीत राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र और वहीदा रहमान पर बेहद खूबसूरती से फिल्माया गया था।
ये तो थे मेरी पसंद के दस गीत पर बिना ये बताए कि किशोर दा को अपने श्रेष्ठ गीत कौन से लगते थे, ये श्रृंखला अधूरी रह जाएगी
- दुखी मन मेरे..., 'फंटूश' से
- गमग जगमग करता निकला......,'रिमझिम' से
- हुस्न भी है उदास उदास...., 'फ़रेब' से
- चिंगारी कोई भड़के..., 'अमरप्रेम' से
- मेरे नैना सावन भादो....., 'महबूबा' से
- कोई हम दम ना रहा...., 'झुमरू' से
- मेरे महबूब क़यामत होगी... , 'मिस्टर X इन बॉम्बे से'
- कोई होता जिसको अपना...., 'मेरे अपने' से
- वो शाम कुछ अज़ीब है...., 'खामोशी' से
- बड़ी सूनी सूनी है...., 'मिली' से
नौ भागों की इस श्रृंखला में मैंने किशोर के जीवन के अधिक से अधिक पहलुओं को आपके सामने लाने की कोशिश की है। मेरे इस प्रयास में अगर कोई तथ्यात्मक त्रुटि रह गई हो तो जरूर अवगत कराईएगा। जैसा कि मेंने पहले भी कहा हे कि ये एक महान कलाकार के प्रति, जिसने संगीत की ओर मुझे उन्मुख कराया, मेरी एक छोटी सी श्रृद्धांजलि है। आशा करता हूँ मेरा ये प्रयास आप सबको पसंद आया होगा।
अब इससे पहले मैं ये श्रृंखला समाप्त करूँ ..एक नज़र उन संदर्भों पर जिनके बिना इन लेखों को इस रूप में लाना संभव नहीं था।
References (संदर्भ):
- Kishore Kumar: A Definitive Biography by Kishore Valicha
- A melancholy but life-long prankster by Kuldeep Dhiman, Tribune
- Interview of Kishore Kumar with Pritish Nandy in the April 28, 1985 issue of Illustrated Weekly of India.
- Remembering RD by Raju Bharatan
- One evening with Kishore Kumar : India FM.com
- The Mystery and Mystique of Madhubala” by Mohan Deep , Magna Publishing Co. Ltd.
- Repertoire unlimited by Raju Bharatan
- Madhubala in Wikipedia
- Gulzar remembers R. D. Burman
- Asha on Kishore : Musical Nirvana.com
- Ruma Guha Thakurta
- Hamaraforums
- अक्षरमाला के गीतों की किताब
- The Versatile Genius : Downmemorylane.com
इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
- यादें किशोर दा कीः जिन्होंने मुझे गुनगुनाना सिखाया..दुनिया ओ दुनिया
- यादें किशोर दा कीः पचास और सत्तर के बीच का वो कठिन दौर... कुछ तो लोग कहेंगे
- यादें किशोर दा कीः सत्तर का मधुर संगीत. ...मेरा जीवन कोरा कागज़
- यादें किशोर दा की: कुछ दिलचस्प किस्से उनकी अजीबोगरीब शख्सियत के !.. एक चतुर नार बड़ी होशियार
- यादें किशोर दा कीः पंचम, गुलज़ार और किशोर क्या बात है ! लगता है 'फिर वही रात है'
- यादें किशोर दा की : किशोर के सहगायक और उनके युगल गीत...कभी कभी सपना लगता है
- यादें किशोर दा की : ये दर्द भरा अफ़साना, सुन ले अनजान ज़माना
- यादें किशोर दा की : क्या था उनका असली रूप साथियों एवम् पत्नी लीना चंद्रावरकर की नज़र में
- यादें किशोर दा की: वो कल भी पास-पास थे, वो आज भी करीब हैं ..समापन किश्त
12 टिप्पणियाँ:
वाह भाई!! बहुत ही बेहतरीन श्रृंखला रही, पुर्ण किशोरमयी कर गयी. पूरी की पूरी सहेज कर रखने लायक है.
आपका बहुत आभार किशोर कुमार पर इतनी सारी जानकारी और उनके गीत गुनगुनाने का.
पूरा ग्रंथ ही छाप दिए हुज़ूर.. एक बात बताओ.. गीत संगीत में इतनी जानकारी रखते हो. तो गुनगुनाते भी होगे.. कभी पॉडकास्ट भी करो भैये.
