मंगलवार, जनवरी 15, 2008

वार्षिक संगीतमाला २००७ : पायदान १८ - हलके हलके रंग छलके, जाने अब क्या होने को है

तो वार्षिक संगीतमाला की १८ वीं पायदान पर गीत वो जिसे सुनते ही मन हल्का और प्रफुल्लित सा महसूस करता है। इसे आवाज़ दी प्रतिभावान गायक नीरज श्रीधर ने , बोल लिखे जावेद अख्तर ने और संगीतबद्ध किया विशाल‍-शेखर ने। २००५ में 'यू बोमसी एंड मी' में इन्हीं का गाया हुआ गीत 'कहाँ हो तुम मुझे बताओ' मुझे बेहद पसंद आया था और २००५ की संगीतमाला में वो नवीं पायदान का गीत बना था।

नीरज श्रीधर पहली बार लोगों की नज़र में तब चढ़े थे जब उन्होंने पुराने हिदी नग्मों को एक नए रूप में पेश किया था। , जो सामान्य रिमिक्स संगीत से अलहदा था। इसलिए इनके द्वारा पुनर्निर्मित वो चली वो चली...., छोड़ दो आँचल.... और हवा में उड़ता जाए.... जैसे गीत समीक्षकों द्वारा भी सराहे गए थे।
दिलचस्प बात ये है कि बॉम्बे वाइकिंग नामक बैंड की शुरुआत भारत में नहीं बल्कि स्वीडन जैसे देश में शुरु हुई, जहाँ वो पले बढ़े हैं। सुदूर पश्चिम के इस देश में इस तरह का नाम चुनने का कारण बस इतना था कि वो चाहते थे कि स्वीडन में उनके बैंड के भारतीय रिश्ते को लोग महसूस कर सकें। अपने शुरुआत के दिनों में मैकडानल्ड में काम करने वाले नीरज को संगीत में जैज (Jaaz) बेहद प्रिय है।

तो आइए लौटें गीत की तरफ जिसमें विशाल-शेखर की धुन ऐसी है जो गीत पर हावी नहीं होती पर उसे खूबसूरती से उभरने में सहायता प्रदान करती है। जावेद के बोल दिल में उमंगें जगाते हैं और नीरज की दिलकश आवाज़ मन को मोहती चली जाती है।

आँखों की हर डाली पर खिल गए....
फूल कई, जब दिल से दिल मिल गए....
आँखें आँखों से, कहने लगीं हैं, इक नई दास्तां.........
हलके हलके, रंग छलके, जाने अब क्या होने को है...

साहिल पे जैसे, आती हैं लहरा के मौजें
दिल में आई हैं उमंगें
भीगीं हवाएँ गाती हैं मीठी सी धुन में
जागी जागी हैं तरंगें
अज़नबी जो, कल मिले थे
फ़ासले उनके कम हो गए
हलके हलके, रंग छलके, जाने अब क्या होने को है

फूलों की रुत में भँवरे भी दीवाने से हैं
कलियाँ खिलती हैं शर्मीली
अब जिंदगी ने ओढ़ी है इक महकी महकी
ख्वाबों की चादर रँगीली
तुम से मिलके, साथ चलके
क्या से क्या देखो हम हो गए
हलके हलके रंग छलके, जाने अब क्या होने को है

तो आइए सुनें ''हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड' फिल्म से लिया हुआ ये प्यारा सा नग्मा



इस संगीतमाला के पिछले गीत

Related Posts with Thumbnails

5 टिप्पणियाँ:

Yunus Khan on जनवरी 16, 2008 ने कहा…

बढि़या गीत है । सच तो ये है कि पहले मुझे ये महाशय पसंद नहीं थे । पर धीरे धीरे अपनी राय बदल रही है । इन दिनों उनके गाए कुछ गीत अच्‍छे लगे हैं , बंदे में है थोड़ा दम । पर भैया ई स्पिन्‍स पर लगे इस गीत की क्‍वालिटी में कुछ खोट है । चूं चपर सुनाई दे रही है मित्र

Manish Kumar on जनवरी 16, 2008 ने कहा…

गडबडी ठीक कर दी है यूनुस भाई. पोस्ट करते वक्त जांच नहीं पाया था

Unknown on जनवरी 16, 2008 ने कहा…

अलग आवाज़ है, घुमक्कड़ सा गाना, टहलते टहलते गुनगुनाने वाला - [मनीष - यहाँ भी आवाज़ थोड़ी रुक-रुक के आती है] - rgds manish

Manish Kumar on जनवरी 23, 2008 ने कहा…

जोशिम गीत को अब लाइफलॉगर पर कम्प्रेस कर के लगाया है। शायद अब आपको दिक्कत ना हो !

Urvashi on मार्च 05, 2008 ने कहा…

I like this song. But I like 'Pyar ki yeh kahani suno" from this movie even more. :)

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie