वार्षिक संगीतमाला की 21 वीं पायदान पर इस बार फैला है उदासी का रंग ! इस गीत के गायक गायिका की जोड़ी को आप ने फिल्मी गीतों की बजाए गैर फिल्मी एलबमों में ज्यादा सुना होगा। पिया बसंती में चित्रा के साथी गायक और गुलज़ार के सूफी एलबम इश्का इश्का के पीछे की वो सुरीली आवाज़ याद है ना आपको।
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ प्रसिद्ध सारंगी वादक और गायक उस्ताद सुलतान खाँ और सब के तन मन में फिल्म ओंकारा में नमकीनियत घोलती रेखा भारद्वाज की। जब दो इतने प्रतिभावान कलाकार एक गीत को अपनी आवाज़ दें कुछ तो नई बात पैदा होगी ना। और ये मौका आया शामिर टंडन द्वारा संगीत निर्देशित फिल्म सुपरस्टार में
मुझे रेखा भारद्वाज की आवाज़ में एक अलग तरह की कशिश नज़र आती है। पहली बार जब उनका सूफी गीत तेरे इश्क़ में सुना था तो उनकी आवाज़ का शैदाई हो गया। बाद में उनके संगीतकार पति विशाल, जो कॉलेज में उनके जूनियर थे के निर्देशन में ओंकारा के गीत 'नमक इस्क का ' ने उनकी प्रतिभा को व्यवसायिक सफलता भी मिली। पर दुर्भाग्यवश अभी भी विशाल के आलावा अन्य संगीतकार उनकी प्रतिभा का फायदा नहीं उठा पाए हैं।
अब लौटें इस गीत पर तो ये वैसा नग्मा नहीं है एक ही बार में आपके दिलो दिमाग पर चढ़ जाए। शब्बीर अहमद का लिखा ये गीत, बीते हुए कल में बिखरे कुछ ख्वाबों और खुशनुमा एहसासों की बात करता है जो वक़्त के थपेड़ों से ऐसे चिटके की उनमें पड़ी दरारों को पाटने की आस, आस ही रह गई। और गीत के साथ ये भावनाएँ धीरे-धीरे मन में उतरती हैं। इस गीत को मेरे लिए विशिष्ट बनाने का सारा श्रेय मैं गीत के बोलों और उस्ताद साहब व रेखा जी की गायिकी को देना चाहूँगा। शामिर टंडन का संगीत मुझे कुछ हिस्सों में अच्छा लगा।
तो आइए पहले गौर करें गीत के बोलो पर
मुझे रेखा भारद्वाज की आवाज़ में एक अलग तरह की कशिश नज़र आती है। पहली बार जब उनका सूफी गीत तेरे इश्क़ में सुना था तो उनकी आवाज़ का शैदाई हो गया। बाद में उनके संगीतकार पति विशाल, जो कॉलेज में उनके जूनियर थे के निर्देशन में ओंकारा के गीत 'नमक इस्क का ' ने उनकी प्रतिभा को व्यवसायिक सफलता भी मिली। पर दुर्भाग्यवश अभी भी विशाल के आलावा अन्य संगीतकार उनकी प्रतिभा का फायदा नहीं उठा पाए हैं।
अब लौटें इस गीत पर तो ये वैसा नग्मा नहीं है एक ही बार में आपके दिलो दिमाग पर चढ़ जाए। शब्बीर अहमद का लिखा ये गीत, बीते हुए कल में बिखरे कुछ ख्वाबों और खुशनुमा एहसासों की बात करता है जो वक़्त के थपेड़ों से ऐसे चिटके की उनमें पड़ी दरारों को पाटने की आस, आस ही रह गई। और गीत के साथ ये भावनाएँ धीरे-धीरे मन में उतरती हैं। इस गीत को मेरे लिए विशिष्ट बनाने का सारा श्रेय मैं गीत के बोलों और उस्ताद साहब व रेखा जी की गायिकी को देना चाहूँगा। शामिर टंडन का संगीत मुझे कुछ हिस्सों में अच्छा लगा।
तो आइए पहले गौर करें गीत के बोलो पर
आँखों से ख्वाब रूठ कर
पलकों से अश्क टूट कर
जाने कहाँ बिखर गए
साहिल से मौज़ें फूटकर
अरमान दिल से छूट कर
जाने कहाँ, जाने कहाँ, बिखर गए...
