गुरुवार, फ़रवरी 10, 2011

वार्षिक संगीतमाला 2010 - पॉयदान संख्या 14 : बहारा बहारा, हुआ दिल पहली बार वे...बहारा बहारा, कि चैन तो हुआ फरार वे

वसंत हमारे द्वार पर दस्तक दे रहा है। सर्दी अपनी कड़क छोड़ चुकी है। मौसम भी आशिकाना है और संत वेलेंटाइन के पुण्य प्रताप से ये सप्ताह भी। और तो और इस मौसम को और रूमानी बनाने का आ पहुँचा है वार्षिक संगीतमाला 2010 की चौदहवीं पॉयदान पर का ये बेहद सुरीला नग्मा।

इस नग्मे को गाया है कोकिल कंठी श्रेया घोषाल ने। पर श्रेया की मधुर आवाज़ के साथ गीत की शुरुआत और अंतरों के बीच एक और स्वर सुनाई देगा आपको जिसमें गँवई मिट्टी की खुशबू भी है और लोक गीत सी मिठास भी। ये स्वर है सोना महापात्रा का। वर्ष 2006 में सोनी द्वारा निकाले एलबम सोना से अपने संगीत के कैरियर की शुरुआत करने वाली सोना महापात्रा को लोग एक रॉक गायक के रूप में ज्यादा जानते हैं। पर शायद इस गीत की सफलता के बाद पार्श्व गायिका के रूप में उन्हें ज्यादा मौके मिले।


पर फिल्म I Hate Luv Storys का ये गीत यहाँ है तो श्रेया घोषाल की वज़ह से। इस गीत में श्रेया की मिसरी सी मीठी आवाज़ का बेहतरीन उपयोग किया है संगीतकार युगल विशाल शेखर ने। हर अंतरे को जब श्रेया वो ओ ओ ओ.. की स्वर लहरी से शुरु करती हैं तो मन झूम जाता है। वैसे भी रोमांटिक गीतों को गाने में फिलहाल श्रेया का कोई सानी नहीं है।

विशाल शेखर इस साल के सबसे सफल संगीतकारों में रहे हैं। इस गीत में भी इंटरल्यूड्स में उनका संगीत संयोजन बेहद कर्णप्रिय है। वैसे विशाल शेखर ने इस एलबम में राहत फतेह अली खाँ से भी इस गीत का एक वर्जन गवाया है। पर ये गीत श्रेया की आवाज़ पर ज्यादा जमता है।

इस गीत को लिखा है 'कुमार' ने। एक तो ये नाम आप को आधा अधूरा सा लग रहा होगा और दूसरे एक गीतकार के रूप में ये नाम आपके लिए नया भी होगा। तो चलिए पहली बार एक शाम मेरे नाम की संगीतमाला में शिरक़त करने वाले कुमार साहब से आपका परिचय करा दें। कुमार का पूरा नाम है 'राकेश कुमार'। राकेश पंजाब के जालंधर शहर से ताल्लुक रखते हैं। मुंबई फिल्म उद्योग में इनके कदम पन्द्रह साल पहले पड़े। पर पहली फिल्म में गीतकार बनने का मौका 2004 में फिल्म 'प्लॉन' के लिए मिला। वैसे देश के फिल्मी बाजार में लोकप्रिय होने के लिए इन्हें 2009 तक इंतज़ार करना पड़ा। फिल्म दोस्ताना में इनके लिखे गीतों 'देशी गर्ल' और 'माँ का लाडला बिगड़ गया' पर पूरा भारत झूमा था और आज भी नाच गानों की महफिलों में ये गीत बारहा बजते सुनाई दे जाते हैं। और हाँ अगर गीत के साथ उनके नाम की जगह 'Kumaar' दिखे तो इस अतिरिक्त 'a' को देखकर चौंकिएगा नहीं। अपने फिल्मी नामाकरण में उन्होंने इसी spelling का उपयोग किया है।

बहरहाल अपने धूमधड़ाका गीतों के विपरीत 'कुमार' ने इस गीत के रूमानी मूड को देखते हुए बड़ी प्यारी शब्द रचना की है जो श्रेया की आवाज़ में और निखर उठती है। तो चलिए अब बातों का क्रम बंद करते हैं और खो जाते हैं इस सुरीले गीत के आगोश में..



