गीतकार की हैसियत से निरंजन का मुंबई की फिल्मी दुनिया में सफ़र जयदीप साहनी से मिलता जुलता रहा है। गीतकार से ज्यादा आज भी वे संवाद लेखक के रूप में जाने जाते हैं। करण ज़ौहर की फिल्मों 'कभी अलविदा ना कहना' और 'कल हो ना हो' के संवाद लेखन से जुड़े रहने की वज़ह से उन्हें फिल्म के लिए किए जाने वाले संगीत सत्रों का हिस्सा बनना पड़ा। इन संगीत सत्रों के दौरान निरंजन की उपस्थिति का फ़ायदा उनके मौके पर लिखे गए कच्चे गीतों (जिसे बॉलीवुड की चालू जबान में डमी लिरिक्स कहा जाता है) से लिया जाता रहा। अंततः तो इन फिल्मों में गीतों को पक्का करने का काम जावेद साहब को ही दिया गया।
पर जब माई नेम इज खान (My Name is Khan) में यही प्रक्रिया दोहराई गई तो निरंजन के लिखे ये कच्चे गीत करण जौहर को इतने अच्छे लगे कि वे बिना किसी ज्यादा बदलाव के फिल्म का हिस्सा बन गए।
लगभग ऐसा ही वाक़या फिल्म कुर्बान की संगीत रचना के समय भी हुआ और ये संवाद लेखक एक गीतकार भी बन गया। पर अपना पहला गीत उन्होंने माई नेम इज खान के लिए ही लिखा। वो गीत तो इस गीतमाला के प्रथम दस गीतों के साथ बजेगा और उस गीत की चर्चा के समय निरंजन के बारे में कुछ और बातें आपसी बाँटी जाएँगी।
आज इस पॉयदान पर उसी फिल्म का एक दूसरा गीत है 'नूर ए ख़ुदा...'. जिसे गाया है शंकर महादेवन,अदनान सामी और श्रेया घोषाल की तिकड़ी ने। निरंजन जब इस दुनिया के लाचार और बेबस लोगों की तरफ से भगवान से फ़रियाद करते हैं तो बात सीधे दिल पर लगती है।
उजड़े से लमहों को आस तेरी, ज़ख़्मी दिलों को है प्यास तेरी
हर धड़कन को तलाश तेरी, तेरा मिलता नहीं है पता
खाली आँखें खुद से सवाल करें, अमन की चीख बेहाल करें,
बहता लहू फ़रियाद करें, तेरा मिटता चला है निशाँ,
शंकर महादेवन की गायिकी की बुलंदियाँ से तो सभी संगीत प्रेमी भली भांति परिचित हैं ही पर अदनान और श्रेया ने भी अपना हिस्सा ठीक ठाक ही निभाया है। पर मुझे इस गीत का सबसे मजबूत पहलू लगता है गीत के अंतरों के बीच आता नूर ए ख़ुदा का कोरस जिसे दोहराकर आप अपने आप को ऊपरवाले से कुछ और करीब पाते हैं। पूरे गीत में शंकर अहसान लॉय का संगीत लफ़्जों के पीछे ही रहता है ताकि उनसे निकलती भावनाएँ की वज़ह से संगीत से श्रोताओं तक पहुंचने के पहले भटक ना जाएँ।
तो आइए इस गीत के माध्यम से याद करें उस ख़ुदा को जो पास रहकर भी जीवन के कठिन क्षणों में दूर जाता सा प्रतीत हो रहा है...
नूर ए ख़ुदा नूर ए ख़ुदा ...
अजनबी मोड़ है,खौफ़ हर और है
हर नज़र पे धुआँ छा गया
पल भर में जाने क्या खो गया ?
आसमां ज़र्द है, आहें भी सर्द है,
तन से साया जुदा हो गया
पल भर में जाने क्या खो गया ?
साँस रुक सी गयी, जिस्म छिल सा गया
टूटे ख्वाबों के मंज़र पे तेरा ज़हाँ चल दिया
नूर ए ख़ुदा नूर ए ख़ुदा ...
तू कहाँ छुपा है हमें ये बता
नूर ए ख़ुदा नूर ए ख़ुदा ...
यूँ ना हमसे नज़रें फिरा.
नूर ए ख़ुदा ...
नज़र-ए-करम फ़रमा ही दे, दीनों-धरम को जगा ही दे
जलती हुई तन्हाइयाँ, रूठी हुई परछाइयाँ
कैसी उडी ये हवा, छाया ये कैसा समां
रूह जम सी गई, वक़्त थम सा गया
टूटे ख्वाबों के मंज़र ...नूर ए ख़ुदा नूर ए ख़ुदा ...
उजड़े से लमहों को आस तेरी, ज़ख़्मी दिलों को है प्यास तेरी
हर धड़कन को तलाश तेरी, तेरा मिलता नहीं है पता
खाली आँखें खुद से सवाल करें, अमन की चीख बेहाल करें,
बहता लहू फ़रियाद करें, तेरा मिटता चला है निशाँ,
रूह जम सी गई,वक़्त थम सा गया
टूटे ख्वाबों के मंज़र ...नूर ए ख़ुदा नूर ए ख़ुदा ...
6 टिप्पणियाँ:
This is one of my fav.
good song ! ! !
बहुत खुब जी
good song.Tamil lyricist,really surprising.
hmmmm...ye hai mera pasandida geet...!
निरंजन के बारे मे जानना भाया..और सच कहूँ तो इस गाने को भी कभी इतने घ्यान से नही सुना था..जितना कि आपकी पोस्ट पढ़ के लगा..यही विशिष्टता रहती है..आपकी गीतमाला की..और बिहाइंड-द-सीन तो मस्त..!!
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