शनिवार, अगस्त 14, 2010

एक धुन, दो गीत : I just called to say I love you, हाँ हाँ तुमसे, मैंने प्यार किया !

संगीत की कोई भाषा नहीं होती कोई सरहदें नहीं होती। अच्छा संगीत, अच्छी धुन चाहे कहीं की भी हो आपको अपने आगोश में ले लेती है। यही वज़ह है कि जहाँ जय हो... की जयकार को पूरा विश्व ध्यान दे कर सुनता है वहीं आप भी फुटबाल के खेल का मज़ा लेते हुए सकीरा के वाका वाका ..को गुनगुनाना नहीं भूलते। पर ये भी सत्य है कि जो संगीत हमारे आस पास के परिवेश में ढला होता है वो जल्द ही हमें आकर्षित करता है।

शायद यही वज़ह रही कि भारतीय संगीतकार अपनी धुनों के साथ साथ पाश्चात्य धुनों को भारतीयता के रंग में ढाल कर उसे भारतीय श्रोताओं के सामने प्रस्तुत करते रहे और वाह वाही और निंदा दोनों लूटते रहे। मुझे इस तरह विदेशी धुनों पर हिंदी गीत बनाने में कोई आपत्ति नहीं है बशर्ते धुन के वास्तविक रचनाकार के नाम को पूरे क्रेडिट के साथ फिल्म और उसके एलबम में दिखाया जाए। पर पता नहीं क्यूँ हमारे नामी संगीतकार भी ऐसा करने से कतराते रहे हैं। कई बार ये संगीतकार गीतकारों की मदद से गीत को उसके आरिजनल से भी बेहतर बना देते हैं। पर उनकी ये मेहनत उसके मूल रचनाकार से बिना अनुमति व बिना क्रेडिट के धुल जाती है। मुझे नीलेश मिश्रा का लिखा गैंगस्टर का गीत लमहा लमहा दूरी यू पिघलती है.. याद आता है जिसकी मूल धुन वारिस बेग की थी पर अभिजीत की गायिकी ने उसे और बेहतरीन बना दिया था। 

 पर आज जिस हिंदी फिल्म की गीत की बात आपसे कर रहा हूँ उसका मूल रूप मैंने पहले सुना था। उस वक़्त हम लोग स्कूल में थे और भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे पर थी। क्रिकेट के मैदान में हो रही गतिविधियों को जानने के लिए अक्सर मैं बीबीसी की वर्ल्ड सर्विस का सहारा लिया करता था। ऐसे ही खेल से जुड़े कार्यक्रम को ट्यून करते वक़्त वहाँ के संगीत कार्यक्रम में ये गाना सुनने को मिल गया। गीत के शब्द अक्षरशः भले ना समझ आए हों पर गीत की भावनाएँ और गायिकी ने इस अंग्रेजी गीत का मुरीद बना दिया। 


ये गीत था अस्सी के दशक में अमेरिका वा ब्रिटेन में धूम मचाने वाले गायक स्टीवी वंडर (Stevie Wonder) का। वैसे तो वंडर का वास्तविक नाम Stevland Hardaway Judkins था पर संगीत जगत से जुड़ने के बाद वो 'वंडर' हो गए। जन्म के बाद से ही आँखों की रोशनी छिन जाने के बाद भी स्टीवी वंडर ने अमेरिकी संगीत जगत में जो मुकाम हासिल किया वो उनकी जीवटता की अद्भुत मिसाल है। स्टीवी ने I just called to say I love you.. गीत अपने एलबम The Woman in Red के लिए 1984 में रिकार्ड किया और 1985 में इस गीत को श्रेष्ठ गीत का एकाडमी एवार्ड भी मिला। गीत में स्टीवी ने बड़े प्यारे अंदाज़ में ये कहना चाहा था कि यूँ तो उनके ज़िंदगी में ऍसा कुछ भी नहीं हो रहा जो उन्हें प्रफ्फुलित कर सके। महिने दर महिने बिना किसी उल्लास के यूँ ही निकल जाते गर उन्होंने उन तीन शब्दों का मर्म नहीं समझा होता। और आज जब वो उन्हें समझ आ गया है तो मन में उमंगों की सीमा नहीं है। इसिलिए तो अपने दिल के कोरों से निकली भावनाओं को व्यक्त करने के लिए वे इतने आतुर हैं। तो लीजिए सुनिए इस रचना को मूल रूप में गीत के शब्दों के साथ।

