वेसे क्या आप बता सकते हैं कि जयदीप और जावेद अख्तर में क्या समानता है? भई इन दोनों ने फिल्म जगत मं अपने कैरियर की शुरुआत बतौर पटकथा लेखक से की। ये अलग बात है कि जावेद साहब अब गीतों की रचना में ही वक़्त लगाते हैं जबकि जयदीप अभी भी पटकथा लेखक के तौर पर ज्यादा जाने जाते हैं।
जयदीप के बारे में आपको कुछ और बताएँगे आगे की पायदानों में पर अभी तो ये जानिए कि क्या कहना है गीतकार जयदीप साहनी का इस गीत के बारे में..
संध्या अय्यर को हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार में जयदीप ने बताया कि "...ये गीत फिल्म के मुख्य पात्र सूरी की मनोदशा कहने का प्रयास करता है कि दिल से जुड़े मसलों के बारे में वो कैसे सोचता है। मेरा ये गीत एक ऐसे चरित्र की बात करता है जो खुद को विश्वास दिलाना चाहता है कि सब्र करने से काम अंत में जाकर बनता है। पर ये काम सूरी के लिए आसान नहीं क्योंकि उसी के दिल के दूसरे हिस्से की सोच बिल्कुल अलग है। यानि एक ओर सब्र तो दूसरी ओर लक्ष्य पाने की जल्दी। अब ना तो सूरी स्टाइलिश है, ना कोई प्रखर वक्ता और ना ही चुम्बकीय व्यक्तित्व का स्वामी। वो तो एक आम आदमी है, विद्युत विभाग का अदना सा कर्मचारी, जो वो जुमले बोल भी नहीं सकता जो भारतीय फिल्मों के नायक अक्सर प्रेम में पड़ने के बाद बोलते हैं। पर सूरी के पास एक खूबी तो है ही और वो है उसकी लगन और सच्चाई और वो अपनी इसी ताकत को खुद को बता रहा है। और इसी सोच पर मैंने इस गीत को रचा है।...."
शायद गीत की यही सच्चाई है जिसने इसे आम जन और समीक्षकों दोनों में इसे लोकप्रिय बनाया है। जयदीप साहनी के बोलों के साथ सलीम सुलेमान का संगीत पूरी तरह न्याय करता है। सुखविंदर सिंह ने हौले हौले चलने वाले नग्मे की खूबसूरत अदाएगी कर ये जतला दिया है कि उनका हुनर सिर्फ ऊँचे सुरों वाले डॉन्स नंबर तक ही सीमित नहीं।
तो आइए पहले चलें रब ने बना दी जोड़ी के इस गीत की शब्द यात्रा पर
हौले-हौले से हवा लगती है,
हौले-हौले से दवा लगती है,
हौले-हौले से दुआ लगती है, हाँ......
हौले-हौले से हवा लगती है,
हौले-हौले से दवा लगती है,
हौले-हौले से दुआ लगती है, हाँ......
हाए ! हौले-हौले चंदा बढ़ता है,
हौले-हौले घूँघट उठता है,
हौले-हौले से नशा चढ़ता है... हाँ.......
तू सब्र तो कर मेरे यार
ज़रा साँस तो ले दिलदार
चल फिक्र नूँ गोली मार
यार है दिन जिंदड़ी दे चार
हौले हौले हो जाएगा प्यार, चलया
हौले हौले हो जाएगा प्यार, चलया
इश्क ए दी गलियाँ तंग हैं
शरमो शर्मीले बंद हैं
खुद से खुद की कैसी ये जंग है
पल पल ये दिल घबराए
पक पल ये दिल शरमाए
कुछ कहता है और कुछ कर जाए
कैसी ये पहेली मुआ.दिल मर जाना
इश्क़ में जल्दी बड़ा जुर्माना
तू सब्र........हौले.....प्यार
रब दा ही तब कोई होणा, करें कोई यूँ जादू टोणा
मन जाए मन जाए हाए मेरा सोणा
रब दे सहारे चल दे, ना है किनारे चल दे
कोई है ना कहारे चल दे
क्या कह के गया था शायर वो सयाना
आग का दरिया डूब के जाना
तू सब्र........हौले.....प्यार
गीत तो आप ने सुन लिया अब आइए जानते हैंइस रोचक वीडिओ में सलीम सुलेमान, जयदीप, शाहरुख, वैभवी आदि से कि कैसे बना ये गीत! (वैभवी मर्चेंट इस गीत की कोरियोग्राफर हैं।)
8 टिप्पणियाँ:
दिलचस्प !
बेहतरीन चयन बंधु!
बहुत खूब,
आपके चिट्ठे के बहाने ही चुने हुये नये गीत सुन पाते हैं, अपने आप से तो हिम्मत ही नहीं होती।
बहुत आभार,
हो गया जी प्यार , हौले -हौले !
वीडिओ नही क्लिक किया, लेकिन ये गीत मुझे हल्के मुद में पसंद आता है।
व्यक्तिगत रूप से मुझे इस गाने में कुछ ख़ास नहीं लगा. बस यशराज फिल्म्स का गाना था और एफएम वालों ने इतना बजाया की लोकप्रिय हो गया. तुलना करें तो इससे पीछे की पायदान वाले कई गाने इससे बहुत अच्छे हैं. (मेरी पसंद के हिसाब से)
शुक्रिया इस गीत के बारे में आप सब के विचारों का !
ये गीत तो जी हमारी बेटी को बहुत पसंद है। और हमें तुझ में रब देखता है वाला। खैर अब सुनते है।
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