मेरी पसंद की कविताओं को समर्पित इस पृष्ठ की शुरुआत के लिए मुझे गोपाल दास 'नीरज' की इन पंक्तियों से बेहतर कोई पंक्ति नहीं लगती..
कविता एक चिड़िया है
जो अपना घोंसला तो
पेड़ की ऊँची से ऊँची शाख पर बनाती है
लेकिन जो अपना भोजन
धरती के गन्दे से गन्दे कोने में खोजती है !
इसलिए,
हे संसार के महापुरुषों !
कविता मत करो
क्योंकि सृजन के लिए
उसके साथ
तुम्हें भी जमीन की
गंदगियों में उतरना पड़ेगा।
काव्य चर्चा
मेरी प्रिय कविताएँ
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- आराम करो...गोपाल प्रसाद व्यास (Aaraam Karo... by Gopal Prasad Vyas)
- इक जरा छींक ही दो तुम...गुलज़ार (Ek Jara Cheenk Hi Do Tum... by Gulzar)
- इंतजार, इंतजार, बोलो कब तक करूँ मैं इंतजार ?...प्रसून जोशी (Intezar..Intezar... by Prasoon Joshi)
- इस बार नहीं ..प्रसून जोशी (Is Baar Nahin by Prasoon Joshi)
- एक दीपक किरण-कण हूँ...डा. राम कुमार वर्मा (Ek Deepak Kiran Kan Hoon by Dr. Ram Kumar Verma)
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- कौन सा मौसम लगा है ..दर्द भी लगता सगा है....अज्ञात (Koun sa Mousam Laga Hai... by Unknown)***
- कविराजा कविता के मत अब कान मरोड़ो कवि भरत व्यास उनके ख़ुद के स्वर में (Kavita ke Ab Mat Kaan Marodo... by Bharat Vyas)
- खोलो प्रियतम खोलो द्वार... डा. राम कुमार वर्मा (Kholo Priytam Kholo Dwar... by Dr. Ram Kumar Verma)
- चार विचार...गोपालदास 'नीरज ' (Char Vichaar by Gopaldas 'Neeraj')
- छिप छिप अश्रु बहाने वाले...गोपालदास 'नीरज' (Chip Chip Ashru Bahane Wale.. by Gopaldas 'Neeraj')
- जले तो जलाओ गोरी..इब्ने इंशा (Jale To Jalao Gori by Ibne Insha)
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- दीवट(दीप पात्र) पर दीप....बालकवि बैरागी (Deevat par Deep.... by Balkavi Bairagi)
- नर हो ना निराश करो मन को... मैथलीशरण गुप्त (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko by Maithilisharan Gupt
- फिर क्या होगा उसके बाद ? ....बालकृष्ण राव (Phir Kya Hoga Uske Baad... by Balkrishna Rao
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- मधुशाला की चंद रुबाइयाँ ..हरिवंशराय बच्चन, स्वर - मन्ना डे भाग १ , भाग २ (Madhushala by 'Bachchan')
- मैं एक अघोषित पागल हूँ..रामदत्त जोशी (Main Ek Aghoshit Pagal Hoon by Ramdutt Joshi)
- मैं हूँ उनके साथ,खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़...हरिवंशराय बच्चन, स्वर - अमिताभ बच्चन (Main Hoon Unke Sath Khadi... by 'Bachchan')
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- ये गजरे तारों वाले?...डा. राम कुमार वर्मा (Ye Ghazre Taron Wale.... by Dr. Ram Kumar Verma)
- रेलयात्रा..प्रदीप चौबे (Railyatra by Pradeep Choubey)
- सिर फूटत हौ, गला कटत हौ, लहू बहत हौ, गान्ही जी...कैलाश गौतम (Ganhi Jee.... by Kailash Goutam)
- हिमालय मेरे नगपति ! मेरे विशाल !..... रामधारी सिंह दिनकर (Himalaya by 'Dinkar')
कभी कभी जब कलम चलाता हूँ मैं
15 टिप्पणियाँ:
आपकी इस मेहनत का फल हम पाठकों को मिलेगा । सप्रेम बधाई ।
कवितायें पढ़कर मन तो मुग्ध हो गया भाई sahab.. इस मेहनत केलिए आपको ढेरो बधाई ...
आपकी इस मेहनत का फल हम पाठकों को मिलेगा ।आभार।
ye acchha kiya MANISH..jo nahi dekha thaa..vo dekhney ka mauka mila..aur varshgaanth- label pe hai.... vo kya?
achha laga aapki mehanat ko dekhkar.vaise aapki kavitaayein maarak hain sahab.
ALOK SINGH "SAHIL"
बुकमार्क करने के लिए ये अच्छा है !
बहुत बढ़िया
आपकी प्रस्तुति को नमन
ek alag hi ehsas deti hain ye kavitayen..........
उत्कृष्ट और संग्रहनीय -आभार !
Manish ji.
aaj aapke blog ka kavita wala tab click kiya.....ham nahi jaante they aisa anmol khajana hai yahan....ho sakta hai har baar comment na kar paaon lekin... in khajane par nazar zaroor rahegi :-)
ati sundar rachana. sadhuvad. harendra
मनीष .ऍसा लगा की मुझे मेरा बचपन वापस मिल गया... वो बचपन की कविता कहानी का साथ कब इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में पीछे छूट गया कुछ पता नही चला..आज आपका ब्लॉग देखा तो सुकून आया कि कुछ लोग है जिन्हें इस की कद्र आज भी है..मैं एक टीचर हूँ और आज के बच्चों की रूचि जब इन में नहीं देख पाता तो दुःख होता है.. शायद आपके ब्लॉग के माध्यम से उनमे प्रेरणा दे सकूँ..
MANISH
AAJ PAHLI BAAR AAPKE BLOG PAR AAII HOON..AUR LAG RAHA HAI EK SHAAM NAHI JYADATAR SHAAM AAPKE BLOG PAR BITANA ACHCHA LAGEGA.....BAHUT KHOOB SOORAT BLOG HAI...AUR SARA SANKALAN BAHUT ACHCHHA HAI.....EK SAATH KITNA KUCHH LIKHOO ?/ AB BAKI PHIR......
SMITA
रचना का सुन्दर संसार संजोया गया है.रचना की माला के हर नगीने अपनी आभा बिखेर रहे हैं.चित्र तो चार चाँद लगा रहे हैं.!
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