कुछ ग़ज़लें खास होती हैं कुछ उन्हें गाने वाले खास बना देते हैं और अक्सर ऐसा जो कलाकार कर पाते हैं उन्हें हम महान गायकों की श्रेणी में ला खड़ा करते हैं। पर आज जिस ग़ज़ल का जिक्र करना चाहता हूँ उसके बारे में मेरा अनुभव कुछ उल्टा रहा। यानि इस ग़ज़ल को मेरे लिए खास बनाया एक ऐसे कलाकार ने जो ग़ज़ल गायिकी के लिए नहीं जाना जाता।
यूँ तो गुलाम अली की तमाम ग़ज़लें मुझे बेहद पसंद हैं पर जब कृष्ण बिहारी नूर की लिखी ये ग़ज़ल उनकी आवाज़ में सुनी थी तो मुझे ये ग़ज़ल सुनने में कुछ खास मज़ा नहीं आया था। हाँ, नूर साहब का एक शेर जरूर बेहद पसंद आया था
हर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ
मिलना चाहूँ तो मिलूँ ख़ुद से मैं तनहा कैसे
जो उस वक़्त दिमाग में चढ़ सा गया था। इस बात को बरसों बीत गए और फिर एक दिन टीवी पर एक कार्यक्रम में इसी ग़ज़ल को मैंने एक नवोदित गायक को गाते सुना। उस गायक ने ग़जल का मतला और सामान्य सा लगने वाला एक शेर इस तरह दिल से डूब कर गाया कि मैं इस भूली हुई ग़ज़ल को एक दूसरे ही अंदाज़ से महसूस करने लगा।
बस मलाल इस बात का ही रहा कि बंदे ने उस कार्यक्रम में ये ग़ज़ल पूरी नहीं सुनाई। बाद में बहुत खोजबीन करने पर मुझे उस टीवी रिकार्डिंग के कुछ टुकड़े मिले जिसे मैं जोड़ कर करीब डेढ़ पौने दो मिनट की एक फाइल बना सका। आज भी उदास लमहों में इस ग़ज़ल का ये छोटा सा हिस्सा मैं अक्सर सुना करता हूँ। आज यही हिस्सा आप के साथ भी बाँट रहा हूँ।
तो पहले सुनिए नूर साहब की ये मशहूर ग़ज़ल जनाब गुलाम अली के स्वर में। वैसे कहीं ये भी पढ़ा था की इस ग़ज़ल को उस्ताद असलम खाँ ने भी अपनी आवाज़ दी है।
रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे
ग़म का तूफ़ाँ तो बहुत तेज़ था ठहरा कैसे
मुझको ख़ुद पर भी भरोसा नहीं होने पाता
लोग कर लेते हैं ग़ैरों पे भरोसा कैसे
हर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ
मिलना चाहूँ तो मिलूँ ख़ुद से मैं तनहा कैसे
और भी अहल-ए-खिरद अहल-ए-जुनूँ थे मौजूद
लुट गये हम ही तेरी बज़्म में तनहा कैसे
और ये है यू ट्यूब पर इसी ग़ज़ल का आडिओ वर्सन...
और अब सुनिए बिना किसी संगीत के इस ग़ज़ल के टुकड़े को। ये कलाकार टीवी पर संगीत के कार्यक्रमों की बदौलत कुछ फिल्मों और एलबमों के लिए गाना गा चुका है। अब आपको ही बताना है इस गायक का नाम। रिकार्डिंग गुणवत्ता अच्छी नहीं है और श्रोताओं का बिना मतलब का शोर भी आपको झेलना पड़ेगा ये पहले ही बता देता हूँ पर फिर भी ये टुकड़ा गायिकी के लिहाज़ से आपको भी आनंदित करेगा ऐसी उम्मीद है।
और ये रहा जवाब !
