बुधवार, मार्च 24, 2010

वार्षिक संगीतमाला 2009 रनर्स अप : बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार... रेखा भारद्वाज

लगभग तीन महिनों का सफ़र तय कर वार्षिक संगीतमाला 2009 जा पहुँची है दूसरी पायदान पर। और वार्षिक संगीतमाला 2009 के रनर्स अप गीत का सेहरा बँधा है उस गीत के सर जो बड़ी ठेठ जुबान में हम सबमें पाई जाने वाली मनोवृति को अपने खूबसूरत बोलों के माध्यम से उभारता है। कौन सी मनोवृति ! अरे वही

बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार
मन बोले चकमक हाए चकमक ...

अब पड़ोसी की कार हो या अर्धांगिनी, कितनी बार उनको देखकर आपने अपने मन को चकमकाते पाया है? खैर छोड़िए आप भी कहेंगे सब जान बूझ कर क्यूँ खुले आम ये सवाल किया जा रहा है ? मुख्य बात ये है कि आजकल के गीत सिर्फ प्रेम, विरह त्याग, दोस्ती, सौंदर्य जैसे विषयों पर नहीं लिखे जा रहे हैं पर हमारे समाज की उस पक्ष पर चुटकी ले रहे हैं जो स्याह है, धुँधला है जिसे जानते बूझते हुए भी हम उन पर बात करने में असहज हैं।

पर इस गीत की खासियत बस इतनी नहीं हैं। पीयूष मिश्रा के इस गीत के संगीत संयोजन और बोलों में लोकगीत वाली मिठास है वहीं रेखा भारद्वाज ने इस अंदाज़ में इस गीत को गाया है कि लगता है सचमुच किसी मुज़रेवाली के सामने बैठ कर ये गीत सुन रहे हों। आंचलिकता के हिसाब से भिन्न भिन्न शब्दों को उनके द्वारा दिया लोच, मूड को गीत के रंग में रँग डालता है। यूँ तो साइडबार की वोटिंग में आप लोगों में से ज्यादातर ने शंकर महादेवन और श्रेया घोषाल को साल का श्रेष्ठ गवैया चुना है पर मेरी नज़र में एक गवैये के तौर पर ये साल रेखा भारद्वाज का रहेगा। गुलाल, फिराक़ और दिल्ली 6 में उनके गाए गीत काफी दिनों तक याद किए जाएँगे।

मेरी एक संगीत मित्र हैं सुपर्णा। अक्सर वो मुझे अपने पसंदीदा गीतों के बारे में बताती रहती हैं। साल के शुरु में जब ये फिल्म रिलीज़ भी नहीं हुई थी, मुझे उनके द्वारा इस गीत की दो पंक्तियों से रूबरू होने का मौका मिला था और मै उन्हें पढ़कर ठगा सा रह गया था। वो पंक्तियाँ थीं

संकट ऐसा सिलवट से कोई हाल भाँप ले जी
करवट ऐसी दूरी से कोई हाथ ताप ले जी

पीयूष मिश्रा के इन शब्दों का जादू कुछ ऐसा था जो मुझे फिल्म के आते ही थियेटर तक ले गया। कितने सहज बिंबों का प्रयोग किया है पीयूष ने। ऐसे बिंब जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से लिए गए हैं। पर इनसे जो बात उन्होंने कहनी चाही है वो लोग तरह तरह के शब्दजाल जोड़ कर भी नहीं कह पाते। तो सुनें और ठुमके लगाएँ गुलाल के इस चकमकाते गीत के साथ..


बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार

मन बोले चकमक हाए चकमक ...
हाए चकमक चकमक चकमक
बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार
मन बोले चकमक हाए चकमक हाए चकमक चकमक चकमक

खाए..खाए तो मचल गई रे हो कजरारी नार
मन बोले चकमक हाए चकमक हाए चकमक चकमक चकमक
बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार
मन बोले चकमक हाए चकमक हाए चकमक चकमक चकमक

हमको दुनिया की लाज सरम का डर लगे है हो जी
हमको दुनिया के लोक धरम का डर लगे है हो जी
पर इस जलते करेजवा पे कोई फूँक मार दो जी
पर इस मनवा की अगिया पे कोई छींट मार दो जी
हो हो हो ओ ...हो हो हो ओ
मीठी.. मीठी सी कसक छोड़ कर चला गया भर्तार
मन बोले चकमक हाए चकमक हाए चकमक चकमक चकमक
बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार
मन बोले चकमक हाए चकमक हाए चकमक चकमक चकमक

जुगनी जान गयो रे मान गयो रे बीड़ो की तासीर
अरे कुर्बान गयो हलकान के मसला सब्र पट गंभीर
कैसे देवे रे इलजाम कि तू भी संकट में आखिर
मैं तो पूरा राजस्थान गयो ना तेरे जैसी बीड़

संकट ऐसा सिलवट से कोई हाल भाँप ले जी
करवट ऐसी दूरी से कोई हाथ ताप ले जी
निकले सिसकी जैसे बोतल का काग जो उड़ा हो
धड़कन ऍसी जैसे चंबल में घोड़ा भाग जो पड़ा हो


हो हो हो ओ ...हो हो हो ओ
अंगिया.... अंगिया भी लगे है जैसे सौ सौ मन का भार
मन बोले चकमक हाए चकमक हाए चकमक चकमक चकमक

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18 टिप्पणियाँ:

सागर on मार्च 24, 2010 ने कहा…

इसी रविवार यह फिल्म फिर से देखि है... कसम से मज़ा आ गया.

