गुरुवार, दिसंबर 20, 2007

क्या औचित्य है रोमन में हिंदी ब्लॉगिंग का ? विषय आधारित चिट्ठे और लोकप्रियता ? आइए इन सवालों का हल तालाशें इन आंकड़ों के मद्दे नज़र

पिछले हफ्ते मेरे रोमन हिन्दी चिट्ठे Ek Shaam Mere Naam ने एक नया मुकाम प्राप्त किया, एक लाख पेज लोड्स को पार करने का। करीब साल भर पहले प्रतीक पांडे ने अपनी एक पोस्ट में रोमन हिंदी में ब्लॉगिंग करने के औचित्य पर राय मांगी थी। मेरी यह पोस्ट पिछले ढाई सालों में रोमन हिंदी ब्लॉगिंग के मेरे अनुभवों का निचोड़ है और मेरी कोशिश ये होगी की आंकड़ों की मदद से मैं ब्लागिंग से जुड़े कुछ अहम मुद्दों पर अपनी राय आगे रख सकूँ।


सवाल नंबर १ : रोमन हिंदी ब्लागिंग करने का औचित्य क्या है ?
इसका सीधा उत्तर है ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात को पहुँचाना। एक रोमन हिंदी चिट्ठा दो तरीकों से इस कार्य में आपकी मदद करता है

  • ये गैर हिंदी भाषी पाठक वर्ग को आपकी ओर खींचता है। ये वर्ग भारत के अंदर भी हो सकता है और बाहर भी। उदाहरण के लिए आप देख सकते हैं कि पिछले पाँच सौ पेज लोड्स में करीब ३० -४० उर्दूभाषी देशों से थे और २९२ भारत से थे। इस २९२ का करीब दो तिहाई अनुमानतः वो हिस्सा है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं।

ये अप्रत्यक्ष रूप से आपके हिंदी चिट्ठे की आवाजाही को आगे बढ़ाता है। आज भी हिंदी भाषा के इंटरनेट में हिंदी लिखने पढ़ने के प्रति अनिभिज्ञता बरकरार है। इसका प्रमाण यही है कि बहुत सारे लोग जो हिंदी भाषी हैं वो पहले रोमन चिट्ठे पर किसी सर्च इंजन के माध्यम से पहुँचते हैं. इनमें से मेरे खुद के विश्लेषण के हिसाब से ई करीब एक तिहाई जो हिंदी में अभ्यस्त हैं वो हिन्दी चिट्ठे पर भी आ जाते हैं। ३३ प्रतिशत का आंकड़ा मैंने अपने चिट्ठे पर "came from" tool का आकलन कर के निकाला है।




यही वजह है कि आप देख रहे हैं कि पहले भोमियो और अब चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी भी आपकी फीड को रोमन हिंदी में दिखा रहे हैं

सवाल नंबर २ : नए चिट्ठाकार कैसे इस भीड़ में अपना स्थान बनाएँ ?

मेरे हिसाब से इसका एक ही मूलमंत्र है कि आप जब भी कुछ लिखें, उसमें अपनी सारी मानसिक उर्जा लगाएँ। ये जरूर सोचें कि मेरा लिखा किस तरह दूसरों के लिए उपयोगी और रोचक रहेगा। अगर आप लगातार इस तरह का समर्पण बनाए रखेंगे, लोग जरूर उसे पढ़ने खोज-खोज कर आएँगे। आप अगर सिर्फ चिट्ठाकारों को अपना पाठक वर्ग मान कर चलेंगे, उनकी पसंद नापसंद को अपने लेखन का आधार बनाएंगे तो वो आपको क्षणिक लोकप्रियता के आलावा कुछ नहीं दिलाएगा। पोस्ट का साइज छोटा रखने से, दुनिया भर के टैग लगाने से, एक दूसरे को लिंक कर के अगर कोई प्रसिद्धि की राह पर चला जाता तो फिर बात ही क्या थी। मैं ये नहीं कहता कि इन सबका फायदा नहीं होता। होता है पर एक हद तक, मूल बात आपका विषय और परोसी गई सामग्री है। रवि जी ने ये बात कई बार कही है और इस विषय पर मेरा उनसे मतैक्य है.

