ए माइलस्टोन (A Milestone) जहाँ जनाब क़तील शिफ़ाई की लिखी ग़ज़लों पर केंद्रित था वहीं दि लेटेस्ट (The Latest) जगजीत चित्रा की जोड़ी ने सुदर्शन फ़ाकिर की गज़लों को अपनी आवाज़ दी थी। वहीं बाकी के दो एलबम में जगजीत जी ने अलग अलग शायरों की ग़ज़लों को लिया था।
बाकी एलबमों को तो मैंने उनके रिलीज़ होने के बहुत बाद में सुना पर Ecstasies की कैसेट 84-85 के दौरान घर पर आ चुकी थी। इस एलबम की ज्यादातर ग़जलें हल्के फुल्के मिजाज़ की थीं। एलबम की शुरुआत मदनपाल की लिखी ग़ज़ल
जवाँ है रात साकिया, शराब ला शराब ला
जरा सी प्यास तो बुझा शराब ला शराब ला
..से होती थी। हाई स्कूल के उन दिनों में इस ग़ज़ल की धुन और गायिकी से में इस क़दर प्रभावित था कि इसे तरन्नुम में गुनगुनाना बेहद भला लगता था। तो चलिए सुनते हैं ना एक बार फिर इस ग़ज़ल को
इस एलबम से जुड़ी एक याद चित्रा जी की गाई ग़ज़ल...
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
ये बोलो कहाँ से चले आ रहे हो ?
...से जुड़ी है।
मेरी बड़ी दी ने ये ग़ज़ल पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कॉलेज के एक कार्यक्रम में गाई थी। दी ने बताया था कि जब वो स्टेज पर गा रही थीं तो पिछली पंक्तियों में खड़े श्रोता पंखा हाँक रहे थे। दरअसल इस एलबम की ज्यादातर ग़ज़लें ऐसी थीं जो सामान्य जनों को अपनी ओर बड़ी आसानी से जोड़ लेती थीं।
इस लिहाज़ से एलबम की दो और ग़ज़लें याद आ रही हैं। पहली ग़ज़ल बड़े प्यारे लहज़े में आपको ये पता करने में मदद करती है कि आप लवेरिया जैसी बीमारी से ग्रसित हैं या नहीं..
मेरे जैसे बन जाओगे तो इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
हर बात गवारा कर लोगे मन्नत भी उतारा कर लोगे
ताबीजें भी बँधवाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
अगर सईद राही की लिखी ये ग़ज़ल दिल को गुदगुदाती थी तो बेकल उत्साही का ये कलाम भी ये सोचने पर मज़बूर कर देता था कि कमबख़्त हम कब तबाह होंगे?
जब से हम तबाह हो गये
तुम जहाँपनाह हो गये
हुस्न पर निखार आ गया
आईने सयाह हो गये
पर इतने दशकों बाद अगर आज मुझे इस एलबम की सबसे बेहतरीन पेशकश बताने को कहा जाए तो मैं साइड बी की अंत में सलाम मछलीशेहरी को दिल को छू जाने वाली नज़्म बहुत दिनों की बात है का ही जिक्र करना चाहूँगा। वो समय हो या आज का वक़्त ये नज़्म हमेशा दिल के करीब ही रही है। इस नज़्म और उसके शायर के बारे में विस्तार से आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
The Latest की अपनी पसंदीदा ग़ज़लों 'चराग़ ओ आफ़ताम गुम बड़ी हसीन रात थी', 'शायद मैं ज़िंदगी की सहर ले के आ गया' का जिक्र मैं सुदर्शन फ़ाकिर को दी हुई श्रृद्धांजलि में मैं पहले ही कर चुका हूँ। सुदर्शन फाक़िर की तरह ही क़तील शिफ़ाई की ग़ज़लों को जगजीत ने काफी गाया है। सिर्फ क़तील को ले के बनाया उनका एलबम A Milestone तो सचमुच ही मील का पत्थर साबित हुआ था। आखिर
सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं
लेकिन ये सोचता हूँ कि अब तेरा क्यूँ हूँ मैं
और
परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ
सुकूत ए मर्ग तारी है सितारों तुम तो सो जाओ
..जैसी बेमिसाल ग़ज़लों और जगजीत जी की उम्दा अदाएगी को भला कौन भूल सकता है ? क़तील की शायरी पर आधारित श्रृंखला में इन ग़ज़लों को सुनवा ही चुका हूँ। जहाँ तक ए साउंड एफेयर की बात याद करूँ तो सिर्फ दो ग़ज़लें ज़ेहन में उभरती हैं । एक तो फिराक़ गोरखपुरी की ग़ज़ल ये तो नहीं कि गम नहीं और दूसरी जनाब शाहिद मीर की लिखी ये ग़ज़ल।