रस्ते वही गलियाँ वही, लेकिन वो बात अब हैं कहाँ
जिसमें कभी थी जिंदगी, सूना पड़ा है अब वो मकान
सूना पड़ा है अब वो मकान
कुछ लमहे जान बूझ कर
खुशियाँ तमाम लूट कर
जाने कहाँ बिखर गए
यादों से रूठी थक के मैं, लौटी तो ये पता चला
पैरों में थे छाले पड़े, मुश्किल था कितना फ़ासला
जज्बात मेरे ऊबकर, गम के भँवर में डूबकर
जाने कहाँ बिखर गए
आँखों से ख्वाब रूठ कर...
और हाँ फुर्सत के लमहों के बीच ही सुनिएगा इस गीत को..
और इस गीत के वीडिओ को देखना चाहते हों तो ये रहा यू ट्यूब का लिंक
11 टिप्पणियाँ:
आपके कथन " ये वैसा नग्मा नही है कि एक ही बार में आपके दिलो दिमाग पर चढ़ जाये " के विपरीत ये ऐसा गीत था जो मेरे दिलोदिमाग पर एक ही बार में छाया और छाया ही रहा....जब भी सुनो इसके बोलो की गहराई में उतरती चली जाती हूँ...! अगर मुझे स्थान देने का मौका मिले तो मै ५ से १० के बीच में इस गीत को स्थान देती...!
मेरे बहुत बहुत बहुत पसंदीदा गीत को शामिल करने का शुक्रिया...!
wakai yaad rakhne laayag geet hai
इस फ़िल्म के तो गाने ही नहीं सुने मैंने :(
आज ही जुगाड़ करता हूँ.
ये लो भाई-आप इतनी बेहतरीन हमारी पसंदीदा श्रृंख्ला चलाये बैठे हो और हम हैं कि शादी ब्याह में गुम. अब आ गये हैं..पुराने से चैक करते हैं कि कैसे जा रहे हैं आप.
अच्छे ही जा रहे होंगे. :)
अभिषेक इस फिल्म के बाकी गाने इस कोटि के नहीं हैं इसलिए नहीं भी सुने तो कोई बात नहीं। :)
कंचन मैं जब वो पंक्तियाँ लिख रहा था तो मेरे दिमाग में आपकी ऍसी ही प्रतिक्रिया का अनुमान था क्यूँकि आपने एक बार बताया था कि ये गीत पहली बार सुनने के बाद आपके ज़ेहन में कई दिनों बना रहा था। पर जैसा कि मैंने पिछली पोस्ट में कहा था कि आगे आने वाले छः सात गाने मेरे लिए लगभग एक ही स्तर के हैं। पिछले एक महिने से ये गीत मेरे क्रम में १४ से २२ के बीच ऊपर नीचे खिसकता रहा है। हाँ ये जरूर है कि मेरी इस गीतमाला के प्रथम तेरह गीत इस गीत से कहीं ज्यादा प्रिय लगते हैं ..
Sir,
Where is you tube link.
Digvijay singh
How to type in hindi please suggest
Digvijay
I've never heard this song before. I like it... :)
I really like Rekha Bhardwaj too!
Digvijay
Are post mein hi embedded link hai yani video yahi chaloo ho jayega. Hindi mein type karne ke liye net se Takhti download kar lo. Iske alava Baraha IME bhi ek software hai. Main takhti use karta hoon.
Rekha Bharadwaj has a very sensuous voice...I loved her in Namak...awesome song...
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