बतौर संगीतकार शंकर-अहसान-लॉय और प्रीतम ने इस साल की संगीतमाला में अपनी जोरदार उपस्थिति रखी। जहाँ शंकर-अहसान-लॉय के छः गीत इस संगीतमाला में बजे वहीं प्रीतम ने अजब प्रेम की गजब कहानी, लव आज कल एवम् बिल्लू में बेहद कर्णप्रिय संगीत देकर चार पॉयदानों पर अपना कब्जा जमाया। पर साल २००९ किसी एक संगीतकार का नहीं बल्कि मिश्रित सफलता का साल रहा। रहमान, विशाल भारद्वाज, शांतनु मोइत्रा जैसे संगीतकार जो साल में चुनिंदा फिल्में करते हैं, का काम भी बेहतरीन रहा। इसलिए लोकप्रियता में दिल्ली ६ , कमीने और थ्री इडियट्स भी पीछे नहीं रहे। अमित त्रिवेदी को देव डी और वेक अप सिड के लिए जहाँ शाबासी मिली वहीं सलीम सुलेमान द्वारा संगीत निर्देशित कुर्बान और रॉकेट सिंह जैसी फिल्में भी चर्चा में रहीं।
अब तक अभिनेता व गीतकार के रूप में पहचान बनाने वाले पीयूष मिश्रा, गुलाल के ज़रिए इस साल के सबसे बेहतरीन आलरांउडर के रूप में उभरे। उनके आलावा बतौर संगीतकार दीपक पंडित, अफ़सार - साज़िद और पीयूष - रजत जैसी जोड़ियों ने वार्षिक संगीतमाला में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज करायी।
वैसे जहाँ तक गीतकारों की बात आती है तो मेरी समझ से साल के गीतकार का खिताब निश्चय ही पीयूष मिश्रा की झोली में जाना चहिए। ना केवल उन्होंने फिल्म गुलाल के गीतों को अपने बेहतरीन बोलों से सँवारा पर साथ ही गीतों में कुछ अभिनव प्रयोग करते हुए फिल्म संगीत के बोलों को एक नई दिशा दी।
पुराने गीतकारों में गुलज़ार और जावेद अख्तर का दबदबा पहले की तरह ही कायम रहा। प्रसून जोशी तो अब ना नए रहे ना पुराने। इस साल उनके गीतों में हिंदी भाषा के वो शब्द समाहित हुए, जो सहज होते हुए भी सामान्य गीतकारों के शब्दकोश से गायब होते हैं। नए गीतकार इरशाद क़ामिल ने भी प्रीतम की फिल्मों के गीतों को अपने शब्द दिए जो खासा लोकप्रिय हुए। दो नए गीतकारों मनोज मुन्तसिर और शाहाब इलाहाबादी के लिखे गीतों को पहली बार इस साल सुनने का मौका मिला और ये खुशी की बात है कि इन युवा गीतकारों को पहली दस पॉयदानों में जगह बनाने का मौका मिला।
गायिकी के लिहाज़ से जहाँ पुराने धुरंधरों रेखा भारद्वाज, शंकर महादेवन, मोहित चौहान, श्रेया घोषाल, राहत फतेह अली खाँ ने हमें कुछ बेमिसाल नग्मे दिए वहीं कुछ नई आवाज़ें भी दिल को छू गईं। कविता सेठ का इकतारा हो या श्रुति पाठक का रसिया... कार्तिक का गाया बड़े से शहर में हो या मोहन का खानाबदोश ..इन गीतों को सुनने का मन बार-बार करता रहा।
हो सकता है आपने इस संगीतमाला की कुछ कड़ियाँ को पढ़ने का मौका ना मिला हो। इसलिए आपकी सहूलियत के लिए एक बार फिर से चलते हैं वार्षिक संगीतमाला 2009 के पुनरावलोकन पर..
वार्षिक संगीतमाला 2009 पुनरावलोकन:
इस श्रृंखला का समापन होगा अगली पोस्ट में सरताज गीत के साथ। पर अगली पोस्ट मैं आप तक पहुँचा पाऊँगा अपनी दिल्ली यात्रा (29-31 मार्च) के बाद। तो तब तक दीजिए मुझे इज़ाजत पर ये जरूर बताइए कि कौन रहा आपका पिछले साल का सर्वाधिक प्रिय गीत ?
7 टिप्पणियाँ:
एक नहीं कई गाने है जी हमारी पसंद के।
प्रसून जोशी और पियुश मिश्रा ने तो हिंदी फिल्म-संगीत को एक नया आयाम दे दिया है।
मेरी पसंद है...आप हँसेंगे तो नहीं? राक आन का ना ना ना ना कभी खुद पे हँसा मैं और कभी खुद पे रोया वाला
मैं दर्शक श्रोता बहुत अच्छी बन सकती हूँ ,पर जज ??? ना बाबा ना.. कभी नहीं....और उसमे भी जहाँ एक से बढ़कर एक सभी नायाब नगीने हों...वहां तो किसी एक पर पसंद का चटका लगाना.... असंभव....
बहुत अच्छा किया आपने जो यहाँ पूरी लिस्ट दे दी...
आपके अगली पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी...
@Gautam : Par huzoor Rock On to 2008 mein release huyi thi. Main to 2009 ki baat kar raha tha.
kyaa kare sir...yahaa is valley me itni der se filme dekhane ko milti hai ki release year me confusion ho jata hai...mai abhi tak yahi soch rahaa tha ki rock on 2009 ki early release hai...
यह पुनरावलोकन जरूरी है , सभी पायदानों के गीतों के लिंक एक ही जगह मिल जायेंगे !
गुलाल के गीत रहेंगे मेरी पसन्द में ! अब सरताज गीत की प्रतीक्षा !
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