मंगलवार, मार्च 16, 2010

वार्षिक संगीतमाला 2009 - प्रथम पाँच- गूँजा सा है कोई इकतारा इकतारा..कविता सेठ

वार्षिक संगीतमाला की चौथी पॉयदान पर विराजमान हैं अमित त्रिवेदी। अमित त्रिवेदी एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के लिए कोई नए संगीतकार नहीं हैं। पिछले साल की संगीतमाला में आमिर में उनके संगीतबद्ध इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरी मौला को साल के सरताज गीत के खिताब से नवाज़ चुका हूँ।

इस साल भी अमित Dev D और वेक अप सिड के इस गीत के लिए चर्चा में बने रहे। पर Dev D की अपेक्षा इस गीत का सम्मिलित प्रभाव मुझ पर ज्यादा हुआ। दरअसल वेक अप सिड का ये गीत, उन गीतों में शुमार होता है जिसे एक बार सुन कर ही आप उसके सम्मोहन में आ जाते हैं।


इस गीत की इस सम्मोहनी शक्ति का श्रेय अमित त्रिवेदी के साथ गायिका कविता सेठ ,अमिताभ भट्टाचार्य और गीतकार जावेद अख्तर को भी जाता है। अब इन खूबसूरत लफ़्जों में बहती कविता को महसूस करें , जावेद अख्तर सपनों की बारिश को अपने नज़रिए से देखते हुए लिखते हैं ...

जो बरसें सपने बूँद बूँद
नैनों को मूँद मूँद
कैसे मैं चलूँ
देख न सकूँ
अनजाने रास्ते


और फिर कविता सेठ की गहरी आवाज़ गीत के दर्द को यूँ उड़ेलती हुई चलती है कि श्रोताओं को लगता है कि उनका ख़ुद का दर्द बयाँ किया जा रहा है। अमित त्रिवेदी के बारे में मैं पहले भी लिख चुका हूँ। आज जानते हैं इस गीत की गायिका कविता सेठ के बारे में।

शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने के बाद कविता ने सूफ़ी गायिकी को अपने गायन का माध्यम चुना। कविता जगह जगह अपने समूह कारवाँ के लिए कार्यक्रम करने के आलावा चुनिंदा हिंदी फिल्मों में गाती भी रहीं। फिल्म गैंगस्टर का गीत मुझे मत रोको, फिल्म वादा का मौला और पिछले साल आई ये मेरा इंडिया के तीन गीत उन्होंने गाए। पर उनका ये गीत सबके मन को बावरा कर गया और शायद इसीलिए इस गीत के लिए उन्हें साल की श्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर एवार्ड भी मिला।

वैसे कविता खुद क्याँ सोचती हैं इस गीत के बारे में? अपने ब्लॉग पर कविता इस गीत के बारे में लिखती हैं

ये एक सुरीला नग्मा है जो कि व्यक्ति के मन की उस प्रवृति की पड़ताल करता है जो उसे मीलों लंबे सफ़र पर भटकाती रहती है। गीत का मुखड़ा 'ओ रे मनवा तू तो बावरा है,तू ही जाने तू क्या सोचता है' बड़ी खूबसूरती से लिखा गया है (और मुझे लगता है कि मेंने शायद उसे ठीक से निभाया भी है)... दरअसल ये पंक्तियाँ हम सभी की मनःस्थिति को दर्शाती है। ये गीत मन में उतरता इसीलिए है कि हम सब इसे अपनी जिंदगी के किसी ना किसी हिस्से से आसानी से जोड़ पाते हैं।

तो आइए सुनें वेक अप सिड का ये नग्मा


ओ रे मनवा तू तो बावरा है
तू ही जाने तू क्या सोचता है
तू ही जाने तू क्या सोचता है बावरे
क्यूँ दिखाए सपने तू सोते जागते
जो बरसें सपने बूँद बूँद
नैनों को मूँद मूँद
कैसे मैं चलूँ
देख न सकूँ
अनजाने रास्ते

गूँजा सा है कोई इकतारा इकतारा
गूँजा सा है कोई इकतारा
गूँजा सा है कोई इकतारा इकतारा
गूँजा सा है कोई इकतारा इकतारा
दिल में बोले कोई इकतारा
दिल में बोले कोई इकतारा
गूँजा सा है कोई इकतारा

सुन रही हूँ सुध-बुध खो के कोई मैं कहानी
पूरी कहानी है क्या किसे है पता
मैं तो किसी की हो के ये भी न जानी
रुत है ये दो पल की या रहेगी सदा
किसे है पता
किसे है पता

जो बरसें सपने बूँद बूँद
नैनों को मूँद मूँद......
गूँजा-सा है कोई इकतारा इकतारा...


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11 टिप्पणियाँ:

Priyank Jain on मार्च 16, 2010 ने कहा…

sachchi.........gazab ka gana hai
iski sammohini ka to kya kahiyega bas suntehi jayiye

रंजना on मार्च 16, 2010 ने कहा…

सचमुच ... यह ऐसा लाजवाब गीत है जो मन को बाँध लेता है...

Udan Tashtari on मार्च 16, 2010 ने कहा…

बहुत प्यारा गीत चुना है..आनन्द आ गया.

Udan Tashtari on मार्च 16, 2010 ने कहा…

आप को नव विक्रम सम्वत्सर-२०६७ और चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....

Abhishek Ojha on मार्च 17, 2010 ने कहा…

'जो बरसे सपने बूंद-बूंद, नैनों को मूंद-मूंद.' ये बहुत दिनों तक मेरा स्टेटस मेसेज रहा था गूगल टॉक पर. बहुत खुबसूरत गीत है.

सुशील छौक्कर on मार्च 17, 2010 ने कहा…

बड़ा प्यारा गीत सुनवाया है मनीष जी, पहले नही सुना था।

Anjule Maurya ने कहा…

सपने और अनजान रस्ते ना होते तो हम कितने बेकार होते....बेहतर है कितने भी अनजान रस्ते हों.पर जीने का सलीका यही सिखाते हैं....

Anurag Arya ने कहा…

its my caller tune and hello tune both manish.......i love this song and movie too......

Manish Kumar on मार्च 17, 2010 ने कहा…

अंजुले मौर्या सहमत हूँ आपसे !
अनुराग हाँ पिछले महिने ये गीत सुना था आपको फोन घुमाते वक़्त :)

Himanshu Pandey on मार्च 18, 2010 ने कहा…

बेहतरीन गीत सुना यहाँ आकर ! आभार ।

अपूर्व on मार्च 18, 2010 ने कहा…

ओह्ह आमिर का म्यूजिक भी अमित ने दिया है पता नही था..खैर बिना डाउट के यह गीत मेरे भी पिछले साल के बेहद पसंदीदा गीतों मे था..सो कोई आश्चर्य नही हुआ यहाँ देख कर..और कविता के बारे मे जानना पोस्ट की उपलब्धियों मे से एक रहा..उसके लिये शुक्रिया!!

 

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