हाँ तो दोस्तों करीब डेढ़ महिने की संगीतमय यात्रा को पूरा कर मैं आ पहुँचा हूँ इस संगीतमाला की 5 वीं सीढ़ी पर। अब इस गीत के बारे में लिखने के लिए मुझे कुछ ज्यादा नहीं करना क्योंकि पिछले सितंबर में इस के बारे में मैं विस्तार से लिख चुका हूँ। जी हाँ पाँचवी पायदान के हीरो हैं रब्बी शेरगित जिनके इस गीत को फिल्म दिल्ली हाइट्स में शामिल किया गया था। तो आइए एक बार फिर से बात करें इस गीत के बारे में....
पश्चिमी रॉक , लोक संगीत और सूफ़ियाना बोल का मिश्रण सुनने में आपको कुछ अटपटा सा नहीं लगता। ज़ाहिर है जरुर लगता होगा। मुझे भी लगा था जब मैंने इस नौजवान को नहीं सुना था। पर 2005 में जब मैंने 'बुल्ला कि जाणा मैं कौन' सुना तो रब्बी शेरगिल की गायिकी का मैं कायल हो गया। आज, बुल्ले शाह के सूफी लफ़्जों को गिटार के साथ इतने बेहतरीन ढ़ंग से संयोजित कर प्रसिद्धि पाने वाले रब्बी शेरगिल किसी परिचय के मुहताज़ नहीं हैं। आज की तारीख़ में उनके पास प्रशंसकों की अच्छी खासी जमात है। पर रब्बी को ये शोहरत आसानी से नहीं मिली।
सितंबर १९८८ में ब्रूस स्प्रिंगस्टीन के कान्सर्ट में संगीत को अपना पेशा चुनने की ख़्वाहिश रखने वाले रब्बी सत्रह साल बाद अपना खुद का एलबम निकालने का सपना पूरा कर पाए। ख़ैर बुल्ला ..के बाजार में पहुँचने की दास्तान तो अपने आप एक पोस्ट की हकदार है, वो बात कल करेंगे। आज चर्चा करेंगे रब्बी के गाए इस गीत की जिसे एक बार सुन कर ही मन प्रेमी के शब्दों की मासूमियत में बहता चला जाता है। अब देखिए ना, पंजाबी मेरी जुबान नहीं फिर भी इस गीत के बोल, पंजाब की मिट्टी की ख़ुशबू मेरे इर्द गिर्द फैला ही जाते हैं।
अब भला एक अच्छे व्यक्तित्व के स्वामी, गिटार के इस महारथी को पंजाबी में गाने की कौन सी जरुरत आन पड़ी? रब्बी इस प्रश्न का जवाब कुछ यूं देते हैं....
"...हम जाट सिख लोगों को अपनी भाषा पर गर्व है। वो मेरे ज़ेहन से नहीं निकल सकती। दूसरी भाषा में सोचने का मतलब उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर लेना होगा। वैसे भी अंग्रेजी में गाकर मुझे दूसरे दर्जे का रॉक सिंगर नहीं बनना। मैं कभी भूल नहीं सकता कि मैं कौन हूँ. ....."
काश हमारे हिंदी फिल्मों के कलाकार भी अपनी भाषा के बारे में ये सोच रखते!
खैर रब्बी की आवाज, उनके खुद के लिखे बोल, अंतरे के बीचों-बीच में गिटार की मधुर बंदिश इस गीत में खोने के लिए काफ़ी हैं। तो लीजिए इस गीत का आनंद उठाइए। क्या कहा पंजाबी नहीं आती !
गीत का दर्द तो आप इसकी भाषा जाने बिना भी महसूस कर सकेंगे पर आपकी सुविधा के लिए इस गीत का हिंदी अनुवाद भी इसके बोल के साथ साथ देने की कोशिश की है।
तेरे बिन, सन सोणिया
कोई होर नहींऽओ लभना
जो देवे, रुह नूँ सकून
चुक्के जो नखरा मेरा
कोई होर नहींऽओ लभना
जो देवे, रुह नूँ सकून
चुक्के जो नखरा मेरा
तुम्हारे सिवा इस दुनिया में मूझे कोई और पसंद नहीं। तुम्हारे आलावा कौन है जो मेरे नखरे सहे और जिस का साथ दिल को सुकून दे सके?