ये रिकार्डिंग थी पिछले साल १२ जुलाई २००८ को स्टार प्लस पर प्रसारित जो जीता वही सुपरस्टार के मेगा फाइनल की । इस प्रतियोगिता में विभिन्न संगीत कार्यक्रमों सा रे गा मा, इंडियन आइडल और वॉयस आफ इंडिया के पिछले दो सालों के विजेताओं को बुलाया गया था। फाइनल में मुकाबला था अभिजीत सावंत, राहुल वैद्य और हर्षित के बीच में। और उसी कार्यक्रम में ये ग़ज़ल इतनी खूबसूरती से गुनगुनाई थी अभिजीत सावंत ने।
जैसा कि आपको मालूम है अभिजीत का सबसे चर्चित एलबम 'जुनून' रहा था। पहले इंडियन आइडल के विजेता रहे अभिजीत ने हाल ही में बतौर हीरो 'लॉटरी' फिल्म में काम किया था। जो जीता वही सुपरस्टार में अभिजीत राहुल वैद्य से खिताबी मुकाबला हार कर दूसरे नंबर पर रहे थे।
आप लोगों ने कई अनुमान लगाए पर अल्पना वर्मा जी ने दूसरे प्रयास में अभिजीत का नाम लिया। अल्पना जी को सही जवाब देने के लिए बधाई और आप सब को अनुमान लगाने के लिए।
यूँ तो गुलाम अली की तमाम ग़ज़लें मुझे बेहद पसंद हैं पर जब कृष्ण बिहारी नूर की लिखी ये ग़ज़ल उनकी आवाज़ में सुनी थी तो मुझे ये ग़ज़ल सुनने में कुछ खास मज़ा नहीं आया था। हाँ, नूर साहब का एक शेर जरूर बेहद पसंद आया था
हर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ
मिलना चाहूँ तो मिलूँ ख़ुद से मैं तनहा कैसे
जो उस वक़्त दिमाग में चढ़ सा गया था। इस बात को बरसों बीत गए और फिर एक दिन टीवी पर एक कार्यक्रम में इसी ग़ज़ल को मैंने एक नवोदित गायक को गाते सुना। उस गायक ने ग़जल का मतला और सामान्य सा लगने वाला एक शेर इस तरह दिल से डूब कर गाया कि मैं इस भूली हुई ग़ज़ल को एक दूसरे ही अंदाज़ से महसूस करने लगा।
बस मलाल इस बात का ही रहा कि बंदे ने उस कार्यक्रम में ये ग़ज़ल पूरी नहीं सुनाई। बाद में बहुत खोजबीन करने पर मुझे उस टीवी रिकार्डिंग के कुछ टुकड़े मिले जिसे मैं जोड़ कर करीब डेढ़ पौने दो मिनट की एक फाइल बना सका। आज भी उदास लमहों में इस ग़ज़ल का ये छोटा सा हिस्सा मैं अक्सर सुना करता हूँ। आज यही हिस्सा आप के साथ भी बाँट रहा हूँ।
तो पहले सुनिए नूर साहब की ये मशहूर ग़ज़ल जनाब गुलाम अली के स्वर में। वैसे कहीं ये भी पढ़ा था की इस ग़ज़ल को उस्ताद असलम खाँ ने भी अपनी आवाज़ दी है।
रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे
ग़म का तूफ़ाँ तो बहुत तेज़ था ठहरा कैसे
मुझको ख़ुद पर भी भरोसा नहीं होने पाता
लोग कर लेते हैं ग़ैरों पे भरोसा कैसे
हर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ
मिलना चाहूँ तो मिलूँ ख़ुद से मैं तनहा कैसे
और भी अहल-ए-खिरद अहल-ए-जुनूँ थे मौजूद
लुट गये हम ही तेरी बज़्म में तनहा कैसे
और ये है यू ट्यूब पर इसी ग़ज़ल का आडिओ वर्सन...
और अब सुनिए बिना किसी संगीत के इस ग़ज़ल के टुकड़े को। ये कलाकार टीवी पर संगीत के कार्यक्रमों की बदौलत कुछ फिल्मों और एलबमों के लिए गाना गा चुका है। अब आपको ही बताना है इस गायक का नाम। रिकार्डिंग गुणवत्ता अच्छी नहीं है और श्रोताओं का बिना मतलब का शोर भी आपको झेलना पड़ेगा ये पहले ही बता देता हूँ पर फिर भी ये टुकड़ा गायिकी के लिहाज़ से आपको भी आनंदित करेगा ऐसी उम्मीद है।
और ये रहा जवाब !
ये रिकार्डिंग थी पिछले साल १२ जुलाई २००८ को स्टार प्लस पर प्रसारित जो जीता वही सुपरस्टार के मेगा फाइनल की । इस प्रतियोगिता में विभिन्न संगीत कार्यक्रमों सा रे गा मा, इंडियन आइडल और वॉयस आफ इंडिया के पिछले दो सालों के विजेताओं को बुलाया गया था। फाइनल में मुकाबला था अभिजीत सावंत, राहुल वैद्य और हर्षित के बीच में। और उसी कार्यक्रम में ये ग़ज़ल इतनी खूबसूरती से गुनगुनाई थी अभिजीत सावंत ने।
जैसा कि आपको मालूम है अभिजीत का सबसे चर्चित एलबम 'जुनून' रहा था। पहले इंडियन आइडल के विजेता रहे अभिजीत ने हाल ही में बतौर हीरो 'लॉटरी' फिल्म में काम किया था। जो जीता वही सुपरस्टार में अभिजीत राहुल वैद्य से खिताबी मुकाबला हार कर दूसरे नंबर पर रहे थे।
आप लोगों ने कई अनुमान लगाए पर अल्पना वर्मा जी ने दूसरे प्रयास में अभिजीत का नाम लिया। अल्पना जी को सही जवाब देने के लिए बधाई और आप सब को अनुमान लगाने के लिए।
20 टिप्पणियाँ:
Waah !!!! lajawaab hai gazal !!! Itni mehnat kar sunwane ke liye bahut bahut aabhar.