   

No New Year's Day to celebrate 
No chocolate covered candy hearts to give away 
No first of spring No song to sing 
In fact here's just another ordinary day 
No April rain No flowers bloom 
No wedding Saturday within the month of June 
But what it is, is something true 
Made up of these three words that I must say to you 
I just called to say I love you 
I just called to say how much I care 
I just called to say I love you And I mean it from the bottom of my heart 

No summer's high No warm July 
No harvest moon to light one tender August night 
No autumn breeze No falling leaves 
Not even time for birds to fly to southern skies 
No Libra sun No Halloween 
No giving thanks to all the Christmas joy you bring 
But what it is, though old so new To fill your heart like no three words could ever do
I just called to say I love you.. bottom of my heart 

मैंने तो ये गीत बीबीसी के माध्यम से सुन लिया था पर अस्सी के दशक के आखिर में इस धुन को भारतीय जनमानस तक पहुँचाने का काम किया था संगीतकार राम लक्ष्मण ने, राजश्री प्रोडक्शन्स की फिल्म 'मैंने प्यार किया' में। यूँ तो राजश्री प्रोडक्शन की हर फिल्म उस ज़माने में अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि वाली पटकथाओं और कर्णप्रिय संगीत के लिए जानी जाती थी पर सूरज बड़जात्या शायद नए नवेले नायक सलमान खाँ (तब के सलमान अपेक्षाकृत दुबले पतले, धोनी कट लंबे बालों वाले थे) और नवोदित नायिका भाग्यश्री को लेकर बनाई गई इस फिल्म को सफल होने देने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे। शायद इसीलिए उन्होंने राम लक्ष्मण से स्टीवी वंडर की इस धुन पर एक गीत बनवा लिया। राम लक्ष्मण का संगीत तो फिल्म के आने से पहले ही दिल दीवाना बिन सजना के... ,आजा शाम होने आई, आया मौसम दोस्ती का.. और फिर कबूतरी गीत की वज़ह से गीतमालाओं के शीर्ष पर उड़ान भरता रहा। और इसी लोकप्रियता की वज़ह से संगीतकार राम लक्ष्मण को साल का फिल्म फेयर एवार्ड भी मिला। पर पूरी फिल्म में मुझे स्टीवी वंडर की धुन पर बनाया ये गीत ही सबसे प्रिय लगा। 

मूलतः अंग्रेजी में लिखे इस गीत पर जब देव कोहली के शब्दों का कलेवर चढ़ा और गीत को मिली लता और एस पी बालासुब्रमण्यम जैसे मँजे गायकों की आवाज़ तो जैसे सोने पर सुहागा हो गया। मुझे याद है कि जब फिल्म आई थी तो ये गीत उतना नहीं बजा था जिसका ये हक़दार था। इसका एक कारण ये था कि गीत का इस्तेमाल फिल्म की शुरुआत में कास्टिंग दिखाते वक़्त किया गया था। पर अब जब इसे बारहा इसे रेडिओ पर बजते सुनता हूँ तो लगता है कि ये गीत दो दशकों बाद फिल्म का सबसे ज्यादा सुना जाने वाला गीत बन गया है। गीत को भारतीय मिज़ाज में ढालने में देव कोहली साहब ने कमाल का काम किया था। आज तो तब भी प्रेम का भारतीय स्वरूप बहुत कुछ बदला है पर ये तो हम सब जानते हैं कि बीस साल पहले प्रेम को आमने सामने अभिव्यक्त करने में ही आशिकों के पसीने छूटने लगते थे। गुमनाम पत्र और टेलीफोन कर थोड़ी बहुत हिम्मत कुछ लोग दिखा दिया करते पर अधिकांश लुटे दिलवालों के पास दूर दूर से निहारने या नज़रों की लुकाछिपी के अतिरिक्त अपने 'उनके' दिल की भावनाओं को सोचने समझने का कोई चारा ना था। अब इस परिपेक्ष्य में देव साहब के शब्दों पे गौर करें कि उन्होंने गीत की मूल भावना से बिना छेड़छाड किए वो बात कह दी जो उस समय या कुछ हद तक आज के भारतीय प्रेमी की भावनाओं की अभिव्यक्ति करती है। 

