प्यार भी एक अजीब सी फ़ितरत है। पहले तो किसी का दिल जीतने के लिए मशक्क़त कीजिए । और अगर वो मिल गया तो भी चैन कहाँ है जनाब ! उसे खोने का डर भी तो साथ चला आता है। और तो और परिस्थितियाँ बदलती रहें तो भी हमारे साथी की हमसे उम्मीद रहती है कि प्यार की तपिश बनी रहे। और गर आप साथी के खयालतों की सुध लेने से चूके तो फिर ये उलाहना मिलते देर नहीं कि तुम्हें हम से वो पहली सी मोहब्बत भी नहीं !
पर ये भी है कि बिना शिक़वे, शिकायतों और मनुहारों जैसे टॉनिकों के प्रेम का रंग फीका रह जाता है। इसलिए रिश्तों की खामोशी भी मन में शक़ और बेचैनी पैदा कर देती है । ऐसी ही कुछ शिकायतें लिए एक प्यारा सा नग्मा आया था १९६६ में प्रदर्शित फिल्म 'नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे' में। रूमानियत में डूबे इस गीत को लिखा था राजेंद्र कृष्ण साहब ने और इस गीत की धुन बनाई थी मदन मोहन ने। गीतकार राजेंद्र के बोलों में वो कशिश थी कि कितने भी नाराज़ हमराही की मुस्कान को वापस लौटा लाए। बस जरूरत थी एक मधुर धुन और माधुर्य भरी आवाज़ की। और इस जरूरत को भली भांति पूरा किया मदनमोहन और आशा ताई की जोड़ी ने..
ये गीत वैसे गीतों में शुमार होता है जो बिना किसी वाद्य यंत्र के भी सुने जाएँ तो भी दिल को छूते से जाते हैं.. तो अगर आप भी शिकायती मूड में हैं तो बस अपने मीत के पास जाकर यही गीत गुनगुना दीजिए ना..
कोई शिक़वा भी नहीं, कोई शिकायत भी नहीं
और तुम्हें हम से वो पहली सी मोहब्बत भी नहीं
कोई शिक़वा भी नहीं....
ये खामोशी, ये निगाहों में उदासी क्यूँ है?
पा के सब कुछ भी मोहब्बत अभी प्यासी क्यूँ है?
राज- ए- दिल हम भी सुनें इतनी इनायत भी नहीं
और तुम्हें हम से वो पहली सी मोहब्बत भी नहीं
कोई शिक़वा भी नहीं....
प्यार के वादे वफ़ा होने के दिन आए हैं
ये ना समझाओ खफ़ा होने के दिन आए हैं
रूठ जाओगे तो कुछ दूर क़यामत भी नहीं
और तुम्हें हम से वो पहली सी मोहब्बत भी नहीं
कोई शिक़वा भी नहीं....
हम वही अपनी वफ़ा अपनी मोहब्बत है वही
तुम जहाँ बैठ गए अपनी तो जन्नत है वही
और दुनिया में किसी चीज की चाहत भी नहीं
और तुम्हें हम से वो पहली सी मोहब्बत भी नहीं
कोई शिक़वा भी नहीं....
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5 वर्ष पहले
13 टिप्पणियाँ:
मदन मोहन-आशा जी…फिर कुछ कहने को कहाँ रह जाता है ?…बेहतरीन ……सुनवाने का शुक्रिया…
Thnk u for dis pist anyatha ye sundar geet padhne se bhi vanchit reh jati...
एक तो शशि कपूर में ही कुछ ऐसा है जो मुझे बहुत अच्छा लगता है...! बहुत ज्यादा..! फिर शशि कपूर और नंदा की जोड़ी..! वो भी मुझे मस्त लगती है..!
और अब ये गीत..! टी०वी० पर बस एक बार कभी सुना था ये गीत शायद चित्रहार या रंगोली में..तब से ये मुखड़ा मन के भीतर उतर गया था..! अक्सर कुछ लोगो को सुना के ताने बी मार लिये जाते हैं अब भी...! मगर फिर कभी पूरा सुनने का मौका नही मिला...!
आज जा के ये फिर से सुन पाई...! आपका तह ए दिल से शुक्रिया
प्यार की टानिक वाली बात एकदम अनमोल कही आपने.....और गीत तो बेजोड़ है ही....बहुत बहुत आभार आपका..
बेहतरीन गीत। फिलहाल पढकर ही मन बहलाया है।
सुंदर सा गीत सुनवाने के लिये आप का धन्यवाद.
आप ओ करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये,
यह गीत मदन महन का छाप लिये ज़रुर है, वाद्य संयोजन के हिसाब से, मगर स्वरों की सरगम हट कर है. श्रवणीय गीत सुनाने के लिये धन्यवाद.
mai NIT Nagpur me B.tech first year ka student hoon,aapka ye sujhaw to behtreen hai par aap hi batayi ki western dresses pehne balaain kya isse manegi.
bahut hi sundar geet aur usse jude mashhoor naam,unke vishay me kya kaha jaye,apko dhanyawaad
Priyank Tumhari baat mein to wazan hai. Par kya pata unmein se hi kisi bala ke paschimi vastron ke peeche bhi bharteey dil chupa ho :)
वाह राजेन्द्र क्रष्ण जी भी क्या खूब लिख गये हैं ।
शयद पहली बार ही सुना है ये गाना. इस गाने के लिए 'पसंद आया या नहीं' ये भी कोई पूछने की बात है ! अरे प्रियांक जरूर मानेंगी. पक्का ! ड्रेस पर मत जाओ :)
यह गीत बस अभी सुन रहे है !!!
कोई शिकवा भी नहीं ...और पहली सी मुहब्बत भी नहीं ...आज कल ऐसे गाने सुनने को तरस जाते हैं ...बहुत आभार ...!!
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