गुरुवार, अक्तूबर 11, 2007

'सा रे गा मा पा' : आज सुनिए हिमानी कपूर, पूनम यादव और सुमेधा करमहे की दिलकश आवाज़ को...

पिछली पोस्ट में मैंने जिक्र किया था 'सा रे गा मा पा' की उन आवाज़ों का जिन्होंने शीर्ष तीन में जगह बना ली है। पर ये गौर करने की बात है कि कोई लड़की इस साल या इसके पिछले संस्करण 2005 में प्रथम तीन में स्थान नहीं बना पाई। इसकी वज़ह हमारे देश का वोटिंग ट्रेंड है जो लड़कों के पक्ष में थोड़ा झुका हुआ जरूर है। खैर, मैं आज बात करूँगा उन तीन लड़कियों की जो 'सा रे गा मा पा' के मंच पर अपनी गायिकी से मेरा दिल जीत चुकी हैं।


हिमानी कपूर : बात 2005 की है। राहत फतेह अली खाँ का गाया गीत 'जिया धड़क धड़क जाए....' हम सबकी जुबान पर था। कितनी खूबसूरती से निभाया था राहत ने इस गीत को। पर जब एक लड़की ने इतने मुश्किल गीत को चुना और स्टेज पर लाइव इसे गा कर दिखाया की खुशी से मेरी आँखें नम हो गईं थीं।। वो लड़की थी फरीदाबाद की हिमानी कपूर जो उस वक्त 17 साल की थीं। नौ साल की उम्र से ही शास्त्रीय संगीत सीखने वाली हिमानी की गायिकी में एक खास बात ये थी कि वो कठिन से कठिन गीत को इस सहजता से गाती थी, मानो बिना किसी विशेष प्रयास के गा रही हो।


दुर्भाग्यवश, हिमानी को अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी प्रथम तीन में जगह नहीं मिली थी, पर मुझे पूरा विश्वास था कि वो आगे जरूर सफल होगी। पिछले दो सालों से अपने पिता के साथ हिमानी, मुंबई में हैं और खुशी की बात ये है कि आजकल हिमानी HMV पर अपने पहले संगीत एलबम 'अधूरी' के लिए आखिरी तैयारियों में व्यस्त है। आशा है कुछ ही दिनों में इस एलबम का पहला संगीत वीडियो टीवी के पर्दे पर होगा।
तो लीजिए सुनिए हिमानी का 'सा रे गा मा पा' 2005 में गाया 'जिया धड़क धड़क जाए....'
इस गीत का वीडियो आप यहाँ देख सकते हैं।






पूनम जटाउ या पूनम यादव : पूनम आज भारत की हर उस लड़की की प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं जो साधनों के आभाव में भी अपनी प्रतिभा के बल पर कुछ कर दिखाने की तमन्ना रखती है, चाहे उसके लिए कितना भी कष्ट क्यूँ ना सहना पड़े। जिस बच्ची पर से पिता का साया जन्म लेने से पहले ही गुजर गया हो, जिसकी माँ इधर उधर घरों में काम कर घर का खर्च चलाती हो , जो खुद एक बूथ में काम करती हो..


ऍसी लड़की ने संगीत किस तरह सीखा होगा और कितनी मेहनत करनी पड़ी होगी उसे इस प्रतियोगिता में अंतिम चार तक पहुँचने के लिए.. ये सोचकर ही मन पूनम के लिए श्रृद्धा से झुक जाता है। पूनम ने पूरी प्रतियोगिता में नए, पुराने, देशभक्ति,शास्त्रीय राग पर आधारित कई तरह के नग्मे गाए और क्या खूब गाए। इस छोटे कद की 26 वर्षीया कन्या में गज़ब की उर्जा है और साथ ही है अपनी गायिकी को और बेहतर करने का समर्पण भाव । मुझे यक़ीन हे कि उनकी आवाज़ हमें आगे भी सुनने को मिलती रहेगी। वैसे तो पूनम ने ज्यादातर गंभीर किस्म के गाने गाए पर शमशाद बेगम का ये गीत 'मेरे पिया गए रंगून.....' जिस हाव भाव और मस्ती से उन्होंने गाया कि मन बाग बाग हो उठा।



सुमेधा करमहे: सचमुच की गुड़िया दिखने वाली सुमेधा, छत्तिसगढ़ के छोटे से शहर राजनंदगाँव से आती हैं। वैसे लालू जी के सामने अपनी पारिवारिक बिहारी पृष्ठभूमि को बताना वे नहीं भूलीं। इनकी आवाज में एक मिठास और सेनसुआलिटी है जो बहुत कुछ श्रेया घोषाल से मिलती जुलती है। १८ साल की उम्र में ही इतनी परिपक्वता से गाती हैं तो आगे भी इनकी आवाज में उम्र के साथ-साथ और निखार और विविधता आएगी ऐसी आशा है। इनकी प्रतिभा को देखते हुए महेश भट्ट ने इन्हें अपनी फिल्म में गाने के लिए चुना भी है।