आते जाते, हँसते गाते 
सोचा था मैं ने मन में कई बार 
वो पहली नज़र, हलका सा असर 
करता है क्यों दिल को बेक़रार 
रुक के चलना, चल के रुकना 
ना जाने तुम्हें है किस का इंतज़ार 
तेरा वो यकीं, कहीं मैं तो नहीं 
लगता है यही क्यों मुझको बार बार 
यही सच है, शायद मैं ने प्यार किया 

आते जाते, हँसते गाते सोचा था मैं ने मन में कई बार 
होंठों की कली कुछ और खिली 
ये दिल पे हुआ है किसका इख़्तियार 
तुम कौन हो, बतला तो दो क्यों करने लगी मैं तुमपे ऐतबार 
खामोश रहूँ या मैं कह दूँ या कर लूँ मैं चुपके से ये स्वीकार 
यही सच है, शायद मैं ने प्यार किया हाँ हाँ, तुमसे, मैं ने प्यार किया 

 तो आइए सुनें ये गीत..

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22 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

दोनों ही रुप पसंद आये और दोनों के लेरिक्स भी उतने ही स्ट्रांग हैं.

शानदार विश्लेषण. अच्छा शोधात्मक आलेख.

Udan Tashtari on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

वैसे गीत गायन के फ्लो में हिन्दी वाला ही ज्यादा कर्ण प्रिय लगा.

अवनीश उनियाल 'शाकिर' on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

९० के दशक में एक और गीत इसी पंच लाइन i just call to say i love you और aisi hi dhun में आया था ,जहाँ तक मुझे याद है इस गीत के sangeetkar थे नदीम श्रवन , ये गीत भी सुनने में बेहद कर्णप्रिय लगता है

Manish Kumar on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

हिंदी वर्सन वाले गीत का आडियो में गलती से इसी फिल्म का दूसरा गीत इमबेड हो गया था। अब इसे सुधार दिया है।

शारदा अरोरा on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

संगीत नहीं सरहदों का मोहताज ..मगर एक हद तक भाषा का मोहताज तो है । रोचक जानकारी है ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

वैसे गीत गायन के फ्लो में हिन्दी वाला ही ज्यादा कर्ण प्रिय लगा.

Priyank Jain on अगस्त 14, 2010 ने कहा…

Why did you framed today's lovers, they are bold enough...!!!..:P
Hindi version is better. Very nice work done.
thanks

गौतम राजऋषि on अगस्त 15, 2010 ने कहा…

मुझे दोनों ही गाने एक अर्से से बहुत पसंद रहे हैं। ये कहना बड़ा मुश्किल है कि कौन ज्यादा अच्छा बसा है धुन पर| स्टीवी की वो कशिश भरी आवाज हो या फिर एसपीबाला की कशिश...उफ़्फ़्फ़।

एक बार फिर से हमारी और आपकी पसंद को एकाकार होते देख मजा आ रहा है।

राजभाषा हिंदी on अगस्त 15, 2010 ने कहा…

आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

Ashish Khandelwal on अगस्त 15, 2010 ने कहा…

बहुत खूब..

हिन्दी संस्करण अच्छा है, लेकिन मूल संस्करण में जो ताज़गी होती है, उसका कहना ही क्या। इसी वजह से मुझे मूल संस्करण ज़्यादा अच्छा लगा। इसी तरह पंचम दा के 'महबूबा महबूबा' और राजेश रोशन साहब का 'जब कोई बात बिगड़ जाए' जिन मूल धुनों पर आधारित हैं, वे मुझे ज़्यादा आकर्षित करती हैं। उनकी जानकारी भी आप दे सकते हैं।

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

हैपी ब्लॉगिंग

विनोद कुमार पांडेय on अगस्त 15, 2010 ने कहा…

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई!!!!!

