चंदा यानि चाँद को संबोधित इस छोटे से गीत के मुख्य सितारे हैं इसके संगीतकार शान्तनु मोइत्रा । जैसे ही आप इस गीत के मुखड़े को सुनते हैं, मन अज़ीब सी शांति से तर जाता है और इसकी सुरीली पंक्तियों को गुनगुनाने के लोभ से अपने आपको मैं अलग नहीं रख पाता। 'परिणिता' के उस सरताज गीत और इस गीत में एक समानता तो जरूर है। और वो है पार्श्व में रह-रह कर बजते घुंघरुओं की झनझनाहट। गौर करने की बात है कि पीछे से हल्के हल्के बजता संगीत आपका ध्यान गीत के बोलों पर जमाए रखता है। बीच-बीच में आती बाँसुरी और तबले की संगत भी मन को आनंदित करती चलती है। तो आइए इस गीत के बोलों से पहले रूबरू हो लें
चंदा रे, चंदा रे धीरे से मुसका
हौले से हौले से
पलकों में छुप जा
हौले से हौले से... छन छन छन छन छन छन खन छना
बादल के झूले पे...खन खन खन खन खन खन खन खना
हौले से हौले से,बादल के झूले पे
मुसका
चंदा रे, चंदा .......छुप जा
अरे लुक्का छिपी खेले चंदा तारों के संग
कौन थामे डोरी, तू है किसकी पतंग
चंदा ओ रे चंदा तेरा कैसा गुरूर
हँस दे जरा सा बरसा दे तू नूर
चंदा रे, चंदा रे धीरे से मुसका
हौले से हौले से
पलकों में छुप जा
इस गीत के बोल लिखे हैं स्वानंद किरकिरे ने जो मेरी गीतमाला में हर साल ऊपर की पायदानों में अपना दखल अवश्य रखते हैं। स्वानंद की बात इस गीतमाला में आगे भी होगी पर अगर आपने गीत सुनना शुरु कर दिया है तो आपका ध्यान हवा के झोंके सी ताज़ी इस नई आवाज़ पर अवश्य गया होगा।
इसे गाया है पुणे में जन्मी ३५ वर्षीय हमसिका अय्यर ने जो गोरेगाँव, मुंबई निवासी हैं और १९९५ में सा रे गा मा... पे हिस्सा भी ले चुकी हैं। हमसिका के पिता संगीतज्ञ हैं और बांसुरी बजाते हैं। इस गीत को सुनने के कई घंटे बाद भी उनकी स्पष्ट गायिकी दिलो दिमाग में गूंजती रहती है। आशा है हमसिका आगे भी अपने गायन से संगीतप्रेमियों का दिल जीतती रहेंगी। तो आइए सुनें एकलव्य दि रॉयल गार्ड जो इस साल भारत की ओर से आस्कर पुरस्कारों के लिए आधिकारिक तौर पर नामांकित फिल्म है, के इस गीत को
इस संगीतमाला के पिछले गीत
- पायदान १५ - जब भी सिगरेट जलती है.. गीत - गुलज़ार संगीत - विशाल भारद्वाज चलचित्र - नो स्मोकिंग'
- पायदान १६ - रोज़ाना जिये रोज़ाना मरें.. गीत - मुन्ना धीमन संगीत - विशाल भारद्वाज चलचित्र - निशब्द
- पायदान १७ - बम बम बोले..... गीत - प्रसून जोशी संगीत - शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र - तारे जमीं पर
- पायदान १८ - हलके हलके रंग छलके ..... गीत - जावेद अख्तर संगीत - विशाल-शेखर चलचित्र - हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड
- पायदान १९ - लमहा ये जाएगा कहाँ..... गीत - प्रशांत पांडे संगीत - अग्नि चलचित्र - दिल दोस्ती ईटीसी
- पायदान २० - जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए... गीत - सईद क़ादरी संगीत - मिथुन चलचित्र - दि ट्रेन
- पायदान २१ - आँखों में तेरी अज़ब सी ... गीत - जावेद अख्तर संगीत - विशाल शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
- पायदान २२- तो फिर आओ.. मुझको सताओ गीत - सईद कादरी संगीत - प्रीतम चलचित्र - आवारापन
- पायदान २३- कसक उठी मेरे मन में पिया गीत-आनंद राज 'आनंद' संगीत-आनंद राज 'आनंद' चलचित्र छोड़ो ना यार
- पायदान २४ : झूम बराबर झूम... गीत-गुलज़ार संगीत-शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र झूम बराबर झूम
- पायदान २५ : बस दीवानगी दीवानगी है.... गीत जावेद अख्तर संगीत विशाल- शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
11 टिप्पणियाँ:
madhur geet sunvaaney ka shukriyaa..manish ji
वाकई इस गीत को सुनकर आश्चर्य भी होता है की इस तरह का संगीत आज के जमाने मे भी लोग बनाते है।
शान्तनु मोईत्रा ने परिणिता में भी कमाल बताया था और इस गाने में .. वाह लाजवाब गीत।
गायिका और संगीतकार दोनों ने कमाल किया है।
धन्यवाद मनीष जी!