सुशील छौक्कर on मार्च 24, 2010 ने कहा…

जब से इस फिल्म की सीडी लाया हूँ तब से पता नही कितनी बार देख चुका हूँ इस फिल्म को। कुछ चीजें दिल पर छा जाती है।

Udan Tashtari on मार्च 24, 2010 ने कहा…

वाह!! क्या सेलेक्शन है, मान गये. सही गाना बना रनर्स अप!!

बहुत सही!!



रामनवमीं की अनेक मंगलकामनाएँ.
-
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

Himanshu Pandey on मार्च 24, 2010 ने कहा…

गुलाल के दूसरे गीतों के बाद इस गीत को सूचीबद्ध किया होगा आपने, ऐसा लगा था !
पर रनर्स अप के लिए इसका स्थान बेहतर लगा ! चयन के पीछे आपकी रुचि के साथ बहुत-सी अन्य चीजें भी जिम्मेदार हैं-ऐसा दिखा ! आभार ।

हरकीरत ' हीर' on मार्च 24, 2010 ने कहा…

बीड़ा दूजी थाली का लगे बड़ा मसालेदार
मन बोले चकमक हाए चकमक ...

बहुत खूब......लोक गीतों के आप प्रसंशक रहे हैं ....तभी शायद ये गीत ज्यादा छू गया आपको ......!!!

Manish Kumar on मार्च 24, 2010 ने कहा…

हिमांशु गुलाल के सारे गीतों में मैंने सबसे अधिक इसी का आनंद उठाया है। मन बोले चकमक चकमक पर तो मेरे साथ मेरे बेटे ने भी खूब ठुमके लगाए हैं। कई बार बनती बिगड़ती सूची में ये २ से पाँच तक बढ़ता घटता रहा पर कभी भी पाँचवें स्थान से नीचे नहीं गया।

राज भाटिय़ा on मार्च 24, 2010 ने कहा…

आप को रामनवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

siddheshwar singh on मार्च 24, 2010 ने कहा…

बहुत बढ़िया मेरे दोस्त!
आपके कारण ही नए गीतों में रुचि जगी है !

अपूर्व on मार्च 24, 2010 ने कहा…

अल्टीमेट...एक दम मेरा फ़ेवरिट जी..पिछले कुछ सालों के सबसे उल्लेखनीय गीतों मे एक..जो एक नयी धारा बनाते हैं फ़िल्म संगीत की.
अब तो उत्सुकता बढ़ गयी कि टॉप पर कौन सा गीत होगा...?

प्रिया on मार्च 25, 2010 ने कहा…

Gulal ke gaane to lajavaab hai hi

suparna ने कहा…

My song! :) :)

suparna ने कहा…

lol i posted the previous comment even before i read the entry, because i was so happy to see this song listed! thank you, thank you ;)


the next 2 lines also became favourites with me - nikle siski jaise botal ka .. dhadkan jaise chambal mein ghoda bhaag jo khada ho (wow!). i found the choice of words very rooted in the context and mileu of the film. the way these filmmakers like dibakar banerjee, kashyap etc. convey the rootedness of their subject makes their films worth so much. unlike so many films that dont have the smell of any place at all :(

and rekha ji is well, just something else. didnt i tell you i attended a live concert ;)

Manish Kumar on मार्च 25, 2010 ने कहा…

सुपर्णा मैंने इसी लिए वो चारो लाइनें बोल्ड कर के रखी हैं क्यूँकि वो चार पंक्तियाँ पीयूष की काबिलियत की मुहर लगा देती हैं और मुझे भी बेहद पसंद हैं। इस गीत में सुनने, झूमने और पीयूष की कविता पर वाह वाह करने तीनों का आनंद है।

रंजना on मार्च 26, 2010 ने कहा…

आपकी पारखी नजर और पसंद.....वाह !!! सुभानल्लाह....

Priyank Jain on मार्च 26, 2010 ने कहा…

jordaar selection

Manish Kumar on मार्च 27, 2010 ने कहा…

इस गीत को पसंद करने के लिए आप सभी पाठकों का शुक्रिया !

कंचन सिंह चौहान on मार्च 29, 2010 ने कहा…

is geet ke sunane sunaane ke kisse avismarniya hain...

ye geeet aate hi meri gardan apne aap hi hilne lagti thi. mujhe birthday ki 12.oo baje ki party me ye geet specially sunaya gaya aur meri gardan ki special photography ki gayi.

majedaar...:) DESERVE TO BE RUNNER UP

NIRANJAN JAIN on अगस्त 14, 2012 ने कहा…

sahi hai it is a very good song

 

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