गुरुवार, फ़रवरी 14, 2008

वार्षिक संगीतमाला २००७ : पायदान ८ - वैलेंटाइन डे स्पेशल !

आज वैलेंटाइन डे है। पहली बार जब वैलेंटाइन डे के चर्चे सुने थे तो मन ही मन एक मुस्कुराहट जरूर दौड़ गई थी कि चलो भाई हमारी ना सही, अब आज की पीढ़ी को इज़हार-ए-दिल करने के लिए कोई तो दिन मिला। वर्ना एक ज़माने वो भी था कि लोग बाग अपनी उन तक पहुँचने के लिए घर, कॉलेज और कोचिंग तक रिक्शे का पीछा करते थे। मामला घर के बगल का हुआ तो प्रेम पत्र पत्थर से छत पर फेंका जाता था, या सिर्फ खिड़कियों से हाथ हिलाने से ही रात की नींदे हराम हो जाया करती थीं। और अगर दिल की अंदरुनी हालत काबू के बाहर हो जाए तो वो अनायास ही उनके सामने जा कर आई लव यू बोल देने की हिम्मत भी कुछ वीर बांकुड़े दिखा ही जाते थे। जो कुछ ज्यादा दूरदर्शी होता वो फेल सेफ कंडीशन लॉजिक का प्रयोग कर जेब में एक डोरी भी रखता कि मामला कुछ उलटा पड़ा तो उनके थप्पड़ के पहले अपनी भूल का अहसास करने वाले भाई का हाथ आगे होगा।:)

तो ना हम ऊपर की किसी कवायद का हिस्सा बन पाए ना ही वैलेंटाइन डे से अपने आप को जोड़ सके। पर ये स्पष्ट करना चाहूँगा कि प्रेम को महिमामंडित करते हुई कोई पर्व मनाने में मेरी पूरी आस्था है । भले ही हम, "है प्रीत जहाँ की रीत वहाँ..... जैसे गीत गाते रहें फिर भी इस बात को नज़रअंदाज नहीं कर सकते कि ये देश वैसे लोगों का भी है जो भाषा, धर्म, जाति के आधार पर नफ़रत के बादल सदा फैलाते आए हैं और रहेंगे। प्रेम में वो शक्ति है जो इन व्यर्थ की दीवारों को तोड़ने के लिए हमें प्रेरित करती है।

और हम साल दर साल इसी बात को एक पर्व के माध्यम से नई पीढ़ी के सामने रखें तो इसमें बुराई क्या है? हाँ ये जरूर है कि अगर ये पर्व, वसंतोत्सव या अपनी संस्कृति से जुड़े किसी अन्य रूप में मनाया जाए तो समाज का हर वर्ग इसे अपने से जोड़ कर देख सकता है।

ये सुखद संयोग है कि इस गीतमाला की आठवीं पायदान का गीत प्रेम के रस से पूरी तरह सराबोर है। इसे गाया शान ने, बोल लिखे समीर ने और इस गीत की धुन बनाई मोन्टी शर्मा ने। मोन्टी शर्मा संगीतकार प्यारेलाल के भतीजे और अपने दादा पंडित राम प्रसाद शर्मा के शिष्य हैं। मोन्टी खुद एक कीबोर्डप्लेयर हैं और इससे पहले उन्होंने फिल्म ब्लैक का बैकग्राउंड स्कोर दिया था। इस गीत की खूबसूरती है इसकी मधुर लय और संगीत में, जिसे शान ने अपनी आवाज़ के जादू से और उभारा है

मेरे मित्रों और एक शाम मेरे नाम के पाठकों को इस दिन की हार्दिक बधाई। मेरी मनोकामना है कि आप सब प्रेम के अभूतपूर्व अनुभव से अपने जीवन में आज नहीं तो कल जरूर गुजरें।

तो आइए प्रेम का ये पर्व मनाएँ सांवरिया से लिखे इस प्यारे से गीत के साथ....
जब से तेरे नैना..., मेरे नैनों से, लागे रे
तबसे दीवाना हुआ, सबसे बेगाना हुआ
रब भी दीवाना लागे रे..........