मैं सारे घूम के वेखिया, अमरीका, रूस, मलेशिया
ना किते वी कोई फर्क सी, हर किसे दी कोई शर्त सी
कोई मंगदा मेरा सी समा, कोई हूंदा सूरत ते फ़िदा
कोई मंगदा मेरी सी वफा, ना कोई मंगदा मेरियां बला
तेरे बिन, होर ना किसे, मंगनी मेरियां बला
तेरे बिन, होर ना किसे, करनी धूप विच छां
तेरे बिन, सन सोणिया...
मैंने कहाँ कहाँ घूम कर नहीं देखा, अमरीका हो या रूस, या फिर मलेशिया। कहीं कोई फर्क नहीं है, सारे मतलबी हैं। सबकी कोई ना कोई शर्त है। कोई मेरा समय चाहता है तो कोई मेरे रूप पर मोहित है। किसी को वफादारी का वादा चाहिए। पर मेरी कमियाँ... वो तो कोई नहीं लेना चाहता....सिवाय तेरे। इसीलिए तो मैं कहता हूँ कि तुम मेरे लिए जिंदगी की इस कड़ी धूप में एक ठंडी छाँह की तरह हो।
जीवैं रुकिया, सी तुन ज़रा, नहीं ओ भूलणा मैं सारी उमर
जीवें अखियाँ सी अख्याँ चुरा, रोवेंगा सानू याद कर
हँस्या सी मैं हँसा अज़ीब, पर तू नहीं सी हँस्या
दिल विच तेरा जो राज सी, मैंनू तू क्यूँ नहीं दस्या
तेरे बिन, सानू एह राज, किसे होर नहींऽओ दसना
तेरे बिन, पीड़ दा इलाज, किस बैद कोलों लभना
तेरे बिन, सन सोणिया...
ना किते वी कोई फर्क सी, हर किसे दी कोई शर्त सी
कोई मंगदा मेरा सी समा, कोई हूंदा सूरत ते फ़िदा
कोई मंगदा मेरी सी वफा, ना कोई मंगदा मेरियां बला
तेरे बिन, होर ना किसे, मंगनी मेरियां बला
तेरे बिन, होर ना किसे, करनी धूप विच छां
तेरे बिन, सन सोणिया...
मैंने कहाँ कहाँ घूम कर नहीं देखा, अमरीका हो या रूस, या फिर मलेशिया। कहीं कोई फर्क नहीं है, सारे मतलबी हैं। सबकी कोई ना कोई शर्त है। कोई मेरा समय चाहता है तो कोई मेरे रूप पर मोहित है। किसी को वफादारी का वादा चाहिए। पर मेरी कमियाँ... वो तो कोई नहीं लेना चाहता....सिवाय तेरे। इसीलिए तो मैं कहता हूँ कि तुम मेरे लिए जिंदगी की इस कड़ी धूप में एक ठंडी छाँह की तरह हो।
जीवैं रुकिया, सी तुन ज़रा, नहीं ओ भूलणा मैं सारी उमर
जीवें अखियाँ सी अख्याँ चुरा, रोवेंगा सानू याद कर
हँस्या सी मैं हँसा अज़ीब, पर तू नहीं सी हँस्या
दिल विच तेरा जो राज सी, मैंनू तू क्यूँ नहीं दस्या
तेरे बिन, सानू एह राज, किसे होर नहींऽओ दसना
तेरे बिन, पीड़ दा इलाज, किस बैद कोलों लभना
तेरे बिन, सन सोणिया...
मैं जीवन भर भूल नहीं सकता वो दिन..जिस तरह तुम हौले से रुकी थी और मुझसे आँखे चुराते हुए कहा था कि मेरी याद तुम्हें रुलाएगी। इक अज़ीब सी हँसी हंसा था मैं पर तुम तो नहीं हँसी थी। तुमने क्यूँ नहीं कहा कि तुम्हारे दिल मे वो प्यारा सा राज नज़रबंद है। भला बताओ तो तुम्हारे आलावा ये राज मुझे कौन बता सकता है? तुम्हारे बिना वो कौन सा वैद्य है जो मेरे दिल का इलाज कर सकता है?
