तो देवियों और सज्जनों हफ्ते भर की गैरमौज़ूदगी के बाद फिर उपस्थित हूँ अपनी गीतमाला के प्रथम दस गीतों में से 10 वीं पायदान के गीत के साथ। ये गीत लाया है अपने साथ शास्त्रीय संगीत की मधुरता। सुर और ताल का अद्भुत संगम है ये गीत। इसे गाया है कोकिल कंठी श्रेया घोषाल ने और आलाप में उनका साथ दिया है एम. जी. श्रीकुमार ने। भूलभुलैया फिल्म के इस गीत के बोल लिखे समीर ने और इसकी धुन बनाई प्रीतम ने।
श्रेया घोषाल की मधुर आवाज मुझे 'जिस्म' और 'देवदास' के समय से अच्छी लगती रही है। इस गीत में भी उनकी गायिकी कमाल की है।
प्रीतम ने भी इस गीत के माध्यम से ये सिद्ध किया है कि सिर्फ फ्यूजन ही नहीं बल्कि विशुद्ध भारतीय संगीत पर आधारित सुंदर धुनें भी, वो बना सकते हैं।
श्रीकुमार केरल के वरिष्ठ गायकों में एक हैं। शास्त्रीय संगीत की गायन प्रतिभा श्रीकुमार को अपने पिता गोपालन नायर से विरासत में मिली है। अब तक मलयालम, तमिल , तेलगु और हिंदी फिल्मों में ३००० से ज्यादा गीत गाने वाले श्रीकुमार का सपना है कि आने वाली पीढ़ी उन्हें ऐसे गायक के रूप में याद रखे जिसने शास्त्रीय संगीत को अपने गायन से समृद्ध किया। 1990 में वे संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
इस गीत के बोलों का टंकण एक दुसाध्य काम था पर मुझे लगा कि बिना शास्त्रीय आलापों के ये गीत अधूरा-अधूरा सा लगता. सो जहाँ तक हो सका मैंने बोलों में उनका समावेश किया है।
मेरे ढोलना सुन, मेरे प्यार की धुन
मेरे ढोलना सुन
मेरी चाहतें तो फ़िजा में बहेंगी
जिंदा रहेंगी हो के फ़ना
ताना ना ना तुम...ताना ना ना तुम..ताना ना ना तुम..ताना ना ना तुम
ता ना धी रे, ता ना धी रे, धी रे ना
मेरे ढोलना सुन..
साथी रे साथी रे मर के भी तुझको चाहेगा दिल
तुझे ही बेचैनियों में पाएगा दिल
मेरे गेसुओं के साये में, तेरी राहतों की खुशबू है
तेरे बगैर क्या जीना, मेरे रोम रोम में तू है
मेरी चूड़ियों की खन खन से, तेरी सदाएँ आती हैं
ये दूरियाँ हमेशा ही नजदीक कहाँ बुलाती हैं
ओ पिया.....
सा नि ध, नि ध मा
मा ग स नि ध नि स ग मा
मा ग स नि ध नि स ग
मा ग स नि ध नि स ग
मा ग मा ग
सा नि ध ग प ध नि
सा नि ध ग प ध नि
सा नि ध नि
ध नि सा, ध नि सा, ध नि सा, ध नि सा
म ध नि, म ध नि, म ध नि, म ध नि,
ध नि सा, ध नि सा, ध नि सा
म ध नि, म ध नि, म ध नि
म ध नि सा, म ध नि सा, म ध नि सा, म ध नि सा,
सा नि ध मा, सा नि ध मा, सा नि ध मा, सा नि ध मा
मा मा ग ग सा सा नि नि
सा सा नि नि धा धा नि नि
सा सा नि नि धा धा मा मा
सा सा नि नि धा धा ग ग
नि नि सा सा सा
नि धा सा सा सा
म ग सा सा सा
मेरे ढोलना सुन..
साँसों में साँसों में, तेरी सरगमें हैं, अब रात दिन
जिंदगी मेरी तो कुछ ना, अब तेरे बिन
तेरी धड़कनों की सरगोशी, मेरी धड़कनों में बजती है
मेरी जागती निगाहों में, ख्वाहिश तेरी ही सजती है
मेरे खयाल में हर पल तेरे खयाल शामिल हैं
लमहे जुदाईयों वाले, मुश्किल बड़े ही मुश्किल हैं
ओ पिया...
नि सा, नि सा, नि सा, नि सा
ध नि, ध नि, ध नि, ध नि
प ध, प ध, प ध, प ध,
ग म प ध, नि रे स
ग म प ध. नि रे स
पा नि नि स, पा नि नि स, पा नि नि स, पा नि नि स
गा म प ध, नि ध प ध, नि ध प ध, नि सा
गा म प ध, नि ध प ध, प म ग म, ग रे सा नि. ध नि सा गा, मा गा सा गा, मा पा धा पा, धा नि सा
नि सा, नि सा, नि सा, नि सा, नि सा
ध नि, ध नि, ध नि, ध नि, ध नि......................
(इसके आगे बड़ी कोशिश के बाद भी लिख नहीं पाया )
तो आएँ इस गीत के बोलों को पढ़ते हुए इस गीत का आनंद उठाएँ..
हाल ही में स्टार टीवी के 'छोटे उस्ताद' कार्यक्रम की एक प्रतिभागी अन्वेषा दत्ता ने भी इस गीत को गाने के लिए चुना। आप उनकी कोशिश यहाँ देख सकते हैं।
6 टिप्पणियाँ:
बताइए ,गौर ही नही किया था। सुन्दर,धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर गीत सुनवाने का शुक्रिया।
pahale kabhi suna nahi tha...aur aaj bhi nahi sun paai
Sahi! Shreya no doubt accha gaati hein...aur MG ke meine malayalam geet sune hein....oonhein hamesha Yesudas ji ke baad hee darza diya jaata hai aur oonki hindi mein gaaye geet aksar bhasha ki wajah se thodi maar kha jati hai lekin iss geet ka jo vivran tumne diya hai woh waqai sahi mein tareef-e-kabil hai
Shukriya
अफ़लू जी और नितिन गीत पसंद करने का शुक्रिया !
कंचन अरे ! ऍसा क्यूँ हुआ। शीघ्र ही आपको ये गीत मेल करता हूँ।
डॉन शुक्रिया श्रीकुमार के बारे में इस जानकारी को बाँटने के लिए
बडी मेहनत की है आपने. उम्दा गीत है.
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