पर जिस जीवन दर्शन को समझ पाने में शायद हम अपनी पूरी जिंदगी निकाल दें उसे गोपाल दास नीरज जैसा सक्षम कवि चंद पंक्तियों में कैसे व्यक्त कर देता है ये कविता इसका एक सुंदर उदाहरण है।
इस कविता के माध्यम से नीरज इस बात को सरल सहज शब्दों में पुरजोर तरीके से रखते हैं कि किसी मनुष्य के लिए जीवन की परिभाषा इस बात पर निर्भर करती है कि उसने अब तक जिंदगी के किन रंगों का स्वाद चखा है?
तो आइए जीवन के प्रति नीरज के अनुभवो से रूबरू होते हैं उनकी इस कविता चार विचार में...
(1)
जो पुण्य करता है वह देवता बन जाता है,
जो पाप करता है वह पशु बन जाता है,
और जो प्रेम करता है वो आदमी बन जाता है
(2)
जब मैंने प्रेम किया तो मुझे लगा जीवन आकर्षण है, जब मैंने भक्ति की तब मुझे लगा जीवन समर्पण है,
किंतु जब से मैंने सेवाव्रत लिया
तब मुझे पता चला कि जीवन सबसे पहले सर्जन है
(3)
जब मैं बैठा था तो समझता था कि जीवन उपस्थिति है,
जब मैं खड़ा था तब समझता था कि जीवन स्थिति है,
किंतु जब मैं चलने लगा तब लगने लगा, "जीवन गति है"
(4)
जब तक मैं पुकारता रहा
तब तक समझता रहा कि जीवन तुम्हारी आवाज़ है
और जब मैं स्वयम् को पुकारने लगा
तो कहने लगा जीवन अपनी ही आवाज़ है
किंतु जिस दिन मैंने संसार को पुकारना शुरु किया है
उस दिन से मुझे लगने लगा है
कि जीवन मेरी और तुम्हारी नहीं
उन सबकी आवाज़ है जिनकी कि कोई आवाज़ ही नहीं है.....
पता नहीं आपने जीवन के किन रूपों का अब तक अनुभव किया है । हो सकता है आपका नज़रिया भिन्न हो? पर सारे नज़रियों को मिला कर देखें तो शायद सबमें ही जीवन का कोई ना कोई सच छुपा बैठा मिले।
अब ऊपर के चित्र को ही लें। किसी को वो खरगोश नज़र आया होगा तो किसी को बत्तख! पर वास्तविकता तो ये है कि चित्र में ये दोनों ही रूप विद्यमान है। शायद जिंदगी भी ऐसा ही एक चित्र है जिसमें कई सारे चित्र समाए बैठे हैं...क्यूँ है ना?
16 टिप्पणियाँ:
वाह पाप , पुण्य , प्रेम और जीवन की ऐसी परिभाषा नीरज जैसा महान कवि ही दे सकता है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार।
बहुत सुंदर लगी जीवन की परिभाषा कवि की कविता मै. धन्यवाद
second one was not so good but the remaining three are awesome. How candidly Neeraj approaches the life and brings out the core of it to us!!!
Thank you
बढ़िया प्रस्तुति..नीरज जी की रचनाओं में दर्शन है.
नीरजजी का दर्शन काफी उपयोगी है। मैं तो उन्हें खूब पढ़ता रहा हूं.. पढ़ता हूं। दुनिया में उनके लाखों फैन है मैं भी एक छोटा सा फैन हूं।
achcha laga padh kar
नीरज की कविताओं के साथ उनके व्यक्तित्व के साथ आपके ब्लो के माध्यम से रू ब रू होना अच्छा लगा.
कैसा अनमोल चिरंतन,सार्थक चिंतन है.....
मन मुग्ध और तृप्त हो गया....
आपका कोटिशः आभार मनीष जी.....
नीरज जी को जितना सुनो जितना पढ़ो .. उतना ही और सुनने पढने की लालसा होती है .
नीरज जी का जीवन दर्शन आप लोगों को भाया जानकर खुशी हुई।
aapki rachna se apki sahirdayta ke darshan hote hai..........sarthak rachna ke liye badhai
ATI UTTAM.... MUJHE BHI BAHOT ACHA LAGA .... AAJ SE MAIN BHI NEERAJ JI KI FAN HO GAYI :)
Neeraj ji ki kavita aur darshan tareef ke kaabil hai. Aisa shresth karya ek shresth vyakti hi kar sakta hai.
Fantastic
neeraj ji ka jivan darsan sabi ke liye perana he
नीरज जी की कविता का भाव अंतर्मन की गहराइयों को स्पर्श करता हुआ जीवन दर्शन को परिभाषित करता है.
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