इस संगीतमाला में ये दूसरी बार ऍसा हुआ है कि किसी पायदान पर संगीतकार ही गायक का किरदार सँभाल रहे हैं। और मजे की बात ये है कि इस युवा संगीतकार का आज यानि ११ जनवरी को २२ वाँ जन्मदिन है.
जी हाँ दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ मिथुन शर्मा की जिन्होंने पहली बार मेरी २००६ की संगीतमाला के ५वें नंबर के गीत 'तेरे बिन मैं कैसे जिया....' के रूप में प्रवेश किया था और जिनके फिल्म अनवर के दो गीत 'मौला मेरे' और 'तो से नैना लागे सांवरे' २००६ की मेरी सूची में आते-आते रह गए थे। खैर मिथुन प्रतिभावान हैं इसमें तो कोई शक नहीं है पर ये प्रतिभा बहुत कुछ उन्हें खानदानी विरासत के रूप में मिली है। वे संगीतज्ञ नरेश शर्मा के पुत्र और प्यारेलाल (लक्ष्मीकांत प्यारेलाल वाले) के भतीजे हैं।
बीसवीं पायदान पर जो गीत मैंने चुना है वो फिल्म 'दि ट्रेन' से है। मिथुन का गाने का अंदाज बहुत कुछ आतिफ असलम जैसा है और बहुधा लोग उनकी आवाज़ को सही नहीं पकड़ पाते हैं। पर २० वीं पायदान पर इस गीत के होने की वज़ह सईद कादरी के बोल भी हैं। गीत का ये अंतरा मुझे सबसे पसंद है
जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए
जितने भी मौसम दिए...सब नम दिए
इक मुकम्मल कशमकश है जिंदगी
उसने हमसे की कभी ना...दोस्ती
जब मिली, मुझको आँसू के, वो तोहफे दे गई
हँस सके हम, ऍसे मौके कम दिये
जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए
जितने भी मौसम दिए...सब नम दिए
तो सुनिए २० वीं पायदान का ये गीत जो मौसम के नाम से भी जाना जाता है
और हाँ चलते-चलते एक बात और इस गीतमाला के आगे के सारे गीतों में आप मनभावन गीत का टैग देखेंगे यानि ये ऍसे गीत हैं जिनका ना केवल संगीत पर उनके बोल भी मुझे दिल से छूते हैं।
इस संगीतमाला के पिछले गीत
- पायदान २१ - आँखों में तेरी अज़ब सी ... गीत - जावेद अख्तर संगीत - विशाल शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
- पायदान २२- तो फिर आओ.. मुझको सताओ गीत - सईद कादरी संगीत - प्रीतम चलचित्र - आवारापन
- पायदान २३- कसक उठी मेरे मन में पिया गीत-आनंद राज 'आनंद' संगीत-आनंद राज 'आनंद' चलचित्र छोड़ो ना यार
- पायदान २४ : झूम बराबर झूम... गीत-गुलज़ार संगीत-शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र झूम बराबर झूम
- पायदान २५ : बस दीवानगी दीवानगी है.... गीत जावेद अख्तर संगीत विशाल- शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
6 टिप्पणियाँ:
मनीश जी ,आप ने तो गीतो कि बहुत खुबसुरत दुनिया बसा रखी हे,बहुत ही अच्छा लगा, यह गीत(रिमझिम गिरे सावन) कया आप की अवाज मे हे,बहुत ही मधुर अवाज हे.
ये गीत अपन को भी बहुत पसंद है मनीष भाई । मिथुन को हम बंगाली समझते थे । जिंदगी की भागदौड़ में कभी उनके बारे में पता करने की गुंजाईश नहीं मिली । बहरहाल अब प्यारेलाल जी को फोन करके मिथुन को विविध भारती बुलवाया जायेगा । शुक्रिया ज्ञान बढ़ाने के लिए ।
पता नही हमने कैसे ये गाना नही सुना ।
काफी अच्छा लगा ये गाना।
एक और हमारा पंसदीदा गाना॥लेकिन हमारी शिकायत बरकरार है…अभी भी आप की पोस्ट पर गाना अटक अटक कर बजता है
mujhe bhi baht pasand hai ye geet. thanks
This one could also be on my countdown list...
I like the other song, "Beetein Lamhe' from this movie even more.
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