और सबसे बड़ी बात धैर्य रखें। आप आंकड़ों पर गौर करें जब मैंने रोमन हिन्दी चिट्ठा २००५ में शुरु किया था तो मुझे शुरु-शुरु में २० से ३० हिट्स मिलती थीं। फिर ये आंकड़ा पिछले साल प्रतिदिन ५०‍-६० और इस साल अब ३०० तक जा पहुँचा है। वो भी तब जब रोमन हिंदी चिट्ठे को किसी एग्रगेटर का सहयोग नहीं है। हिंदी में लिखना मैंने पिछली अप्रैल से शुरु किया था और वहाँ भी परिणाम धीरे-धीरे ही अच्छा हुआ है और इसमें रोमन ब्लॉगिंग का भी योगदान रहा है।







सवाल नंबर तीन: क्या सारे चिट्ठे विषय आधारित होने चाहिए ?

चिट्ठाजगत में ये सवाल बार बार उठाया जा रहा है। मेरे ख्याल से इसका कोई सीधा फार्मूला नहीं है। ये फ़ैसला बहुत कुछ निर्भर करता है कि

आपका चिट्ठाकारी करने का उद्देश्य क्या है? किसी खास विषय पर आपकी पकड़ कितनी है? आपके पास कितना समय उपलब्ध है? आपका पाठक वर्ग कैसा है?

विषय आधारित चिट्ठे की खासियत इस बात में है कि वो एक विशेष रुचि से जुड़े पाठकों को आपके चिट्ठे का नियमित पाठक बना लेता है। गंभीर मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचने का ये एक प्रभावी हथियार है। पर अमूमन एक आम चिट्ठाकार के मन में तरह तरह की बातें आती हैं जिसे वो लोगों से बाँटना चाहता है। मैं खुद ही 'यात्रा वृत्तांत', गीत-संगीत, ग़ज़लों, किताबों के बारे में लिखता हूँ। अब अगर सबके लिए मैं अलग अलग चिट्ठे शुरु करूँ तो कोई कोई चिट्ठा तो महिनों में अपडेट होगा और चार चिट्ठों को सँभालने में वक़्त जाएगा सो अलग। इस दशा से निबटने के लिए अगर विषय आधारित चिट्ठों को सामूहिक रूप से चलाया जाए तो बेहतर रहेगा।

दूसरी बात ये है कि जब आप अपने पसंद के विषयों को एक साथ अपने चिट्ठे पर रखते हैं तो पढ़ने वाला धीरे-धीरे आपके व्यक्तित्व का एख खाका खींचने लगता है और अगर उसकी सोच भी वैसी ही हुई तो वो आपके चिट्ठे से जुड़ सा जाता है।

एक बात जरूर जान लें कि ऍसा नहीं है कि आप विषय आधारित चिट्ठा नहीं बनाएँगे तो लोग आपकी पुरानी पोस्ट लोग नहीं पढ़ेंगे। उदहारण के लिए मैं आपको रोमन हिंदी चिट्ठे की आज की की-वर्ड एनालिसिस दिखाता हूँ। कलिंग वार, सिक्किम , परवीन शाकिर, गोरा, गुनाहों का देवता और कविताओं , गीतों से जुड़ी पोस्ट जो एक से दो साल पहले लिखी गईं पर भी लोग पहुँच रहे हैं। सर्च इंजन से आने वाली जनता बिना ये जाने आती है कि ये चिट्ठा किस प्रकृति का है।




पर इसका मतलब ये नहीं की विषय आधारित चिट्ठे नहीं बनाने चाहिए। पर इस तरह का जब आप निर्णय लें तो ऊपर लिखे प्रश्नों को खुद से पूछें जरूर।


ये संभवतः इस साल की मेरी आखिरी पोस्ट हैं क्योंकि आज ही केरल के लिए कूच कर रहा हूँ। मेरे हिंदी और रोमन हिंदी चिट्ठों के पाठकों को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ। आशा है आपका साथ मुझे आगे भी मिलता रहेगा। तो दोस्तों मिलते हैं, नए साल में हमेशा की तरह वार्षिक संगीतमाला २००७ के साथ.....