वाणी गीत on अगस्त 15, 2010 ने कहा…

रोचक जानकारी ...!

Manish Kumar on अगस्त 16, 2010 ने कहा…

अच्छा लगा आप सब के विचारों को जानकर इन दोनों गीतों के बारे में !

गौतम राजऋषि on अगस्त 17, 2010 ने कहा…

आशिष जी की टिप्पणी गौर-तलब हो मनीष जी। एक पोस्ट जब कोई बात बिगड़ जाये" और पीटर पाल मैरी की "500 miles" पर जरूर होना चाहिये आपके ब्लौग पर....

VIJAY KUMAR VERMA on अगस्त 17, 2010 ने कहा…

pahali bar aapke blog ko dekh ...bahut hee rochak jankari mili..mazaa aagaya

रंजना on अगस्त 18, 2010 ने कहा…

मुझे भी यह मधुर कर्णप्रिय गीत बहुत ही अजीज रहा है...
सुनवाने के लिए बहुत बहुत आभार...

सही बात है,धुन कर्ण प्रिय हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके बोल किस भाषा के हैं...

Unknown on अगस्त 18, 2010 ने कहा…

मनीष जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद्. आज इस गीत के साथ कई पुरानी यादों के पन्ने खुल गए.स्टीवी का यह गीत उन दिनों अंग्रेजी पर पकड़ न होते हुए भी दिल में कही गहरे घर कर गया था,जिसे मैं यदा-कदा आज भी गुनगुना लेता हूँ.
वहीँ "मैंने प्यार किया" का यह गीत भी मेरी पसंद का है,पर यह गीत स्टीवी के इस गीत/धुन पर आधारित है,यह अब पता चला.
आपको एक बार फिर धन्यवाद्.

राज भाटिय़ा on अगस्त 19, 2010 ने कहा…

दोनो गीत एक से बढ कर एक है जी, बहुत सुंदर धन्यवाद

अविनाश वाचस्पति on अगस्त 24, 2010 ने कहा…

आज दिनांक 24 अगस्‍त 2010 के दैनिक जनसत्‍ता में संपादकीय पेज 6 पर समांतर स्‍तंभ में आपकी यह पोस्‍ट सरहदों के पार शीर्षक से प्रकाशित हुई है, बधाई। स्‍कैनबिम्‍ब देखने के लिए जनसत्‍ता पर क्लिक कर सकते हैं। कोई कठिनाई आने पर मुझसे संपर्क कर लें।

ssiddhant on अगस्त 24, 2010 ने कहा…

बहुत बढ़िया और विश्लेषक आलेख...
मैं बस एक छोटी सी बात जोड़ना चाहता हूँ कि इस सुन्दर गीत का एकदम सीधा-सीधा (बिना किसी अनुवाद के) इस्तेमाल फ़िल्म ओमकारा में हुआ है जहां केसू यही गाना डॉली को सिखलाते हैं, ओमकारा को रिझाने के लिए.

शुभकामनाएं.

Manish Singh "गमेदिल" on अगस्त 25, 2010 ने कहा…

"मैंने प्यार किया" का यह गीत मुझे बहुत पसंद है,पर यह गीत स्टीवी के इस गीत/धुन पर आधारित है,यह अब पता चला. इस रोचक जानकारी के लिए आपका धन्यवाद्.

Manish Kumar on सितंबर 04, 2010 ने कहा…

गौतम भाई आपकी बात ध्यान में है और अब तो आपसे वो गीत भी मिल गया है
अविनाश जी सूचित करने का शुक्रिया
नीरज जी, राज जी, सिद्धान्त मनीष मेरी पसंद आप सब की भी पसंद है जानकर खुशी हुई !

 

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