पुनःश्च (१५.२.२००८)
कल रात अपने ६ वर्षीय बेटे से बात हो रही थी की वेलेंटाइन डे के दिन लोग एक दूसरे को फूल भेंट करते हैं और वो भी खास गुलाब के। बेटे ने झट से कहा गुलाब...मुझे तो वो ज़रा भी पसंद नहीं।
तो फिर आप क्या लोगे किसी से?
तपाक से उत्तर मिला बस "एक केला दे दे तो कितना अच्छा लगेगा।"

बेटे के इस उत्तर को सुन कर हमारा हँसते हँसते बुरा हाल हो गया। सोचा आप सब से बाँटता चलूँ। :)
Related Posts with Thumbnails

11 टिप्पणियाँ:

Yunus Khan on फ़रवरी 14, 2008 ने कहा…

सांवरिया को देखना एक टॉर्चर था मेरी नज़रों में । लेकिन इस फिल्‍म का बस यही गीत मुझे पसंद है ।
बढि़या है । मॉन्‍टी ने शानदार संगीत दिया है । और शान ने बढि़या गाया है ।

बेनामी ने कहा…

बढिया दिन चुना है आपने इस गीत के लिये :). प्रेम के बारे आपने लिखा भी बहुत उम्दा है...हम यही कहेंगे कि 'प्यार बाँटते चलो.....

Udan Tashtari on फ़रवरी 14, 2008 ने कहा…

मौके पर सही गीत- सही पायदान.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` on फ़रवरी 15, 2008 ने कहा…

मनीष भाई, ये गाना बड़ा मधुर बना है
सुनवाने का शुक्रिया

SahityaShilpi on फ़रवरी 15, 2008 ने कहा…

मनीष जी!
आपकी वर्षिक संगीतमाला का सफ़र अच्छा लगा. यद्यपि समयाभाव के चलते लगातार नहीं पढ़ पाता परंतु मौका लगने पर पढ़ ज़रूर लेता हूँ. एक से एक सुंदर गीत सुनने को मिले हैं अब तक जो आपकी जानकारी व विश्लेषण से और भी खूबसूरत हो उठते हैं.
बहुत आभार इस क्रम को शुरू करने का!

Anita kumar on फ़रवरी 16, 2008 ने कहा…

सांवरिया तो नहीं देखी लेकिन ये गीत मेरा भी पंसदीदा गीत है, सुनवाने का धन्यवाद्…और गीतों का इंतजार है

Sneha Shrivastava on फ़रवरी 17, 2008 ने कहा…

Nice Song :)

Manish Kumar on फ़रवरी 17, 2008 ने कहा…

यूनुस इस बारे में एक बहस हुई थी अभय और आप में। मैंने साँवरिया देखी नहीं। हाँ इस फिल्म का एक और गीत थोड़े बदमाश... भी मेरी पसंद का है पर इस गीतमाला में उसे शामिल नहीं कर सका।

रचना जी , समीर जी, अनीता जी, लावण्या जी, स्नेहा आप सब को भी ये गीत भाता है जानकर अच्छा लगा।

अजय भाई आपकी व्यस्तता मैं समझ सकता हूँ। मैं तो खुद भी चाह कर अपनी पसंद के सारे चिट्ठे नियमित रूप से नहीं पढ़ पाता।

Dawn on फ़रवरी 18, 2008 ने कहा…

Sanwariya movie to bahut bekar lagi lekin haan ye aur kuch aur gaane acche lage!

Cheers

कंचन सिंह चौहान on फ़रवरी 18, 2008 ने कहा…

sabhi logo ke vichar se bilkul alag Sa.nvariya mujhe bahut achchhi lagi.... sidhi si philosophy ki ap jis cheej ke peechhe bhag rahe hai vo kisi aur ke peechhe bhag rahi hai...! kai scene bhi mujhe touching lage aur ye song bhi kafi melodious sa laga... thode badmaash vala gan bhi achchha lagta hai mujhe.
thanks

Urvashi on मार्च 09, 2008 ने कहा…

This is my fav song from this movie... :)

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie