पिछले तीन-चार दिनों से वाइरल की चपेट में हूँ चिट्ठा पढ़ना लिखना बेहद कम हो गया है। पर आज मन फिर भी बेहद खुश है। आखिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे कई दिनों से बेसब्री से इंतजार था। छोटे शहरों में निजी एफ एम चैनल का हाल के दिनों में तेजी से विस्तार हो रहा है और इसी क्रम में हुआ है राँची में तीन नए चैनल का एक साथ प्रवेश : बिग एफ एम, दैनिक जागरण वालों का रेडियो मंत्रा और रेडियो धमाल।
ये खुशी सिर्फ मेरी आँखों में हो ऍसी बात नहीं। कल जब मैं बिस्तर पर पड़े पड़े रेडिओ के गानों पर अपने बच्चे और हमारे यहाँ काम करने वाली लड़की को थिरकते देख रहा था तो मुझे बिलकुल संदेह नहीं रहा कि इनके चेहरे से निकलने वाली खुशी सारे राँची वासियों की खुशी का प्रतिनिधित्व करती है जिनके लिए रेडिओ अभी भी मनोरंजन का प्रमुख साधन है।
पर एक सहज प्रश्न जो किसी भी संगीत प्रेमी के मन में जरूर आता है वो ये है कि आखिर निजी रेडिओ चैनल के बढ़ते प्रचार प्रसार से 'विविध भारती' के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? क्या आपको नहीं लगता कि जहाँ भी विकल्प मौजूद है, किशोरों और युवा वर्ग में निजी चैनल विविध भारती की तुलना में कहीं ज्यादा लोकप्रिय होते जा रहे हैं? इस बदलते समय में आपकी विविध भारती से क्या अपेक्षाएँ रही हैं? मैंने इसी विषय को रेडिओनामा पर यहाँ विचार विमर्श के लिए उठाया है।
आशा है इस बहस का आप हिस्सा बनेंगे।
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
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आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
पहु...
6 माह पहले
3 टिप्पणियाँ:
बधाई मनीष भाई, आप जैसे संगीत प्रेमियों के लिए वाकई खुशी की खबर है।
आशा करता हूँ अब तबियत बेहतर होगी.
मैं दो तीन दिन था नहीं, अतः अभी देख पाया आपकी यह पोस्ट.
श्रीश भाई हाँ , अब मुझे तो नए मधुर गीतों को आप सब तक पहुँचाने में सहजता तो हो ही गई।
समीर जी जी आपकी दुआ से आज काफी हद तक स्वस्थ हो गया हूँ।
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