वैसे आप जरूर जानना चाहते होंगे कि ये अन्विता दत्त गुप्तन हैं कौन ? अन्विता के गीतकार बनने का सफ़र दिलचस्प है और कुछ हद तक प्रसून जोशी से मिलता है। अन्विता जब २४ साल की थीं तब अपनी बॉस के साथ 'दिलवाले दुलहनिया ले जाएँगे ' देखने गईं और तभी उनके दिल में फिल्म जगत से जुड़ने का ख्वाब पलने लगा। तब तक अन्विता प्रसून की तरह विज्ञापन जगत का हिस्सा बन चुकीं थीं और अपने चौदह सालों के कैरियर में विभिन्न विज्ञापन एजेंसियों में बतौर क्रिएटिव डायरेक्टर के पद पर कार्य कर चुकी हैं।
प्रसून से उलट, करीब दो साल पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और बतौर गीतकार अपने सपने को पूरा करने की सोची। अन्विता ने अब तक अपने गीतों में प्रसून जैसी काव्यत्मकता का परिचय तो नहीं दिया पर सहज शब्दों से आम संगीतप्रेमी जन का ध्यान खींचने में वो सफल रही हैं।
रहमान के बाद इस साल सबसे ज्यादा लोकप्रियता अगर किसी ने बटोरी है तो वो है विशाल शेखर की जोड़ी ने। इस संगीतमाला में उनका संगीत निर्देशित ये तीसरा गीत है। इस गीत को अपनी मधुर आवाज़ से सँवारा है केके और शिल्पा राव ने। इस गीत में केके यानि कृष्ण कुमार मेनन ने जिस खुले गले से सुर लगाए हैं वो दिल को खुश कर देते हैं और मन इस गीत को गुनगुनाने का करने लगता है। झारखंड के जमशेदपुर से ताल्लुक रखने वाली शिल्पा को इस साल की उदीयमान गायिका या खोज कह सकते हैं। अपनी गहरी आवाज़ में वो केके का अच्छा साथ निभाती नज़र आई हैं।
तो आइए सुनें बचना ऍ हसीनों फिल्म का ये नग्मा
सजदे में यूँ ही झुकता हूँ, तुम पे ही आ के रुकता हूँ
क्या ये सबको होता है,
हमको क्या लेना है सब से
तुम से ही सब बातें अब से, बन गए हो तुम मेरी दुआ
सजदे में यूँ ही झुकता हूँ, तुम पे ही आ के रुकता हूँ....
खुदा जाने कि मैं फ़िदा हूँ
खुदा जाने मैं मिट गया
खुदा जाने ये क्यूँ हुआ है
कि बन गए हो तुम मेरे खुदा
तू कहे तो तेरे ही कदम के मैं निशानों पे
चलूँ रुकूँ इशारे पे
तू कहे तो ख्वाब का बना के मैं बहाना सा
मिला करुँ सिरहाने पे
तुमसे दिल की बातें सीखीं
तुमसे ही ये राहें सीखीं
तुम पे मर के मैं तो जी गया
खुदा जाने कि मैं फ़िदा हूँ............
दिल कहे कि आज तो छुपा लो तुम पनाहों में
कि डर है तुमको खो दूँगा
दिल कहे संभल ज़रा खुशी को ना नज़र लगा
कि डर है मैं तो रो दूँगा
करती हूँ सौगातें तुमसे
बाँधे दिल के धागे तुमसे, ये तुम्हें ना जाने क्या हुआ
खुदा जाने कि मैं फ़िदा हूँ............
क्या ये सबको होता है,
हमको क्या लेना है सब से
तुम से ही सब बातें अब से, बन गए हो तुम मेरी दुआ
सजदे में यूँ ही झुकता हूँ, तुम पे ही आ के रुकता हूँ....
खुदा जाने कि मैं फ़िदा हूँ
खुदा जाने मैं मिट गया
खुदा जाने ये क्यूँ हुआ है
कि बन गए हो तुम मेरे खुदा
तू कहे तो तेरे ही कदम के मैं निशानों पे
चलूँ रुकूँ इशारे पे
तू कहे तो ख्वाब का बना के मैं बहाना सा
मिला करुँ सिरहाने पे
तुमसे दिल की बातें सीखीं
तुमसे ही ये राहें सीखीं
तुम पे मर के मैं तो जी गया
खुदा जाने कि मैं फ़िदा हूँ............
दिल कहे कि आज तो छुपा लो तुम पनाहों में
कि डर है तुमको खो दूँगा
दिल कहे संभल ज़रा खुशी को ना नज़र लगा
कि डर है मैं तो रो दूँगा
करती हूँ सौगातें तुमसे
बाँधे दिल के धागे तुमसे, ये तुम्हें ना जाने क्या हुआ
खुदा जाने कि मैं फ़िदा हूँ............
7 टिप्पणियाँ:
वाह! इस पायदान पर हमारी पसंद का गीत देख बौत खुशी हुई.आभार.
अच्छा गीत है, पर मुझे इससे नीचे की पैदान वाले कुछ इससे ज्यादा अच्छे लगते हैं. पर ये गीत भी बहुत सुनता हूँ.
अभिषेक ये गीत मेरी रैकिंग में भी नीचे की ओर फिसल रहा है, शुरुआत में ये १४- १५ के आस पास था और शायद पहली पायदान तक पहुँचते पहुँचते तक दो तीन पायदान और नीचे चला जाए।:)
manish... hamarey ghar ke nanhey sadasya badey khush hain aajkal ..tumari posts se..:)
पारुल जी, उम्मीद है गीतमाला के ऊपरी हिस्से यानि उत्तरार्ध के गीत आपको भी खुश कर पाएँगे।:)
bahoot soft song h ......sunkar achha laga
Lovely song! Definitely one of the best of 2008.
Shilpa Rao ne 'Salaam-e-Ishq' se 'Saiyyan re saiyyan re' bhi gayaa thaa...
एक टिप्पणी भेजें