Sonu Nigam?
No Its not Sonu Nigam !
yah awaaz..Roop Kumar Rathod ji ki hai...jinhone border film ke liye bhi gaya tha....
-- 'Maula mere Maula'...jaisa yaadgaar geet bhi inka behad popular gana hai...
--inki awaaz mein jo gahraayee hai..aaj kal ke naye singers mein kisi ki awaaz mein nahin.
Roop Kumar Rathod
गायक गायकिओं के मामले में हाथ थोड़ा तंग है, इसलिए प्रयास भी नहीं कर रहा हूँ. गजल लाजबाब है.
अल्पना जी, रूप कुमार राठौड़ निश्चय ही बेहतरीन गायक हैं पर ये रूप कुमार राठौड़ नहीं हैं।
मुझको खुद पर भी भरोसा नही होने पाता,
लोग कर लेते हैं, गैरों पे भरोसा कैसे
ये लाइने बहुत दिनो से पसंद हैं और बहुत सच भी हैं...!
कृष्ण बिहारी जी हमारे लखनऊ के रत्न थे/हैं (वो रहें ना रहें लखनऊ उन पर फक़्र करता है)। ये उन्ही की लिखी है ये पता नही था।
और ये आवाज़ हमारे अर्श की है (अंधी मारनी थी, सोचा अपनो को खुश करो) हा हा हा
Are Kanchan ji aap to TV ke sangeet karyakram dhyan se dekhti hain. Aise hi ek TV program mein is ladke ne kaphi naam kamaya tha.
सुन कर आनंद आ गया। आवाज पहचाने के मामले में हम अनपढ है।
हमारे शहर के मोहम्मद वक़ील?
मोहम्मद वकील! पवन भाई उनका तो हाल ही में ग़ज़ल का एलबम आ चुका है जबकि मैंने संकेत दिया है कि ये गायक ग़ज़ल गायिकी के लिए नहीं जाना जाता। इतना ही कहूँगा कि आपके उत्तर की दिशा सही थी..:)
समझ गया..
oho...sochti hun..kaun ho sakta hai...
मनीष जी , तीसरा प्लेयर नही चल रहा, अतः उत्तर देने में असमर्थ हूं.
फ़िर कोशिश करूंगा....
सुन लिया है अब.
इस नये गायक की आवाज़ में जो रवानी है, वो बहूत पसंद आयी. तरलता और हरकतें गज़ल के गायन के लिये बिल्कुल मुफ़ीद है.
मैं भी सोनु निगम और मोहम्मद वकील से आगे नहीं जा पाया, क्योंकि, इतने नये गायकों को सुना है, इस आवाज़ को नहीं पहचान पा रहा हूं.
शायद विपिन सचदेवा हो सकता था, मगर उसकी आवाज़ में इतना लोच नहीं जो इसने इतने कम समय की क्लिप में दिखा दिया है.
Abhijeet ki awaaz hai...inhone kuchh filmon mein gaya hai...
gazal bahut pasand aayi
baki gazal gayak to aap hi bataye
jaldi se ...........
TISARAA LINK CHAL NAHI RAHAA PATA NAHI KYUN MAGAR SUN KE BATAA DETAA KUCHH TO CHANCE THA HI ... AUR UPAR BAHAN KANCHAN NE JO CHUTKI LI HAI MERE LIYE ... WO MAIN SAMAJH RAHAA HUN... HAALAKI UNKI GAZAL LEKHAN KA MURID HUN .... MAGAR MAIN APNE BAARE ME KOI GALAT FAHAMI NAHI PAAL RAKHI HAI MAISH JI KISI BHI SATAH SE... AGAR HO SAKE TO ISKAA LINK DEN... INTAZAAR ME HUN AAPKE JAWAAB KA
AAPKA
ARSH
thnk god jawab sahi raha..
-TV competitions ke clue ne help ki..
shukriya...
Aaj kal Shiv sena se judne ke baad Abhijeet kafi charcha mein bhi hain...
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