वार्षिक संगीतमाला की २३ वीं सीढ़ी में दिशा बदलते हैं मौज मस्ती से मेलोडी की ओर। कई गीतें ऐसे होते हैं जिनके बोल तो सीधे सहज होते हैं, पर गीत की मेलोडी ऍसी होती है कि आप उस के साथ डूबने लगते हैं। तो इस पायदान पर आपका इंतजार कर रहा है ऍसा ही एक गीत जिसकी धुन बनाई और गाया आनंद राज आनंद ने संभवतः लिखा भी उन्होंने ही।
पूरे गीत का प्रवाह ऍसा है कि आप के मन में प्रेम की एक निर्मल स्वच्छ धारा सी बहती महसूस होती है। बांसुरी की तान पूरे गीत के साथ चलती है जो मन को काफी सुकून पहुँचाती है।
अब थोड़ी बातें, इस गीत के पीछे के शख्स के बारे में। आनंद राज 'आनंद' , दिल्ली के ऍसे परिवार से आते हैं जो आभूषणों के व्यवसाय से जुड़ा था। बचपन से ही उनकी संगीत में रुचि थी। जब वे स्कूल में पढ़ते थे तब भी संगीत कार्यक्रम में फिल्मी गाने ना चुन कर अपने द्वारा स्वरबद्ध रचना को सुनाना पसंद करते थे। मुंबई नगरिया में उनका आगमन १९९२ में हुआ पर एक गायक, गीत और संगीतकार के तीनों रूपों को निभाने के अवसर उन्हें ज्यादा नहीं मिले। मुंबई फिल्म उद्योग ने उन्हें गंभीरता से तब लेना शुरु किया जब उनका एक गीत 'छोटा बच्चा समझ के मुझे ना धमकाना रे' लोकप्रिय हो गया। फिर निर्माता निर्देशक संजय गुप्ता की टीम के वो लगभग स्थायी सदस्य हो गए और 'काँटे' से लेकर आज की 'वेलकम' तक उनका सफ़र बदस्तूर ज़ारी है।
तो आईए सुनें आनंद राज 'आनंद' को 'छोड़ो ना यार' के इस गीत में
इस संगीतमाला के पिछले गीत
7 टिप्पणियाँ:
kal ki shiqaayat aaj duur ho gayi MANISH ji...bahut khuubsurat geet sunvaya aapney ...aabhaar
sangeet sun kar man shaant ho jaata hai..bahut bahut dhanywad
इसी तरह २००७ के अपनी पसंद के चुने हुए गीत सुनाते रहे।
मनीष - मुझे भी इस गीत की कशिश इसकी तान में लगी - धारा ही है [ बहुत अच्छा संकलन है कल की मुलाकात पक्की ]
Never heard this before. Nice soothing song...
finaaly the awaited count down has come on your blog... I also like this song
आप सबको ये गीत पसंद आया जान कर खुशी हुई।
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