वार्षिक संगीतमाला का सफ़र तय करते करते हम आ पहुँचे हैं ठीक इसके बीचो बीच। यानि 12 पॉयदानों का सफ़र पूरा करके गीतमाला की 13 वीं पॉयदान तक। अभी भी सबसे ऊपर की 12 सीढ़ियों की चढ़ाई बाकी है। आज की पॉयदान पर का गीत एक ऐसा गीत है जिसे इस साल काफी लोकप्रियता मिली। मोहित चौहान की गायिकी का अंदाज़ , प्रीतम का कर्णप्रिय संगीत और इरशाद कामिल के बोलों की रूमानियत ने लोगों के हृदय को इस गीत से जोड़ दिया।
दरअसल शायद ही हम में से कोई हो जिसने अपने अज़ीज़ों से दूर रहने की व्यथा ना झेली हो। इसलिए इंसानी रिश्तों में दूरियों की बात करता ये गीत जल्द ही सबके ज़ेहन में समा गया। जब लव आज कल का संगीत रचा जा रहा था तो सबसे पहले इसी गीत पर काम शुरु हुआ। निर्देशक इम्तियाज़ अली इसे मोहित चौहान से ही गवाना चाहते थे। शायद मोहित का उनकी फिल्म जब वी मेट में गाया गाना ना है कुछ खोना ना पाना ही है.. उनको बेहद प्रभावित कर गया था। संगीतकार प्रीतम को मोहित को ट्रैक करने में दो महिने का वक़्त जरूर लगा पर मोहित निर्देशक और संगीतकार के विश्वास पर बिल्कुल खरे उतरे।
वैसे क्या आपको पता है कि हिमाचल के रहने वाले मोहित चौहान ने कभी भी संगीत की विधिवत शिक्षा नहीं ली। बिलासपुर ,मंडी और नाहन के कॉलेजों से विचरते हुए उन्होंने अपनी परास्नातक की उपाधि धर्मशाला से ली। संगीत जगत की सुर्खियों में वो तब आए जब बतौर मुख्य गायक उनके काम को बैंड सिल्क रूट के एलबम बूँदें में सराहा गया। वैसे इस चिट्ठे पर उनके बारे में चर्चा उनके गाए गीतों गुनचा अब कोई मेरे नाम कर दिया और ना है कुछ खोना ना पाना ही है की वज़ह से पहले भी हो चुकी हैं।
वैसे शिक्षा की दृष्टि से गीत के गीतकार इरशाद क़ामिल भी पीछे नहीं हैं। हिंदी में डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित इरशाद, इम्तियाज़ अली और प्रीतम के साथ पहले भी काम कर चुके हैं। उनसे साक्षात्कार में जब पूछा गया कि गीतकार के लिहाज़ से सबसे कठिनाई भरी बात वो किसे मानते हैं तो उनका जवाब था
मेरे लिए सबसे कठिन किसी रूमानी गीत को रचना है। ऐसा इसलिए कि इस विषय पर इतना ज़्यादा और इतनी गहराई से लिखा जा चुका है कि लगता है कि कुछ कहने को बचा ही नहीं है। मैंने तो अपनी डिक्शनरी से दिल,धड़कन, ज़िगर, इकरार, इंतज़ार इन सभी शब्दों को हटा रखा है। अगर अपनी पसंद की बात करूँ तो मुझे सूफ़ियत और अकेलेपन का पुट लिए रूमानी गीतों को लिखना ज्यादा संतोष देता है।
इरशाद की यही सोच मोहित द्वारा इस गीत की अदाएगी में दिखाई देती है। जिंदगी के अकेलापन में पुरानी स्मृतियों के साए मन में जो टीस उभारते हैं ये गीत उसी की एक अभिव्यक्ति है। तो आइए सुनें फिल्म लव आज कल का ये नग्मा
ये दूरियाँ, ये दूरियाँ,ये दूरियाँ
इन राहों की दूरियाँ
निगाहों की दूरियाँ
हम राहों की दूरियाँ
फ़ना हो सभी दूरियाँ
क्यूँ कोई पास है
दूर है क्यूँ कोई
जाने न कोई यहाँ पे
आ रहा पास या दूर मैं जा रहा
जानूँ न मैं हूँ कहाँ पे
ये दूरियाँ....फ़ना हो सभी दूरियां
ये दूरियाँ, ये दूरियाँ
कभी हुआ ये भी,
खाली राहों पे भी
तू था मेरे साथ
कभी तुझे मिल के
लौटा मेरा दिल यह
खाली खाली हाथ
यह भी हुआ कभी
जैसे हुआ अभी
तुझको सभी में पा लिया
तेरा मुझे कर जाती है दूरियाँ
सताती हैं दूरियाँ
तरसाती हैं दूरियाँ
फ़ना हो सभी दूरियाँ
कहा भी न मैंने
नहीं जीना मैंने
तू जो न मिला
तुझे भूले से भी
बोला न मैं ये भी
चाहूँ फासला, बस फासला रहे
बन के कसक जो कहे
हो और चाहत ये ज़वां
तेरी मेरी मिट जानी है दूरियाँ
बेगानी है दूरियाँ
हट जानी हैं दूरियाँ
फ़ना हो सभी दूरियाँ
क्यूँ कोई पास है
दूर है क्यूँ कोई
जाने न कोई यहाँ पे
आ रहा पास या दूर मैं जा रहा
जानूँ न मैं हूँ कहाँ पे
ये दूरियाँ....फ़ना हो सभी दूरियाँ
ये दूरियाँ, ये दूरियाँ, ये दूरियाँ
7 टिप्पणियाँ:
आपकी पसंद और पैनी नज़र को देख रही हूँ और दाद लुटा रही हूँ,उसपर.....
सिम्पली ग्रेट....
इस गीत की एक एक पंक्ति दिल को छूती है मेरे... मगर दूसरा अंतरा और अधिक खास लगता है।
छूट नहीं रहा कुछ भी उल्लेखनीय़ ! शानदार संगीतमाला । आभार ।
नये गीतों में और नये गायकों में एक मोहित ही है,जिसने गुंचा में मेरा दिल जीत लिया. इस गायक की आवाज़ में जो कशिश है, वह इसे दूसरे गायकों से अलग ले जाता है. इस कशिश भरे स्वर को हम पुराने गायकों में भी नही पाते.
maze ki baat dekhiye ki ye comment mai apne ghar se lekh raha hoon par hostel mai ye geet suna hi jata hai.
geet achcha hai.....
ABHAAR
आप सब को ये गीत पसंद करने के लिए शुक्रिया ! मज़ेदार बात ये कि ये गीत मेरे घर में खूब सराहा जाता है और घरवाली का मत है कि इसका शुमार टाप गीतों में होना चाहिए। इरशाद क़ामिल के बोलों से ज्यादा मुझे इस गीत में प्रीतम और मोहित का कमाल ज्यादा लगता है।
कमाल है आपकी पसंद का!! वाह!
एक टिप्पणी भेजें