हूँ तोरा साजन, आयो तोरे देश
बदली बदरा बदला सावन
बदला जग ने भेस रे
तोरा साजन, आयो तोरे देश..

सोयी सोयी पलकों पे चल के
मेरी सपनों की खिड़की पे आ गया
आते जाते फिर मेरे दिल के
इन हाथों में वो ख़त पकड़ा गया
प्यार का, लफ़्ज़ों में रंग है प्यार का
बहारा बहारा, हुआ दिल पहली बार वे
बहारा बहारा, कि चैन तो हुआ फरार वे
बहारा बहारा, हुआ दिल पहली पहली बार वे
हो तोरा साजन...

वो कभी दिखे ज़मीन पे, कभी वो चाँद पे
ये नज़र कहे उसे यहाँ मैं रख लूँ
बाँध के इक साँस में
धडकनों के पास में, हाँ पास में घर बनाए
हाय भूले ये ज़हाँ
बहारा बहारा, हुआ दिल पहली बार वे...

प्रीत में तोरी ओ री सँवारिया
पायल जैसे छमके बिजुरिया
छम छम नाचे तन पे बदरिया हूँ हो हो ओ हो
बादालिया तू बरसे घना
बरसे घना, बरसे घना

ये बदलियाँ, वो छेड़ दे,तो छलके बारिशें
वो दे आहटें, करीब से
तो बोले ख़्वाहिशें कि आज कल, ज़िन्दगी हर एक पल,
हर एक पल से चाहे, हाय जिसका दिल हुआ

बहारा बहारा, हुआ दिल पहली बार वे...
सोयी सोयी पलकों पे चल के....
बहारा बहारा.... हो तोरा साजन...



अब 'एक शाम मेरे नाम' फेसबुक के पन्नों पर भी...
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7 टिप्पणियाँ:

ZEAL on फ़रवरी 10, 2011 ने कहा…

राकेश जी से परिचय अच्छा लगा । श्रेया की की मधुर आवाज़ के हम भी fan हैं। सवारिय फिल्म में उनका गाना " बड़े नादान हो तुम " मुझे बहुत पसंद है ।

Mrityunjay Kumar Rai on फ़रवरी 10, 2011 ने कहा…

मनीष जी , मै इसी गाने की उम्मीद कर रहा हूँ . गाने में सब कुछ सुपर हिट है. श्रेया घोसल तो हर गाने के साथ एक नया लेवल छू रही है . वैसे गीतकार का नाम बताकर बहुत अच्छा किया. , गीतकार को भी अच्छे बोल लिखने का श्रेय मिलना चाहिए .

वैसे इसी गाने को राहेत फ़तेह अली खान ने भी अपनी अलग ही स्टायल में गाया है . हां गाने के बोल कुछ अलग है .

इस अच्छे गाने को पेश करने के लिए धन्यवाद

Manish Kumar on फ़रवरी 10, 2011 ने कहा…

मृत्युंजय, मैंने पोस्ट में राहत वाले वर्जन का भी जिक्र किया है। उसके बोल के साथ संगीत संयोजन भी अलग है। राहत की बजाए मुझे श्रेया घोषाल की आवाज़ में ये गीत ज्यादा पसंद आता है। हाँ ये जरूर है कि राहत वाले वर्सन में विशाल शेखर ने सारंगी का अच्छा इस्तेमाल किया है।

रंजना on फ़रवरी 10, 2011 ने कहा…

थैंक्स मनीष जी...

आज इतना ही कहूँगी...

Abhishek Ojha on फ़रवरी 10, 2011 ने कहा…

सोना एल्बम मेरे एक दोस्त को बहुत पसंद आया था, इतना सुनवाया उसने की भुलाने का सवाल ही नहीं उठता :) अच्छा लगा ये गाना.

कंचन सिंह चौहान on फ़रवरी 13, 2011 ने कहा…

हम्म्म्...! किसी भी गीत को आधी श्रवणीयता तो श्रेया की आवाज़ दे देती है। ये फिल्म देखी थी, तब ये गीत भी देखा होगा...! जाने क्यों ध्यान नही दिया ?

आज तो सुनकर बहुत ही सुरीला लग रहा है !!

Manish Kumar on फ़रवरी 15, 2011 ने कहा…

गीत पसंद करने और अपने विचार रखने के लिए आप सब का शुक्रिया !

 

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