मंगलवार, अक्तूबर 09, 2007

'सा रे गा मा पा' के धुरंधर राजा हसन, अनीक धर और अमानत अली की बेमिसाल गायिकी...

टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम मैं नियमित रूप से नहीं देखता। पर 'सा रे गा मा पा' एक ऍसा कार्यक्रम है जिसे छोड़ पाना मेरे लिए संभव नहीं होता। हालांकि जब तब टी. आर. पी. झटकने के लिए इन कार्यक्रमों पर होने वाली नौटंकियाँ मन को व्यथित करती हैं, पर मन का विषाद इन नए प्रतिभावान युवाओं को इतने सुरीले अंदाज में गाते हुए देख कब धुल जाता हे ये पता ही नहीं चलता। जब ये बच्चे पंडित जसराज और जगजीत सिंह जैसी महान सांगीतिक विभूतियों से आशीर्वाद पाते हैं तो मेरा मन भीतर तक पुलकित हो जाता है और ये आस्था और घर कर जाती है कि आज की नई पीढ़ी भी संगीत के प्रति रुचि और समर्पण रखती है और इस विधा में अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर अपनी पहचान बनाना चाहती है।

पिछले दो महिनों से 'सा रे गा मा पा' के प्रथम पाँच प्रतिभागियों ने अच्छे संगीत के माध्यम से मुझे जो खुशी दी है, उसे बयाँ करना मेरे लिए मुश्किल है। आज की मेरी ये प्रविष्टि 'सा रे गा मा पा' के इन प्रर्तिभागियों को समर्पित है जिनकी गायिकी से मैं बेहद प्रभावित हुआ हूँ। तो शुरुवात सा रे गा मा पा के इन तीन महारथियों से जिनके बीच की खिताबी जंगका निर्णायक फ़ैसला १३ अक्टूबर को होना है....

राजा हसन : २६ साल के राजा हसन बीकानेर, राजस्थान से आते हैं। कई दिनों से मुंबई में संगीत में अपना कैरियर बनाने की कोशिश कर रहे थे। राजा को संगीत विरासत में मिला है। सात साल की आयु से ही उन्होंने शास्त्रीय संगीत सीखना शुरु किया। जब जब राजा किसी राग पर आधारित या सूफियाना गीत चुनते हैं, उन्हें सुनने का आनंद अद्भुत होता है। उनकी आवाज़ में बुलंदी है, सुरों के उतार चढ़ाव में अच्छी पकड़ है। साथ ही दर्शकों को अपने व्यक्तित्व और हाव भाव से रिझाने का फन भी उनके पास है। पर राजा कमजोर पड़ते हैं हल्के फुल्के रूमानी गीतों को गाने में। कभी-कभी वो शब्द भी गलत बोल जाते हैं पर उनकी आवाज़ का जादू मानसपटल पर इस कदर हावी हो जाता है कि ये भूलें नज़रअंदाज करने को जी चाहने लगता है
आइए देखें इस राजस्थानी लोकगीत को राजा ने क्या कमाल निभाया है...





नीक धर : कहते हैं, संगीत बंगालियों के खून में होता है और सा रे गा मा पा के इस शो पर १८ साल के अनिक ये बात सच साबित करते दिखते हैं। अनिक की खूबी ये है कि जब वे कोई गीत गाते हैं वो उसमें डूब जाते हैं। पहली बार अनिक धर की आवाज़ को मैंने तबसे ध्यान देना शुरु किया था जब इसी तरह चिट्ठा लिखते समय जुबीन गर्ग का गाया गीत जाने क्या चाहे मन बावरा... गाते सुना था और वो अगले दिन ही मेरे इस चिट्ठे की नई पोस्ट के रूप में आपके सामने था। अनिक सा रे गा मा का बंगाली संस्करण जीत चुके हैं। अनिक के साथ दिक्कत ये है कि आयु कम होने की वज़ह से उनकी आवाज़ में वो बुलंदी नहीं आ पाती जो राजा में है। पर नर्म रूमानियत भरे गीतों को गाने में वे अपने प्रतिद्वंदियों को कहीं पीछे छोड़ देते हैं।

अब हाल ही में उनके गाए ओम शांति ओम के इस गीत पर नज़र डालें। उनकी अदायगी से दीपिका पादुकोण तक मुग्ध हो गईं। आप भी आनंद लें।






अमानत अली: अमानत 'सा रे गा मा पा' में पाकिस्तान से आए प्रतिभागी हैं। मोरा पिया मोसे बोले ना में उन्हें गाते सुनकर मन झूम उठा था। पर शुरु शुरु में वो मस्ती और उर्जा भरे गीतों को गाने में कमजोर दिखते थे। पर इस्माइल दरबार की शागिर्दी ने विगत कुछ सप्ताहों से उनमें जबरदस्त सुधार लाया है और अब वो हर तरह के गीत बड़ी खूबसूरती से निभा जाते हैं। आज उन्हें सा रे गा मा पा के तीन अंतिम प्रतिद्वंदियों में सबसे वर्सटाइल कहा जा रहा है। अमानत गीतों मे अपनी ओर से हमेशा अदाएगी में विविधता ले आते हैं जिसे सुन कर दिल वाह वाह किए बिना नहीं रह पाता। और जब वो कोई ग़ज़ल गाते हैं तो जगजीत सिंह जैसे कंजूस गुरु भी दिल से दाद दिए बिना नहीं रह पाते। तो लीजिए देखिए गुलाम अली की गाई ग़ज़ल "हंगामा हैं क्यूँ बरपा"...को किस खूबसूरत अंदाज में गा रहे हैं अमानत...





