सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

वार्षिक संगीतमाला 2010 - पॉयदान संख्या 15 : सुबह की किरणों को रोके जो सलाखें हैं कहाँ..जो ख़यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ ?

आज़ादी एक बड़ा ही परतदार सा शब्द है। अलग अलग परिस्थितियों और परिदृश्यों में इसके नए मायने निकलते ही जाते हैं। आज से छः दशकों पहले इसका मतलब अंग्रेजों की गुलामी से निज़ात पाने से लिया जाता रहा। समय बीतता रहा पर आम जन कभी सत्ता के दलालों, धर्म और समाज के ठेकेदारों और अपने आस पास के दबंगों की दासता झेलते रहे।

ये कहानी हमारे देश की हो ऐसी बात भी नहीं है। कल तक शांत और अरब देशों में अपेक्षाकृत खुशहाल दिखने वाला मिश्र आज किसी तरह आतातायी के शासन से मुक्त होने के लिए पंख फड़फड़ा रहा है, वो हम सब देख ही रहे हैं।। व्यक्ति की सामान्य प्रवृति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की होती है। पर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो निरंकुशता को बर्दाश्त नहीं करते। वो ना केवल उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाते हैं वरन आपने विचारों से अपने आस पास के जनसमूह का मन भी उद्वेलित कर देते हैं।

वार्षिक संगीतमाला के पन्द्रहवीं पॉयदान पर फिल्म उड़ान का गीत ऐसे ही लोगों का गीत है जो अपनी ज़िदगी की लगाम किसी दूसरे के हाथ में सौंपने के बजाए, ख़ुद लेने की आज़ादी चाहते हैं। गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य गीत के मुखड़े में खूबसूरत बिम्बों का इस्तेमाल करते हुए जब कहते हैं




पैरों की बेड़ियाँ ख़्वाबों को बांधे नहीं रे
कभी नहीं रे
मिट्टी की परतों को नन्हे से अंकुर भी चीरे
धीरे धीरे

इरादे हरे भरे, जिनके सीनों में घर करे
वो दिल की सुने, करे
ना डरे,ना डरे

तो मन की तंद्रा एकदम से भंग होती जान पड़ती है..एक नए कल के अहसास की उम्मीद जगने लगती है। अमिताभ अगली पंक्तियों में आज़ादी के जज़्बे के प्रति और जोश दिलाते हुए कहते हैं

सुबह की किरणों को रोके जो सलाखें हैं कहाँ
जो ख़यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ
पर खुलने की देरी है परिंदे उड़ के चूमेंगे
आसमान, आसमान, आसमान ...


आज़ादियाँ, आज़ादियाँ, माँगे ना कभी मिले, मिले, मिले
आज़ादियाँ, आज़ादियाँ, जो छीने वही जी ले, जी ले, जी ले

और जब गायकों का कोरस इन शब्दों के साथ उभरता है तो आप भी अपने को उनमें से एक पाते हैं। वैसे क्या आप मानेंगे के इतने बेहतरीन काव्यात्मक गीत को लिखने वाला ये लड़का जब 11 साल पहले लखनऊ की सरज़मीं छोड़कर मुंबई पहुँचा था तो इसका ख़्वाब एक गीतकार बनने से ज़्यादा गायक बनने का था। गायक के रूप में उसे काम तो नहीं मिला पर गीत लिखने के कुछ प्रस्ताव जरूर मिल गए। हालांकि उनके मित्र अमित त्रिवेदी ने बीच बीच में समूह गीतों में उन्हें गाने के मौके दिए। पर सबसे पहले उनकी आवाज़ वेक अप सिड के लोकप्रिय नग्मे इकतारा में लोगों के ध्यान में आई। आपको याद है ना कविता सेठ की आवाज़ के पीछे से उभरता इकतारा इकतारा... का पुरुष स्वर। आमिर, देव डी और अब उड़ान में भी संगीतकार अमित त्रिवेदी के साथ इस गीत में अपनी आवाज़ दी है अमिताभ ने । कोरस में उनका साथ दिया है न्यूमन पिंटो और निखिल डिसूजा ने।


संगीतकार अमित त्रिवेदी की तारीफ़ों के पुल मैं पहले भी बाँधता रहा हूँ। मुझे बड़ी खुशी हुई जब मैंने सुना कि उन्हें फिल्म उड़ान के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत रचने के लिए फिल्मफेयर के क्रिटिक अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस गीत के मुखड़े के पहले का गिटार हो या हो या उसके बाद की सितार की सप्तलहरियाँ, जोश भरती पंक्तियों के पार्श्च से उभरती ड्रमबीट्स हों या गीत के अगले इंटरल्यूड में प्रयुक्त वॉयलिन की तान सब उनके बेहतरीन संगीत संयोजन की गवाही देते हैं।

अमित मानते हैं कि आज एक संगीतकार का किरदार हाल के वर्षों से बदल गया है। आज संगीतकार भी स्क्रिप्ट की तह तक जाते हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि उनक गीत कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करें ना कि दर्शकों को बीच में आरोपित से दिखें। उड़ान के गीत संगीत की रचना भी इसी तरह की गई है।

बस मेरी तो यही इच्छा है कि अमित अमिताभ की इस जोड़ी के कई और बेहतरीन गीत आने वाले वर्षों में आप तक पहुँचाने का मौका मिले

कहानी ख़त्म है, या शुरुआत होने को है
सुबह नयी है ये, या फिर रात होने को है
कहानी ख़त्म है, या शुरुआत होने को है
सुबह नयी है ये, या फिर रात होने को है
आने वाला वक़्त देगा पनाहें, या फिर से मिलेंगे दोराहे

मुझे तो लगता है कि इस युगल जोड़ी की कहानी शुरु हुई है वैसे आपको क्या लगता है?



अब 'एक शाम मेरे नाम' फेसबुक के पन्नों पर भी...
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7 टिप्पणियाँ:

ZEAL on फ़रवरी 07, 2011 ने कहा…

अमित और अमिताभ जी कों शुभकामनायें !

Udan Tashtari on फ़रवरी 08, 2011 ने कहा…

बेहतरीन!!


कल ही कनाडा वापस पहुँचा.

Alok Malik ने कहा…

Indeed superlike this song.. :)

डॉ .अनुराग on फ़रवरी 08, 2011 ने कहा…

यक़ीनन हिंदी सिनेमा को दो प्रतिभाशाली शख्स मिले है ......

रंजना on फ़रवरी 08, 2011 ने कहा…

बस इतना ही कहूँगी....

आभार...आभार ....आभार...

Mrityunjay Kumar Rai on फ़रवरी 08, 2011 ने कहा…

nice song

Manish Kumar on फ़रवरी 09, 2011 ने कहा…

इस गीत की आरंभिक पंक्तियाँ मुझे बहुत बहुत पसंद हैं। आप सब को भी ये गीत पसंद आया जान कर खुशी हुई।

 

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