बहरहाल, जीवनी पढ़ रहा हूं और कई रोचक प्रसंग, अनछुए पहलू, बिसरे गीतों का उल्लेख मिला.. जिसे प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद
मनीश :
इतनी सुन्दर जानकारी के लिये धन्यवाद ।
हाँ एक बात से सहमत नहीं हूं , किशोर दा के १० प्रिय गीतों की सूची का नाम ’१० प्रिय उदास गीत" होना चाहिये था ।
किशोर कुमार की बात हो और ’एक लड़की भीगी भागी सी" या ’इना मीना ढीका’, रूप तेरा मस्ताना’, ’ज़िन्दगी इक सफ़र है सुहाना’ का ज़िक्र न हो !!!!
हाँ ये माना कि १० गीतों का चयन करना बड़ा मुश्किल है ........सब की अपनी अपनी पसन्द होगी ....
स्नेह ..
आप द्वारा पहले पायदान हेतु चुना गया खामोशी फिल्म का यह गीत मेरी दृष्टि से भी सर्वथा योग्य है इस पायदान के ! बहुत अच्छी लगी आपकी श्रृंखला और इसी बहाने आप की आवाज़ से रूबरू होने का मौका भी मिल गया !
बहुत बहुत धन्यवाद!
देखकर मन गदगद हो गया ।
इस संग्रह को और थोड़ा सजाकर एक जगह पेश करें तो एक अदभुत संदर्भ पेज तैयार हो जाएगा ।
aaha! itni hindi..kya baat hai!!
Lajawaab!!!!!
समीर भाई सराहने का शुक्रिया !
नीरज भाई आप भी कमाल करते हैं. इस पूरी श्रंखला में गुनगुनाता ही रहा हूँ और उसे रेकॉर्ड कर आपके सामने पेश भी किया है पर शायद आपने ध्यान से पोस्ट को नहीं देखा. देख लेजिये हुज़ूर बाकी सुन कर हमें गलियाँ मत देने लग्न :)
अनूप जीं आपने अगर मेरी इस श्रंखला की पहली पोस्ट पढी होती तो शायद आप ये टिप्पणी न करते . मैंने शुरुआत में ही गीतों को चयनित करने के बारे में लिखा था....
"...किशोर दा कि ख़ुशमिज़ाज गायिकी से तो हम सभी वाकिफ़ हैं। यूडलिंग के साथ गाए उन गीतों के साथ होता हूँ, तो मन हल्का-हल्का सा लगने लगता है। पर मैंने इन दस गीतों में ज्यादातर वैसे गीतों को चुना है जिनमें एक उदासी का पुट है।
वैसे तो जिंदग़ी खुशी और मायूसी का संगम है पर खुशी तो सब के साथ बँटती रहती है, रह गई उदासी तो वो दिल के किसी कोने में मुंह छुपाए बैठी रहती है। और कभी एकांत के पलों में आप दिल के क़रीब वक़्त गुजारने जाते हैं तो इसी उदासी से रूबरू हो बैठते हैं।..........."
तो आपने सही महसूस किया की ये उदासी भरे नग्मे थे. कभी उनके मस्ती भरे नगमों का भी जिक्र अलग से करूंगा. और हाँ अंत में जो दस गनी की लिस्ट इस पोस्ट में है वो किशोर दा की अपने interview में दी हुयी लिस्ट है.
कंचन अच्छा लगा जानकर की इस बारे में हमारे विचार मिलते जुलते हैं.
Deepanjali आमंत्रण का शुक्रिया !
प्रेम पीयूष आपके सुझाव को फुर्सत मिलते ही अमली जामा पहनाऊंगा.
ज्योति स्वागत है यहाँ आपका. आती रहें .
lovely series, really appreciate it :) sorry ive not been able to read n comment regularly!
my list would definetly have 'Raah pe rehte hain' (Namkeen).. am terribly fond of the song.
at some other point u had mentioned how much u love Woh Shaam Kuch Ajeeb Thi, was waiting to see it in the list
शुक्रिया सुपर्णा..जानकर खुशी हुई कि तुम्हें इस सिलसिले में मेरा ये प्रयास पसंद आया।
he was an immortal singer.his range of singing was very broad.he sang all type of songs.he lives in our heart and would be live in heart forever forever..............
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