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12 टिप्पणियाँ:

Unknown on दिसंबर 20, 2007 ने कहा…

पहले तो आप इस उपलब्धि और इस विस्तृत विश्लेषण के लिए हार्दिक बधाई ग्रहण कर लें। चर्चा बहस बाद में होगी।

Sanjeet Tripathi on दिसंबर 20, 2007 ने कहा…

बहुत बढ़िया विश्लेषण करते हुए सटीक लिखा है आपने!!
कम से कम विषय आधारित चिट्ठों के मामले में आपकी राय से सौ फीसदी सहमत हूं।

शुक्रिया के साथ शुभकामनाएं आपको भी

कंचन सिंह चौहान on दिसंबर 20, 2007 ने कहा…

सर्वप्रथम तो आपके रोमन हिंदी चिट्ठे के १ लाख से अधिक पेज लोड होने की बधाई...तत्पश्चात प्रशंसा स्वीकार करें इस प्रकार की उपयोगी पोस्ट को सामने लाने की....!

आप अगर सिर्फ चिट्ठाकारों को अपना पाठक वर्ग मान कर चलेंगे, उनकी पसंद नापसंद को अपने लेखन का आधार बनाएंगे तो वो आपको क्षणिक लोकप्रियता के आलावा कुछ नहीं दिलाएगा।

बिलकुल सहमत हूँ मैँ आपकी बात से और असल में तो जिसे लिखने की ललक होगी वो इन सब बातों को न सोच सकता है ना apply कर सकता है..हम सब यहाँ विचार विनिमय के लिये आये हैं न कि व्यवसाय के लिये जो फॉर्मूले अपना कर अपनी पोस्ट हिट कराने के फिराक़ में रहें। सभी का अपना एख वर्ग होता है और उनके द्वारा किया गया सही मूल्यांकन ही लेखक/कवि के लिये मायने रखता है।

दूसरी बात रोमन चिट्ठे के औचित्य से भी मैं पूर्णतया सहमत हूँ..!

गीतमाला की प्रतीक्षा और नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ
साभार

ghughutibasuti on दिसंबर 20, 2007 ने कहा…

बहुत बढ़िया पोस्ट । अपनी जानकारी हमारे साथ साँझी करने के लिए और इतनी अहम् बातें बताने के लिए धन्यवाद । केरल का आनन्द उठाइये और लौट कर हमें अपनी यात्रा के बारे में बताइये ।
घुघूती बासूती

उन्मुक्त on दिसंबर 21, 2007 ने कहा…

रोमन चिट्ठे का एक लाख आंकड़ा छूने पर बधाई।

बेनामी ने कहा…

आपके ब्लॉग की सबसे अच्छी बात होती है, पोस्ट के पीछे का होम वर्क. आपके विश्लेशणों मे एक प्रोफेशनल अप्रोच होती है..१,००,००० के आँकडे के लिये बधाई...मै आपके रोमन ब्लॉग की बढिय़ा हिन्दी पढने के बाद ही हिन्दी चिट्ठा जगत मे आई.आपकी यात्रा सुखद हो..

Anita kumar on दिसंबर 24, 2007 ने कहा…

मुझ जैसे नये ब्लोगर के लिए आप का ये विश्लेशण बहुत कारगर साबित होगा,धन्यवाद, आप को भी नव वर्ष की शुभ कामनाएं

बेनामी ने कहा…

Gostei muito desse post e seu blog é muito interessante, vou passar por aqui sempre =) Depois dá uma passada lá no meu site, que é sobre o CresceNet, espero que goste. O endereço dele é http://www.provedorcrescenet.com . Um abraço.

Dawn on जनवरी 04, 2008 ने कहा…

Naye saal ki shubhkamnayein aur mubarakbaad for highest number of hits
Cheers

shahjada kalim on जनवरी 05, 2008 ने कहा…

naya saal mubaraq ho. aap ka blog achha laga

Manish Kumar on जनवरी 06, 2008 ने कहा…

बधाई के लिए आप सब का धन्यवाद। आप सब के लिए भी नव वर्ष मंगलमय हो।

Parul Singh on सितंबर 27, 2010 ने कहा…

bilkul sahi roman main likhne se jyada logo tak pahunchti hai suchna
bhasha aur lipi ke jhagde main padna aaj ke yug mai bemani hai.bas gyan prapt hona chahiye..

 

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