वाह मनीष भाई. मस्त कर दिया आप ने. क्या बात है ...
क्या बात है इस बार बहुत विस्तार से हर गाने को टटोला जा रहा है, आपने २५ से शुरू किया, अब तक मैं नही जुड़ पाया था पर आज पूरी लिस्ट देख ली है, अच्छे गाने चुने हैं, दीवानगी दीवानगी श्याद मशहूर है इसलिए लिस्ट में है, या आपको वाकई पसंद है, सईद कादरी को श्याद थोडी और तारीफ मिलनी चाहिए थी, इतने गानों में हिमेश को नदारद देखना अजीब लगा, नमस्ते london का संगीत जोरदार है
बहुत ही मधुर गीत है, हमें तो वैसे परिणीता के सभी गीत बहुत पसंद है। लेकिन जिस तरह आप गाने की सब डिटेलस की खोज बीन करते है वो उस गाने को और यादगार बना देता है, हम तो अक्सर पिक्चर का नाम भी भूल जाते हैं।
आज कल जो गीत हमारे जहन में धर किए बैठा है वो है 'हम तो ऐसे है भैया' अगर आप को भी पसंद आया हो तो सुनवायें, हमें उस गाने में छुपा ठसके वाला एटीटूड बहुत भाया।
पारुल, ममता जी, मीत और सागर भाई गीत पसंद करने का शुक्रिया !
ममता जी ऍसे गीत बनते तो हैं पर उनकी संख्या कम है। ऍसे गीतों को सामंन्यतः नहीं सुन पाने का कारण यह भी कि ये जिन फिल्मों में रहते हैं वो ज्यादा चल नहीं पाती हैं और गीत संगीतकार की मेहनत बेकार चली जाती है
सजीव पिछली बार जब दिल्ली में मिले थे तो आपसे कहा था कि ये गीतमाला मेरे चिट्ठे का सालाना हिस्सा है। रोमन चिट्ठे पर ये सिलसिला २००४ के गीतों से और हिंदी पर २००६ के गीतों से हर साल इसी अंदाज में जनवरी फरवरी में चलता है। अब चलिए आपके प्रश्नों का सिलसिलेवार उत्तर देता चलूँ।
१. गीतमाला की शुरुआत के गीत यानि २५ से २१ वाले गीत (Deewangi included...) को मैंने किसी हद तक enjoy किया है पर वो मेरे पसंदीदा गीतों की श्रेणी में नहीं आते इसलिए मैंने उन पर मनभावन गीत का टैग नहीं लगाया। वैसे लिस्ट में कोई भी गीत मशहूर होने से नहीं बल्कि मेरी पसंद की वज़ह से ही है। हाँ ये जरूर है कि मैं गीत के बोलों को मैं अपेक्षाकृत ज्यादा महत्त्व देता हूँ।
२. हीमेश रेशमिया को बतौर गायक मैं कुछ खास पसंद नहीं करता इसलिए वो आपको मेरी गीतमाला से नदारद ही दिखेंगे।
३. नमस्ते लंदन का संगीत अच्छा है और उसका एक गीत मेरी लिस्ट के शुरुआती दस गीतों में है।
४. सईद कादरी की बात से याद आया कि पिछले साल की गीतमाला में उनकी तारीफ पढ़ते हुए ही यूनुस भाई मेरे चिट्ठे पर पहुँचे थै। सो निश्चिंत रहें कादरी साहब की लेखन शैली का मैं भी प्रशंसक हूँ।:) मुस्तफ़ा ज़ाहिद के गीतों के बोल originally पाक में लिखे गए थे इसलिए कादरी साहब को वहाँ मैंने ज्यादा तवोज्जह नहीं दी थी।
शुक्रिया कि एक उदीयमान गीतकार की राय पढ़ने को मिली। आगे भी तुम्हारे विचार जानने की उत्सुकता रहेगी।
अनीता जी इस पोस्ट मैं मैंने जिक्र किया है ना कि स्वानंद किरकिरे के गीतों की चर्चा आगे भी होती रहेगी। जो गीत आपके ज़ेहन में है वो भी स्वानंद जी का ही है और हमारी लिस्ट में भी हैं। उसका नंबर आते ही वो इस चिट्ठे पर बजाया जाएगा।
मनीष -पता नहीं क्यों ये गाना सुन के लगता है कि पुराने इक्के / तांगे के पीछे बैठ कर चल रहे हैं - स्वानंद किरकिरे के "लागा चुनरी में दाग" वाले गाने भी बहुत अच्छे हैं - " हमतो ऐसे हैं भईया" खासकर -rgds- मनीष
Hmm... I don't care for this song too much...
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