मिलिआँ सी अज्ज मैनू तेरा इक पत्रां
लिखिआ सी जिस तै, तुन शेर वारे शाह दा
पढ़ के सी ओस्नूँ, हांन्जू इक दुलिया
आँखांच बंद सी, सेह राज अज्ज खुलिया
कि तेरे बिन, एह मेरे हांन्जू, किसे होर नहींऽओ चुमना
कि तेरे बिन, एह मेरे हांन्जू मिट्टी विच रुंदणा
मिलिआँ सी अज्ज मैनू तेरा इक पत्रां
लिखिआ सी जिस तै, तुन शेर वारे शाह दा
पढ़ के सी ओस्नूँ, हांन्जू इक दुलिया
आँखांच बंद सी, सेह राज अज्ज खुलिया
कि तेरे बिन, एह मेरे हांन्जू, किसे होर नहींऽओ चुमना
कि तेरे बिन, एह मेरे हांन्जू मिट्टी विच रुंदणा
मुझे आज ही तेरा लिखा वो ख़त मिला जिसमें तूने वारिस शाह का वो शेर लिखा था। उसे पढ़कर अनायास ही आँसू का एक कतरा नीचे ढलक पड़ा.... वो राज खोलता हुआ जो मेरी आँखों मे अर्से से बंद था.। अब मेरे इन आँसुओं को तुम्हारे सिवा कोई और नहीं चूमेगा। सच तो ये है कि तुम्हारे बिना मेरे लिए इन आँसुओं को मिट्टी की गर्द फाँकना ही बेहतर है।
तेरे बिन, सन सोणिया
कोई होर नहींऽओ लभना
जो देवे, रुह नूँ सकून
चुक्के जो नखरा मेरा
इस गीत को दिल्ली हाइट्स में जिमी शेरगिल और नेहा धूपिया पर फिल्माया गया है। साथ-साथ रब्बी तो हैं ही..
8 टिप्पणियाँ:
पहले वाला गीत तो सुना था पर ये ज्यादा नही सुना था . सुनने पर अच्छा लगा.
सुंदर गीत । इस गाने को खूब खूब सुना है ।
ya I also like this song.
वाह मनीष् जी क्या गाना चुना है मेरे पास पूरा रिकॉर्ड है और कई बार सुना है, हर गाना एक से बढ़ कर एक और हर गीत में इतनी फ़िलोसफ़ी…॥ यहां सुन कर भी अच्छा लगा, अब जरा जुगुनी वाला गाना भी हो जाए एकदम सामयिक रहेगा, क्या कहते हैं ? ……:)
bulle shah ke phalshafe hamesha zindagi ko ek sakaraatmak nazariye se dekhne ke liye prerit karte hain. soofiyana sangeet ki to baat hi alag hoti hai.gaane ke bol aur gaayaki ka andaaz bahut hi acche hain.
abhi pichle hafte hi 9X channel par aane wale mission ustaad namak karyakram me kailash kher aur mahalakshmi iyyer ne ek swarachit geet gaaya tha jise bol the-
"dil na kisi ka tod ve bande, keh gaye bulle sah,
mooh na kisi se mod ve bande klah gaye bulle sah."
is gaane ko mission ustaad ke album me us hafte ke liye chuna gaya hai. mujhe purna vishwaas hai ki jab ye album baajaar me aayega to yeh gaana sabse jyaada pasand kiya jayega.
गीत पसंद करने के लिए आप सबका शुक्रिया !
अनीता जी जुगुनी भी एक अच्छी कम्पोजिशन है , पर मुझे ये ज्यादा पसंद है।
चारू इस जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मैंने वो कार्यक्रम नहीं देखा था. पर जब मौका मिलेगा इस गीत को अवश्य सुनूँगा
सागर भाई आपकी टिप्पणी मिली थी जो आपने बाद में हटा ली। रब्बी गायक के तौर पर आपको पसंद नहीं या फिर इस गीत में वो आपको जँचे नहीं?
I like this song a lot! The lyrics are really good!!
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