आज उपस्थित हूँ वार्षिक संगीतमाला 2008 के सरताज गीत को लेकर। अपनी वार्षिक संगीतमालाओं में मैंने अक्सर उन्हीं गीतों को सरताज गीत का सेहरा पहनाया है जिन्होंने मुझे बुरी तरह उद्वेलित किया है, जिनके प्रभाव से मैं जल्द मुक्त नहीं हो पाया हूँ। इस गीत की आरंभिक धुन मैंने मुंबई त्रासदी के तुरंत बाद NDTV India पर सुनी थी। शुरुआत की धुन में बजता पियानो का टनटनाता स्वर जहाँ हमारी असहायता पर भारी चोट कर रहा था वहीं बाकी का संगीत आँखों को नम करने के लिए काफी था। इस गीत की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस गीत ने सारे देश के लोगों को NDTV के द्वारा चलाए गई मुहिम से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
पर जब आप इस पूरे गीत को सुनते हैं तो उन तमाम लोगों की तसवीर उभरती है जो वक़्त के क्रूर हाथों अपनी हँसती खेलती जिंदगी को अनायास ही खो कर ऐसे शून्य में विलीन हो गए जहाँ से लौटकर कोई नहीं आता।
'आमिर' फिल्म में ये गीत निर्दोष आमिर के आतंकवादियों के जाल में फँसने के बाद बम विस्फोट में उसकी असमय मृत्यु के बाद बजता है। आखिर क्या चाहता है एक आम आदमी अपनी जिंदगी से..एक ऍसा समाज जहाँ ना कोई नफ़रत की लकीरे हों और ना ही इंसान को इंसान से बाँटती सरहदें। इसीलिए गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य इन भावनाओं को अपने शब्द देते हुए लिखते हैं...
धूप के उजाले से ओस के प्याले से
खुशियाँ मिले हमको
ज्यादा माँगा है कहाँ , सरहदें ना हो जहाँ
दुनिया मिले हमको
पर ख़ुदा खैर कऱ उसके अरमां में
क्यूँ बेवज़ह हो कोई कुर्बां
गुनचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले
क्यूँ छोड़ चला तेरा ये ज़हां
इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
इक लौ जिंदगी की मौला
खुशियाँ मिले हमको
ज्यादा माँगा है कहाँ , सरहदें ना हो जहाँ
दुनिया मिले हमको
पर ख़ुदा खैर कऱ उसके अरमां में
क्यूँ बेवज़ह हो कोई कुर्बां
गुनचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले
क्यूँ छोड़ चला तेरा ये ज़हां
इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
इक लौ जिंदगी की मौला
ये एक ऍसा प्रश्न है जो हर ऍसी त्रासदी के बाद हमारे दिल के जख़्मों को और हरा कर देता है और जब तक घृणा और नफ़रत फैलाने वाले लोगों को हम अपने समाज से बाहर नहीं कर पाएँगे तब तक ये प्रश्न हमारे लिए अनुत्तरित ही बना रहेगा।
जैसा कि आपको पहले भी बता चुका हूँ कि आमिर फिल्म का संगीत दिया है अमित त्रिवेदी ने और इस गीत को गाया है शिल्पा राव ने। दरअसल आमिर फिल्म के संगीत निर्देशन के लिए अमित त्रिवेदी के नाम की सिफारिश शिल्पा राव ने ही की थी। इस साल शिल्पा राव का गाया सबसे लोकप्रिय गीत ख़ुदा जाने.. ही रहा है पर इससे पहले उनका गया वो अजनबी..भी चर्चित हुआ था।
शिल्पा राव एक छोटे से शहर से उपजी कलाकार हैं। और अगर मैं ये कहूँ कि वो शहर मेरे राज्य में स्थित है तो शायद ये तथ्य आप में से कइयों को चौका दे। शिल्पा जमशेदपुर से ताल्लुक रखती हैं और संगीत की आरंभिक शिक्षा उन्होंने अपने संगीतज्ञ पिता से ली। शुरुआती दौर में वो छोटे मोटे स्टेज शो किया करती थीं। ऍसी ही एक शो में उनकी मुलाकात शंकर महादेवन से हुई। शंकर के प्रोत्साहन से उन्होंने मुंबई का रुख किया और अब अपनी प्रतिभा से सबको प्रभावित कर रही हैं...
तो चलिए सुनते हैं आमिर फिल्म का ये दिलछूता नग्मा....
इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
गर्दिशों में रहती बहती गुजरती
जिंदगियाँ हैं कितनी
इन में से इक है, तेरी मेरी अगली
कोई इक जैसी अपनी
पर ख़ुदा खैर कर, ऍसा अंजाम किसी रुह को ना दे कभी यहाँ
गुनचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले
क्यूँ छोड़ चला तेरा ये ज़हाँ
इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
इक लौ जिंदगी की मौला
धूप के उजाले से ओस के प्याले से
खुशियाँ मिले हमको
ज्यादा माँगा है कहाँ , सरहदें ना हो जहाँ
दुनिया मिले हमको
पर ख़ुदा खैर कऱ उसके अरमां में
क्यूँ बेवज़ह हो कोई कुर्बां
गुनचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले
क्यूँ छोड़ चला तेरा ये ज़हां
इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
इक लौ जिंदगी की मौला
वार्षिक संगीतमाला के समापन के साथ उन सभी पाठकों का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा जो इस लंबे सफ़र में साथ बने रहे।
15 टिप्पणियाँ:
95% guess isi song ke liye lagaa rahi thi mai, jo ki aap ka sartaaz geet banega is baar....!
jee ha.n bilkul yahi geet sartaaz geet hone ke quabil bhi tha..!
Is geet ko maine bhi NDTV par hi suna tha aur bahut bhaya tha mujhe...! fir aap ke chitthe par poora sunane ka awasar mila tha..!
badhiya shrinkhala ki safal poornta par badhaai
the most deserving song of the year!!!
is song ko to itni baar sun chuka hu ki yaad bhi nahi.. sirf yehi song nahi.. chkkar ghumiyo aur ha raham bhi utne hi lajawab hai.. is film ka music shandar hai..
jab pehli baar Amit Trivedi ka ye music suna tha.. tabhi ek nasha chadh gaya tha.. baad mein Dev D mein bhi Amit ne shaandar music diya.. emotional atyaachar ko 2009 ka best song ka award mil jayega..
dekhte hai aage Amit aur kya gul khilate hai..
It was well expected.. Meri expectation keh lo, Aapki expectation keh lo, ya sabki.. This song really deserves to become the Top song of your chart or any other music chart.. :)
Nice song, Nice Music, Nice Lyrics and Well sung by Shilpa Rao..
Main isse itni baar sun chuka hun phir bhi aapko thanx.. ek baar aur sunane ke liye.. :D
कुश आपकी तरह आमिर का संगीत मुझे भी इस साल का सर्वश्रेष्ठ संगीत लगा। अमित त्रिवेदी के बारे में विस्तार से चर्चा इस संगीतमाला में उनके संगीतबद्ध अन्य गीतों के साथ की थी। आपने आमिर के जिन दो अन्य गीतों का जिक्र किया वो मेरी इस संगीतमाला के प्रथम दस गीतों में पहले भी जगह बना चुके हैं।
बात मुलाक़ात और प्रस्तुति सब कुछ बेहतर है मनीष जी बधाई..
सरताज की सरताज प्रस्तुति
खजाना है अपका ब्लाग
पता नही कैसे ये गीत मेरे कानों से दूर रहा। खैर आज आपके ब्लोग पर आकर इतना बेहतरीन गीत सुनकर अच्छा लगा। सच में बहुत ही प्यारा गीत है।
बहुत अच्छी रही यह पोस्ट ...
मनीष जी, बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जब आप जैसे ब्लॉगर हों तो ब्लॉगिंग बेमकसद कैसे हो सकती है :)
इस फ़िल्म के सभी गीत बहुत अच्छे है । गाइका को नही जानते थे तो आज आपसे पता चल गया ।
आमीर फिल्म के गीत मुझे बहुत पसंद है और बहुत बार सुन भी चुकी हूँ, अगले साल के आपके सरताजों में गुलाल के गीत भी जरूर होंगे ये अभी से बता सकता हूँ :)
bahoot achha laga song, bhoot sunder .........
मेरी नज़रों में भी सर्वश्रेष्ठ गीत यही है ।
शानदार श्रृंखला का शानदार अंत ।
बधाई हो
वाह! आपकी पसंद तो सबकी पसंद है! मैने भी पहली बार इसे ndtv पर सुना था और फ़िर पूरा सुनने के लिये सबसे पहले आपकी ही याद आयी थी!:)
और जब यहां पहुंची तो उस दिन आपके यहां यही गाना था......
फ़िर तो कईयों बार.. बार बार सुना...
रुचिकर जानकारी के साथ गाने और भी उम्दा हो जाते हैं :)
वाह जी मैं पूरी छुट्टी में सोचता रहा की कौन सा गीत होगा ! इस तक नहीं पहुच पाया था. आपके नजर की बात ही कुछ और है.
और हाँ साथ में तीन साल पूरे होने की बधाई भी.
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