नीरज श्रीधर पहली बार लोगों की नज़र में तब चढ़े थे जब उन्होंने पुराने हिदी नग्मों को एक नए रूप में पेश किया था। , जो सामान्य रिमिक्स संगीत से अलहदा था। इसलिए इनके द्वारा पुनर्निर्मित वो चली वो चली...., छोड़ दो आँचल.... और हवा में उड़ता जाए.... जैसे गीत समीक्षकों द्वारा भी सराहे गए थे।
दिलचस्प बात ये है कि बॉम्बे वाइकिंग नामक बैंड की शुरुआत भारत में नहीं बल्कि स्वीडन जैसे देश में शुरु हुई, जहाँ वो पले बढ़े हैं। सुदूर पश्चिम के इस देश में इस तरह का नाम चुनने का कारण बस इतना था कि वो चाहते थे कि स्वीडन में उनके बैंड के भारतीय रिश्ते को लोग महसूस कर सकें। अपने शुरुआत के दिनों में मैकडानल्ड में काम करने वाले नीरज को संगीत में जैज (Jaaz) बेहद प्रिय है।
तो आइए लौटें गीत की तरफ जिसमें विशाल-शेखर की धुन ऐसी है जो गीत पर हावी नहीं होती पर उसे खूबसूरती से उभरने में सहायता प्रदान करती है। जावेद के बोल दिल में उमंगें जगाते हैं और नीरज की दिलकश आवाज़ मन को मोहती चली जाती है।
आँखों की हर डाली पर खिल गए....
फूल कई, जब दिल से दिल मिल गए....
आँखें आँखों से, कहने लगीं हैं, इक नई दास्तां.........
हलके हलके, रंग छलके, जाने अब क्या होने को है...
साहिल पे जैसे, आती हैं लहरा के मौजें
दिल में आई हैं उमंगें
भीगीं हवाएँ गाती हैं मीठी सी धुन में
जागी जागी हैं तरंगें
अज़नबी जो, कल मिले थे
फ़ासले उनके कम हो गए
हलके हलके, रंग छलके, जाने अब क्या होने को है
फूलों की रुत में भँवरे भी दीवाने से हैं
कलियाँ खिलती हैं शर्मीली
अब जिंदगी ने ओढ़ी है इक महकी महकी
ख्वाबों की चादर रँगीली
तुम से मिलके, साथ चलके
क्या से क्या देखो हम हो गए
हलके हलके रंग छलके, जाने अब क्या होने को है
तो आइए सुनें ''हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड' फिल्म से लिया हुआ ये प्यारा सा नग्मा
तो आइए लौटें गीत की तरफ जिसमें विशाल-शेखर की धुन ऐसी है जो गीत पर हावी नहीं होती पर उसे खूबसूरती से उभरने में सहायता प्रदान करती है। जावेद के बोल दिल में उमंगें जगाते हैं और नीरज की दिलकश आवाज़ मन को मोहती चली जाती है।
आँखों की हर डाली पर खिल गए....
फूल कई, जब दिल से दिल मिल गए....
आँखें आँखों से, कहने लगीं हैं, इक नई दास्तां.........
हलके हलके, रंग छलके, जाने अब क्या होने को है...
साहिल पे जैसे, आती हैं लहरा के मौजें
दिल में आई हैं उमंगें
भीगीं हवाएँ गाती हैं मीठी सी धुन में
जागी जागी हैं तरंगें
अज़नबी जो, कल मिले थे
फ़ासले उनके कम हो गए
हलके हलके, रंग छलके, जाने अब क्या होने को है
फूलों की रुत में भँवरे भी दीवाने से हैं
कलियाँ खिलती हैं शर्मीली
अब जिंदगी ने ओढ़ी है इक महकी महकी
ख्वाबों की चादर रँगीली
तुम से मिलके, साथ चलके
क्या से क्या देखो हम हो गए
हलके हलके रंग छलके, जाने अब क्या होने को है
तो आइए सुनें ''हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड' फिल्म से लिया हुआ ये प्यारा सा नग्मा
इस संगीतमाला के पिछले गीत
- पायदान १९ - लमहा ये जाएगा कहाँ..... गीत - प्रशांत पांडे संगीत - अग्नि चलचित्र - दिल दोस्ती ईटीसी
- पायदान २० - जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए... गीत - सईद क़ादरी संगीत - मिथुन चलचित्र - दि ट्रेन
- पायदान २१ - आँखों में तेरी अज़ब सी ... गीत - जावेद अख्तर संगीत - विशाल शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
- पायदान २२- तो फिर आओ.. मुझको सताओ गीत - सईद कादरी संगीत - प्रीतम चलचित्र - आवारापन
- पायदान २३- कसक उठी मेरे मन में पिया गीत-आनंद राज 'आनंद' संगीत-आनंद राज 'आनंद' चलचित्र छोड़ो ना यार
- पायदान २४ : झूम बराबर झूम... गीत-गुलज़ार संगीत-शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र झूम बराबर झूम
- पायदान २५ : बस दीवानगी दीवानगी है.... गीत जावेद अख्तर संगीत विशाल- शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
5 टिप्पणियाँ:
बढि़या गीत है । सच तो ये है कि पहले मुझे ये महाशय पसंद नहीं थे । पर धीरे धीरे अपनी राय बदल रही है । इन दिनों उनके गाए कुछ गीत अच्छे लगे हैं , बंदे में है थोड़ा दम । पर भैया ई स्पिन्स पर लगे इस गीत की क्वालिटी में कुछ खोट है । चूं चपर सुनाई दे रही है मित्र
गडबडी ठीक कर दी है यूनुस भाई. पोस्ट करते वक्त जांच नहीं पाया था
अलग आवाज़ है, घुमक्कड़ सा गाना, टहलते टहलते गुनगुनाने वाला - [मनीष - यहाँ भी आवाज़ थोड़ी रुक-रुक के आती है] - rgds manish
जोशिम गीत को अब लाइफलॉगर पर कम्प्रेस कर के लगाया है। शायद अब आपको दिक्कत ना हो !
I like this song. But I like 'Pyar ki yeh kahani suno" from this movie even more. :)
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