शनिवार, जनवरी 17, 2009

वार्षिक संगीतमाला 2008 पायदान संख्या 18 : कहीं तो होगी वो..दुनिया जहाँ तू मेरे साथ है.

तो हुजूर वक़्त आ गया है वार्षिक संगीतमाला के थोड़ा रूमानी होने का और इसीलिए यहाँ गाना वो जो पिछले महिने बनाए गए मेरे क्रम से पाँच छलाँगे ऊपर मार कर आ पहुँचा है पायदान संख्या 18 पर। जाने तू या जाने ना के इस गीत की धुन बनाई है अल्लाह रक्खा रहमान यानि वही अपने चहेते ए. आर. रहमान ने और सच कहूँ तो गीत शुरु होने के प्रथम 35 सेकेंड्स में ही आप उनकी दी हुई धुन से इस गीत के मूड को समझ जाते हैं कि ये एक प्यारा सा रोमांटिक नग्मा होगा।

मुझे ये धुन कमाल की लगती है..और धुन का असर गहरा हो ही रहा होता है कि नेपथ्य से आती है राशिद अली की आवाज और गूँजते हैं ये स्वर...
कहीं तो ..कहीं तो
होगी वो
दुनिया जहाँ तू मेरे साथ है
जहाँ मैं, जहाँ तू
और जहाँ बस तेरे मेरे जज़्बात हैं

बस मूड एकदम से बदल जाता है। मुझे इस गीत की ये पंक्तियाँ सुनकर अपनी किशोरावस्था के दिन याद आ जाते हैं जब हम ऍसी ही कितनी कल्पनात्मक उड़ानों में डूबते उतराते रहते थे। अब्बास टॉयरवाला की तारीफ करनी होगी की बेहद सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए भी अपनी बात को हम तक पहुँचा पाते हैं। कभी कभी इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कोरी भावुकता की भी जरूरत महसूस होती है और तब ऍसे गीत मन को बड़े भले लगते हैं।

राशिद अली के बारे में तो हम पिछली पोस्ट में विस्तार से बात कर चुके हैं इस गीत में राशिद का एक अंतरे में साथ दिया है मानसून वेडिंग में नायिका की भूमिका निभाने वाली वसुंधरा दास ने। बस इस गीत की एक ही बात नहीं जमती और वो है अंत में कोरस को लाने के लिए गीत के स्केल में लाया गया बदलाव। इसलिए चार मिनट दस सेकेंड बीतते ही मैं गीत की पुनरावृति कर लेता हूँ। तो लीजिए पहले पढ़िए इस गीत के बोल.....
कहीं तो ..कहीं तो
होगी वो
दुनिया जहाँ तू मेरे साथ है
जहाँ मैं, जहाँ तू
और जहाँ बस तेरे मेरे जज़्बात हैं
होगी जहाँ सुबह तेरी
पलकों की किरणों में
लोरी जहाँ चाँद की
सुने तेरी बाहों में

जाने ना कहाँ वो दुनिया है
जाने ना वो है भी या नहीं
जहाँ मेरी जिंदगी मुझसे
इतनी ख़फा नहीं

साँसें खो गई है किसकी आहों में
मैं खो गई हूँ जाने किसकी बाहों में
मंजिलों से राहें ढूँढती चली
खो गई है मंजिल कहीं राहों में

कहीं तो कहीं तो
है नशा
तेरी मेरी हर मुलाक़ात में
होठों से, होठों को चूमते
ओ रहते हैं हम हर बात पे
कहती है फिज़ा जहाँ
तेरी जमीं आसमान
जहाँ है तू मेरी हँसी
मेरी खुशी मेरी जाँ
जाने ना कहाँ वो दुनिया है
जाने ना वो है भी या नहीं
जहाँ मेरी जिंदगी मुझसे
इतनी ख़फा नहीं...

तो अब सुनिए रहमान, अब्बास और राशिद खाँ की इस बेहद रोमांटिक पेशकश को...


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10 टिप्पणियाँ:

डॉ .अनुराग on जनवरी 15, 2009 ने कहा…

theek kaha .sangeet hi to vahi cheez hai jo aasani se pichli yaado me pahuncha deta hai...aor ek geet se kitne log ek saath jud jate hai.

Abhishek Ojha on जनवरी 15, 2009 ने कहा…

पहली बार सुनके ही अच्छा लग जाने वाला गाना है...

Udan Tashtari on जनवरी 15, 2009 ने कहा…

पहली बार सुन रहे हैं यह गीत- अच्छा चयन!! आभार.

Unknown on जनवरी 15, 2009 ने कहा…

पहली बार सुन रहा हूँ यह गीत अच्छा लगा!
मन की बात

siddheshwar singh on जनवरी 15, 2009 ने कहा…

आप न होते तो इन नए गेतों तक कौन पहुँचाता !

Unknown on जनवरी 16, 2009 ने कहा…

ase song sunkar lagta h ki kabhi kabhi khwabo m bhi jeena chhiya....bahoot achha laga........sunkar

Urvashi on जनवरी 16, 2009 ने कहा…

Pehle toh: Belated Happy Birthday!!
I LOVVVVVE this song!! It's my fav from this movie. And if I had a countdown show, it would definitely be in the Top 5! :)
I couldn't comment on previous song, there was some error.

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 16, 2009 ने कहा…

इस गीत के बोलों पर ध्यान नही दिया था, पहली बार ध्यान से सुना।

Manish Kumar on जनवरी 16, 2009 ने कहा…

Urvashi Thanku Thanku..Offcourse its a sweet song ! Infact this song has steadily grown on me for last one month and will move up a few steps more till the end of the countdown. Thx for pointing out link error in last post. Now I have corrected it.

LOVECHAND on जनवरी 17, 2009 ने कहा…

ya good lyrics n music also.

 

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