शुक्रवार, जनवरी 11, 2008

वार्षिक संगीतमाला २००७ : पायदान २० - जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए, जितने भी मौसम दिए...सब नम दिए

जैसे-जैसे वार्षिक संगीतमाला की ऊपर की पायदानों की ओर रास्ता खुल रहा है गीतों को क्रम देने की मशक्कत बढ़ती जा रही है। एक बार क्रम बना लेने के बाद मैं बार-बार उन गीतों को सुनता रहता हूँ और फिर लगता है कि नहीं, इस गीत को कुछ और ऊपर बजना चाहिए । इसी वज़ह से २० वीं पायदान के गीत ने पाँच पायदानों की छलाँग लगा कर रुख किया है १५ वीं पायदान का :)। और २० वीं पायदान पर सीधे विराज रहा है ये नया गीत।

इस संगीतमाला में ये दूसरी बार ऍसा हुआ है कि किसी पायदान पर संगीतकार ही गायक का किरदार सँभाल रहे हैं। और मजे की बात ये है कि इस युवा संगीतकार का आज यानि ११ जनवरी को २२ वाँ जन्मदिन है.

जी हाँ दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ मिथुन शर्मा की जिन्होंने पहली बार मेरी २००६ की संगीतमाला के ५वें नंबर के गीत 'तेरे बिन मैं कैसे जिया....' के रूप में प्रवेश किया था और जिनके फिल्म अनवर के दो गीत 'मौला मेरे' और 'तो से नैना लागे सांवरे' २००६ की मेरी सूची में आते-आते रह गए थे। खैर मिथुन प्रतिभावान हैं इसमें तो कोई शक नहीं है पर ये प्रतिभा बहुत कुछ उन्हें खानदानी विरासत के रूप में मिली है। वे संगीतज्ञ नरेश शर्मा के पुत्र और प्यारेलाल (लक्ष्मीकांत प्यारेलाल वाले) के भतीजे हैं।

बीसवीं पायदान पर जो गीत मैंने चुना है वो फिल्म 'दि ट्रेन' से है। मिथुन का गाने का अंदाज बहुत कुछ आतिफ असलम जैसा है और बहुधा लोग उनकी आवाज़ को सही नहीं पकड़ पाते हैं। पर २० वीं पायदान पर इस गीत के होने की वज़ह सईद कादरी के बोल भी हैं। गीत का ये अंतरा मुझे सबसे पसंद है

जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए
जितने भी मौसम दिए...सब नम दिए


इक मुकम्मल कशमकश है जिंदगी
उसने हमसे की कभी ना...दोस्ती

जब मिली, मुझको आँसू के, वो तोहफे दे गई
हँस सके हम, ऍसे मौके कम दिये


जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए
जितने भी मौसम दिए...सब नम दिए


तो सुनिए २० वीं पायदान का ये गीत जो मौसम के नाम से भी जाना जाता है



और हाँ चलते-चलते एक बात और इस गीतमाला के आगे के सारे गीतों में आप मनभावन गीत का टैग देखेंगे यानि ये ऍसे गीत हैं जिनका ना केवल संगीत पर उनके बोल भी मुझे दिल से छूते हैं।


इस संगीतमाला के पिछले गीत

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6 टिप्पणियाँ:

राज भाटिय़ा on जनवरी 12, 2008 ने कहा…

मनीश जी ,आप ने तो गीतो कि बहुत खुबसुरत दुनिया बसा रखी हे,बहुत ही अच्छा लगा, यह गीत(रिमझिम गिरे सावन) कया आप की अवाज मे हे,बहुत ही मधुर अवाज हे.

Yunus Khan on जनवरी 12, 2008 ने कहा…

ये गीत अपन को भी बहुत पसंद है मनीष भाई । मिथुन को हम बंगाली समझते थे । जिंदगी की भागदौड़ में कभी उनके बारे में पता करने की गुंजाईश नहीं मिली । बहरहाल अब प्‍यारेलाल जी को फोन करके मिथुन को विविध भारती बुलवाया जायेगा । शुक्रिया ज्ञान बढ़ाने के लिए ।

mamta on जनवरी 12, 2008 ने कहा…

पता नही हमने कैसे ये गाना नही सुना ।
काफी अच्छा लगा ये गाना।

Anita kumar on जनवरी 12, 2008 ने कहा…

एक और हमारा पंसदीदा गाना॥लेकिन हमारी शिकायत बरकरार है…अभी भी आप की पोस्ट पर गाना अटक अटक कर बजता है

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 14, 2008 ने कहा…

mujhe bhi baht pasand hai ye geet. thanks

Urvashi on जनवरी 15, 2008 ने कहा…

This one could also be on my countdown list...
I like the other song, "Beetein Lamhe' from this movie even more.

 

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