ऐ ख़ुदा रेत के सेहरा को समन्दर कर दे
या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे
तुझको देखा नहीं महसूस किया है मैंने
आ किसी दिन मेरे एहसास को पैकर1 कर दे
1 आकृति प्रदान करना
और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है
लेकिन मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे
ग़ज़ल के हर शेर से निकला दर्द जगजीत की आवाज़ में अंदर तक घुलता हुआ महसूस होता है। वैसे ये बता दूँ कि इसे लिखने वाले शाहिद मीर एक शिक्षक हैं जिन्होंने औषधीय वनस्पति जैसे विज्ञान से जुड़े में पी एच डी की हुई है।
जगजीत की गाई ग़ज़लों की इस श्रृंखला की अगली कड़ी में होगी एक पहेली जो तय करेगी कि आपने जगजीत सिंह की ग़ज़लों को कितनी ध्यान से और कितना ज्यादा सुना है....
इस श्रृंखला में अब तक
- जगजीत सिंह : वो याद आए जनाब बरसों में...
- Visions (विज़न्स) भाग I : एक कमी थी ताज महल में, हमने तेरी तस्वीर लगा दी !
- Visions (विज़न्स) भाग II :कौन आया रास्ते आईनेखाने हो गए?
- Forget Me Not (फॉरगेट मी नॉट) : जगजीत और जनाब कुँवर महेंद्र सिंह बेदी 'सहर' की शायरी
- जगजीत का आरंभिक दौर, The Unforgettables (दि अनफॉरगेटेबल्स) और अमीर मीनाई की वो यादगार ग़ज़ल ...
- जगजीत सिंह की दस यादगार नज़्में भाग 1
- जगजीत सिंह की दस यादगार नज़्में भाग 2
- अस्सी के दशक के आरंभिक एलबम्स..बातें Ecstasies , A Sound Affair, A Milestone और The Latest की
13 टिप्पणियाँ:
बहुत शानदार ब्लॉग लिखा है..
शुक्रिया रवि ! उन दिनों जगजीत जी की ग़ज़लों का साथ दिल को बहुत सुकून देता था।
aaj bhi gajal samrat jagjit singh hi hai. blog ke liye dhanyvad
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
समझ का फेर, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वरूप की लघुकथा, पधारें
यूँ तो सभी के सभी लाजवाब हैं पर अनफोरगेटेबल्स सा मुझे कोई नहीं लगता...
उन पुरानी गलियों में जिनमे कभी हम हमेशा गुम रहा करते थे,फिर से सफ़र कराने के लिए बहुत बहुत आभार...
Yaad aaye wo LP ke din..bada sakoondeh hota tha der raat Jagjit /chitra ko sunna..Ahista hazoor aahista aahista,,,''
-Bahut behtareen safar par le gaye aap..aabhar
न भूलने वाली गजले हैं यह ...शुक्रिया यादो को फिर से ताजा करने के लिए
ना बाबा ना हमें ना टकराना अपना सर दीवारों से...हमें नहीं करनी मोहब्बत
सहमत हूँ आपसे रंजना जी दि आनफॉरगेटेबल्स और विजन्स मुझे इन सारे एलबमों से कुल मिलाकर ज्यादा अच्छे लगे थे। इन एलबम्स में सदमा तो है मुझे भी, परेशाँ रात सारी है, बहुत दिनों की बात है और ये तो नहीं कि गम नहीं मुझे खास तौर से पसंद रही हैं।
One of the best duets of JS and Chaitra jees....tanhaaii ke jhoole jhoologe har baat puraani bhoologe.....very good lyrics and beautifully sung by them...
jagjeet singh mere favr8 gazal gayako me se ek hain unki itni sari sundar-sundar gazale bhejne ke liye shukriya
jagjeet singh ji mere fav8 gazal gayako me se ek hain unki itni sari sundar-sundar gazale sunke maza aa gya thx manish ji :)
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