मुझे इन तीनों युवा प्रतिभाओं से बेहद प्यार है। इनमें से कोई जीते वो कोई खास मायने नहीं रखता। मैं तो बस यही चाहता हूँ की संगीत के क्षेत्र में ये तीनों युवा अपनी काबिलियत के बल पर वो मुकाम बना पाएँ जिनके वो वास्तविक हकदार हैं।

अगली पोस्ट में बात करूंगा अपनी पसंद की तीन अन्य प्रतिभागियों की जिनकी आवाज़ की खूबसूरती का पूरा भारत आनंद पिछले कुछ महिनों में आनंद उठाता रहा है।
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8 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

सही लिखा मनीष भाई।

गायकों की जो गुणवत्ता मुझे सारेगामापा में दिखती है, वो इस तरह के किसी कार्यक्रम मे नजर नही आती..चाहे वो इंडियन आइडल हो या वाइस आफ इंडिया।

कंचन सिंह चौहान on अक्तूबर 09, 2007 ने कहा…

बात तो सही कही आपने, और अब तो सब धुरंदर ही बचे हैं, अमानत की गज़ल वाली आवाज़ के क्या कहने और राजा के expression क़ाबिल-ए-तारीफ है। महिला पुरुष दोनो का मुखौटा लगा कर गाये गये किशोर कुमार के गीत ने मुझे बहुत प्रभावित किया था। लेकिन इन तीनो में ही मुझे अनिक धर सबसे अच्छे लगते हैं और इन तीनो से ही अच्छी लगती थी पूनम यादव...इसलिये आगे की बातें आपकी अगली पोस्ट में।

संजय बेंगाणी on अक्तूबर 09, 2007 ने कहा…

चकाचौंध सारेगामापा में ज्यादा है और स्टार वॉइस के गायक मुझे ज्यादा लायक लगे. गाते ये तीनो भी खुब है.

Manish Kumar on अक्तूबर 09, 2007 ने कहा…

नितिन भाई आपसे इस बारे में विचार मिलते जुलते हैं। सा रे गा मा के प्रतिभागी प्रतिभा में अन्य कार्यक्रमों की तुलना में कहीं आगे हैं।

संजय भाई आपकी राय से मैं सहमत नहीं हूँ। स्टार का कार्यक्रम भी साथ साथ आता है और मैं उसे भी देखता हूँ। वहाँ तो तोशी और जबलपुर से आए गायक जो पहले जनता द्वारा बाहर कर दिए गए थे मुझे अच्छे लगते हैं पर बाकी लड़कियाँ और लड़के सा रे गा मा के प्रतिभागियों के शुरु के पाँच प्रतिभागियों की तुलना में मेरी राय में कहीं नहीं ठहरते।

कंचन पूनम यादव मुझसे सबसी अच्छी तो नहीं पर इन तीनों से किसी हालत में कम भी नहीं लगती। मजा और आता जब पहले ५ के बाद सीधा फाइनल हो जाता।

Udan Tashtari on अक्तूबर 09, 2007 ने कहा…

एकदम सही.

अब तो लगता है कि तीनों को ही जीता घोषित कर दें. :)

एक से एक बेहतरीन हैं तीनों.

आभार इनके बारे में जारकारी प्रेषित करने का.

Dawn on अक्तूबर 10, 2007 ने कहा…

Waah!!! bahut khub....humein to ye dekhne nahi milta lekin aapki ye jaankaari dekhne se kam nahi :)
Shukriya!

BTW you have been tagged...check out my post!
Cheers

Srijan Shilpi on अक्तूबर 10, 2007 ने कहा…

वाकई, हिन्दी पार्श्व संगीत का भविष्य इन होनहार गायकों के कारण अत्यंत उज्ज्वल है।

संगीत, खेल, फिल्म आदि में तो इतनी जबरदस्त प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। काश, राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में भी ऐसा हो पाता तो देश के भविष्य के बारे में जनता के मन में ऐसी ही आशा और उमंग का संचार हो पाता।

Manish Kumar on अक्तूबर 11, 2007 ने कहा…

समीर भाई सही कहा आपने !

डॉन टैग देखा मैंने अपने बारे में अपनों से ज्यादा दूसरों की राय महत्त्वपूर्ण होती है। अपने बारे में तो बातें करते ही रहते हैं और कितनी बार करें?

सृजन जी नमस्कार ! कैसे हैं भाई, आजकल टिप्पणियों में जुटे हैं क्या। हाँ हाँ लगता है घर परिवार में मन खूब रमा हुआ है सो ब्लागिंग के लिए वक्त ही नहीं निकलता :)

 

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