चुलबुले और रूमानी गीतों में वो काफी प्रभावित करती हैं। उन्होंने घर से 'तेरे बिना जिया जाए ना..', युवा से 'कभी नीम नीम कभी शहद शहद...' और कारवां से 'पिया तू अब तो आ जा..' को बेहतरीन तरीके से निभाया। पर मैं आपको दिखा रहा हूँ सुमेधा का गाया साथियां का मेरी पसंद का ये नग्मा..यानि 'चुपके से, चुपके से रात की चादर तले.... '

तो ये बताएँ कि इनमें से कौन सी गायिका आपको सबसे ज्यादा पसंद है ?
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8 टिप्पणियाँ:

Sanjeet Tripathi on अक्तूबर 11, 2007 ने कहा…

शुक्रिया!!

टी वी पर एक दो बार ही पूनम और सुमेधा को गाते सुना है, हिमानी को तो सुना ही नही दर-असल टी वी देखने की आदत ही नही है।
इनमे से पहले पूनम की आवाज़ ज्यादा अच्छी लगी और फ़िर सुमेधा की।
पूनम की लगन के लिए उसे सलाम!!

कंचन सिंह चौहान on अक्तूबर 11, 2007 ने कहा…

हाँ बात वही है कि पूनम हर उस लड़की के मन में ऊर्जा का संचार कर देती है, जिसके पास साधन की कमी है। साथ ही मुझे पता नही क्यों उसके चेहरे पर गज़ब का आत्मविश्वास दिखता है, मंद्र सप्तक की गहराई और तार सप्तक की ऊँचाइयों को वो सामान्य रूप से छूती है, और मुझे पता नही क्यो एक भारतीय लड़की की प्रतिनिधित्व करती सी लगती है।

"कुहू कुहू बोले कोयलिया" गीत जिस के बाद वो प्रतियोगिता से निकल गई थी, गाते समय मैं अभिभूत हो गई थी, यदि मैं कहूँ कि मुझे उस समय वो दैवीय प्रतिभा लग रही थी तो कुछ ग़लत न होगा।

पारुल "पुखराज" on अक्तूबर 11, 2007 ने कहा…

gaayakii ke aadhaar per POONAM ki koi saanii nahi..mujhey uskii sajal aankhey kabhi nahi bhuulti.

Udan Tashtari on अक्तूबर 11, 2007 ने कहा…

बिना किसी लाग लपेट के एक बार में आपके द्वारा किये प्रश्न का उत्तर: सुमेधा करमहे

-क्यूँ??-बस अपनी अपनी पसंद है. :)

Dawn on अक्तूबर 12, 2007 ने कहा…

Waah! kuch chehare jaane pehachane se lage...lekin waqai...Sa re ga ma se dur rehane ka dukh ab lagta hai lekin shukriya dost aapka jo yahan iss roop mein pesh kar rahe ho
Cheers

SahityaShilpi on अक्तूबर 12, 2007 ने कहा…

मनीष जी!
शुक्रिया इस जानकारी के लिये! आपके बताये इन प्रतिभागियों में इससे पहले सिर्फ हिमानी कपूर का नाम सुना था. (आखिर फरीदाबाद का हूँ भाई!) हाँ, एक बार किसी को ऐसी एक प्रतिभागी का ज़िक्र करते भी सुना जो पब्लिक-बूथ चलाती है; आज पता चला कि उनका नाम पूनम यादव है.

संगीत से बेहद लगाव के बावज़ूद, कुछ समय की कमी और कुछ टेलिविजन कार्यक्रमों के प्रति अरुचि के चलते इस कार्यक्रम को कभी देख नहीं पाया. अब समय निकाल कर देखने की कोशिश करूँगा. और हाँ, आज कुछ तकनीकी खामी के चलते आपके उपलब्ध कराये इन गीतों को भी ढंग से सुन नहीं पाया, अत: मुझे कौन ज़्यादा पसंद आया, अभी नहीं कह सकता.

पुनश्च: धन्यवाद!

--
अजय यादव
http://ajayyadavace.blogspot.com/
http://merekavimitra.blogspot.com/2007/10/blog-post_1588.html

Manish Kumar on अक्तूबर 13, 2007 ने कहा…

आप सबने अपनी अपनी राय दी इसका शुक्रिया। मेहनत का सिला इन प्रतिभाशाली लड़कियों को देर सबेर जरूर मिलेगा इसी आशा के साथ! फिलहाल तो इस साल के विजेता का नाम घोषित होने में कुछ ही घंटे रह गए हैं।

Parveen Sibal on अक्तूबर 29, 2007 ने कहा…

कृपया आप पाकिस्तानी ग़ज़ल गायकों पर एल लेख लिखें , जो की अभी उभर रहें हैं

 

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