अब्बास टॉयरवाला बतौर गीतकार फिल्म 'जाने तू या जाने ना ' के गीतों की वज़ह से चर्चा में आए थे। जाने तू या जाने ना युवाओं पर केंद्रित फिल्म थी और 'झूठा ही सही' के मुख्य किरदार भी इसी वर्ग से आते हैं। अब्बास अपने गीतों के ज़रिए इस वर्ग के दिलों में अपनी पैठ बनाते रहे हैं। उनके गीतों की भाषा सहज होती है जिसे समझने के लिए आपको कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
इस गीत में उनका सिर्फ एक सीधा सा संदेश है रोने धोने से हम अपने आप को कमज़ोर करते ही हैं और साथ ही साथ उससे हमारे दुख भी दूर नहीं होते। उदासी यूँ ही नहीं भाग सकती पर अगर हम खुद उसे भागने का अवसर नहीं देंगे तो वो क्यूँ कर आपके दिल की खोली खाली करेगी? अब्बास टॉयरवाला के गीत का मुखड़ा हिंगलिश होते हुए भी मन को सुकून देता हुआ सा जाता है..
रोते काए को हम हे रोते काए को हम
होना है जो हो sad होते काए को हम
cry cry इतना cry करते हम काय को
इतना डरते हैं काय को,पल पल मरते हैं काय को
why why ऐसा why वैसा क्यूँ होता
यूँ होता तो क्या होता, जो होता है वो होता
fly fly baby fly देखें आ उड़ के,
देखें बादल से जुड़ के,देखें फिर ना मुड़ मुड़ के
रोते काए को हम हे रोते काए को हम
होना है जो हो sad होते काए को हम
हाँ रातों को ना सोते काए को हम
पर अंतरे में अब्बास की शब्द रचना निराश करती है और ये बेहतर हो सकती थी। पर रहमान का संगीत संयोजन और राशिद अली व श्रेया की मुलायम आवाज़ इस तरह की है कि आप कमज़ोर बोलों के बावजूद गीत को साथ साथ अनायास ही गुनगुनाने लगते हैं। मुखड़ा ताल वाद्य की पार्श्व बीट्स और साथ आती झनकार से शुरु होता है। रहमान गिटार और फिर सैक्सोफोन की मधुर धुन के इंटरल्यूड्स से गीत की मधुरता बनाए रखते हैं। राशिद अली और श्रेया घोषाल ने अपनी आवाज़ों के अनुरूप ही गीत को निभाया है। वैसे राशिद अली अगर आपके लिए नया नाम हों तो उनसे जुड़ी संगीतमाला की ये पोस्ट पढ़ें।
तो अपने विचार तंतुओं को दीजिए विश्राम और गीत की सहजता से ख़ुद को कीजिए तनावमुक्त..
अब 'एक शाम मेरे नाम' फेसबुक के पन्नों पर भी...
6 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर, धन्यवाद
अच्छे गाने का जिक्र किया आपने..शुक्रिया..और दिलचस्प जानकारियों के संग...मुझे लगता है कि पिछला साल रहमान से सबसे बेहतरीन सालों मे से नही रहा..कामनवेल्थ के हंगामे के अलावा उनके कई अच्छे गीत भी नेपथ्य मे चले गये..इस गाने को भी जितनी अहमियत मिलनी चाहिये थी नही मिली..वरना अदिति की लोकप्रियता के लेवल तक जा सकना था इसे.....शायद फ़िल्म का कमजोर होना भी इसका जिम्मेदार रहा हो..वैसे आगे उनके रावण के कुछ उम्दा गीतों का इंतजार रहेगा..आगे के पायदानों पर..:-)
अपूर्व सच कहूँ तो जैसे जैसे इस गीत को मैं बार बार सुन रहा हूँ इसका असर कम होता जा रहा है । शायद सरताज गीत का नंबर आते आते ये गीत मेरी पसंद में और नीचे चला जाए। और हाँ रहमान ने अव्वल तो ज्यादा फिल्में की नहीं और रावण में गुलज़ार और रहमान की जोड़ी से जो आशा थी वो मुझे तो पूरी होती नहीं दिखी। दूसरे शब्दों में रावण के गीतों ने मुझे बेहद निराश किया। सिवाए बहने दे और राँझा राँझा कुछ हद तक प्रभाव छोड़ने में सफल रहे पर मैं अंततः उन्हें शामिल नहीं कर सका। :(
sahi कहा...
सरल भाषा में सुन्दर सन्देश देने का प्रयास किया गया है गीत में और सच है कि सरल बात दिल तक आसानी से पहुँचती है..
आपका गीत चयन और विवेचना...कमाल कमाल कमाल !!!
आपकी ये संगीतमाला भी कमाल की है। ये आपकी निजी पसंद पर आधारित है या कोई और भी आधार है?
शुक्रिया ! सोमेश ये मेरी निजी पसंद पर आधारित हैं। संगीत के क्रम का फैसला मैं किस आधार पर करता हूँ ये इस गीतमाला की शुरुआत में यहाँ बता चुका हूँ।
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