शुक्रवार, अप्रैल 29, 2011

समझते थे, मगर फिर भी न रखी दूरियाँ हमने, चरागों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने..

नब्बे से सन दो हजार के दशक में जगजीत सिंह के कई एलबम आए। इनमें से कुछ की बातें तो मैं पहले भी इस श्रृंखला में कर चुका हूँ। अगर सज़दा, कहकशाँ, विज़न्स, इनसाइट, मरासिम और सिलसिले जैसे शानदार एलबमों को छोड़ दें तो जगजीत जी के नब्बे के दशकों के बाकी एलबम शुरु से अंत तक एक सा प्रभाव छोड़ने में असफल रहे थे। पर फिर भी मुझे याद है कि इस दशक में मैंने शायद ही उनका कोई एलबम ना खरीदा हो। दरअसल उस वक़्त जगजीत की आवाज़ में कुछ भी सुनना अमृत पान करने जैसा था। नब्बे के दशक के अच्छे एलबमों की बात तो आगे भी होती रहेगी। आज रुख करते हैं एक ऍसे एलबमों का जो उतने लोकप्रिय नहीं हुए। फिर भी उनकी कुछ ग़ज़लें या कुछ अशआर हमेशा दिल की ज़मीं के करीब रहे।


Love is Blind नाम का एलबम वेनस  ने 1998 में बाजार में उतारा था। एलबम की साइड A में एक ग़ज़ल थी शाहिद कबीर की। ग़जल का मतला तो जानलेवा था ही बाद के शेर भी कम खूबसूरत नहीं थे..

आज हम बिछड़े हैं तो कितने रंगीले हो गए
मेरी आँखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गए

कब की पत्थर हो चुकी थी मुन्तज़िर आँखें मगर
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गए

एक और ग़जल थी जिसे लिखा था जनाब नज़ीर बनारसी साहब ने। ग़जल के बोल सहज थे और उनमें कहीं बातें किसी भी प्रेमी के दिल को भला बिना छुए कैसे निकल सकती थीं।

कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे,
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे।

कभी दुनिया मुक्क़मल बन के आएगी निगाहों में,
कभी मेरे कमी दुनिया की हर इक शय में पाओगे

साइड B की शुरुआत निदा फाज़ली की ग़ज़ल की इन पंक्तियाँ से होती थी...कोई आँखों के पर्दों से दूर जा सकता है पर मन के पर्दों से,,,
तुम ये कैसे जुदा हो गए
हर तरफ हर जगह हो गए

अपना चेहरा ना देखा गया
आईने से ख़फ़ा हो गए

पर अगर कोई पूछे कि Love is Blind की सबसे उम्दा ग़ज़ल कौन थी तो मुझे जनाब वाली असी की ये ग़ज़ल ही दिमाग में आती है। वली असी का ताल्लुक तो मेरठ से था पर बतौर शायर उनकी पहचान लखनऊ आने पर ही हुई। कानों पे झूलते सफेद बालों से पहचाने जाने वाले वाली बेहद धार्मिक प्रवृति के थे। लखनऊ में कहने को उनकी एक दुकान थी मकतब- ए- दीन-ओ- अदब पर वास्तव में वो दुकान से ज्यादा साहित्यकारों, उर्दू सीखने वाले छात्रों के लिए एक क्लब का काम करती थी। हृदय गति रुकने की वज़ह से जब वली इस दुनिया को छोड़ गए तो भी वो एक मुशाएरे में शिरक़त कर रहे थे।

जगजीत की आवाज़ का दर्द और वाली साहब के अशआर मुझे इतने सालों बाद भी इस ग़ज़ल को सुनने को मज़बूर कर देते हैं। आशा है आपको भी करेंगे...



समझते थे, मगर फिर भी न रखी दूरियाँ हमने
चरागों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने

कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाये उम्र भर कागज़ के फूल और पत्तियाँ हमने

यूं ही घुट घुट के मर जाना हमें मंज़ूर था लेकिन
किसी कमज़र्फ पर ज़ाहिर ना की मजबूरियाँ हमने

हम उस महफिल में बस इक बार सच बोले थे ए वाली
ज़ुबान पर उम्र भर महसूस की चिंगारियाँ हमने


इस श्रृंखला में अब तक
  1. जगजीत सिंह : वो याद आए जनाब बरसों में...
  2. Visions (विज़न्स) भाग I : एक कमी थी ताज महल में, हमने तेरी तस्वीर लगा दी !
  3. Visions (विज़न्स) भाग II :कौन आया रास्ते आईनेखाने हो गए?
  4. Forget Me Not (फॉरगेट मी नॉट) : जगजीत और जनाब कुँवर महेंद्र सिंह बेदी 'सहर' की शायरी
  5. जगजीत का आरंभिक दौर, The Unforgettables (दि अनफॉरगेटेबल्स) और अमीर मीनाई की वो यादगार ग़ज़ल ...
  6. जगजीत सिंह की दस यादगार नज़्में भाग 1
  7. जगजीत सिंह की दस यादगार नज़्में भाग 2
  8. अस्सी के दशक के आरंभिक एलबम्स..बातें Ecstasies , A Sound Affair, A Milestone और The Latest की
Related Posts with Thumbnails

12 टिप्पणियाँ:

Abhishek Ojha on अप्रैल 29, 2011 ने कहा…

गजब की गजलें हैं. आज ही ढूंढ़ता हूँ ये एल्बम.

अनूप शुक्ल on अप्रैल 30, 2011 ने कहा…

वाली असी बेहतरीन शायर थे। बहुत उम्दा इंसान। उनकी गजल सुनकर अच्छा लगा लेकिन उनकी आवाज में इस गजल को सुनने को मजा ही अलग है। कहीं से मिले टेप/कैसेट तो सुनवाया जाये। :)

Pawan Kumar on अप्रैल 30, 2011 ने कहा…

वाली असी की यह ग़ज़ल मुझे भी बहुत पसंद है..... पुरानी यादों से जोड़ दिया हज़रत आपने... उम्दा पोस्ट का आभार. जगजीत सिंह के सुनने वालों के लिए आपका ब्लॉग संजीवनी है.

राज भाटिय़ा on अप्रैल 30, 2011 ने कहा…

सुंदर गजल सुनने के लिये धन्यवाद

रंजना on अप्रैल 30, 2011 ने कहा…

पिछली यादें ताज़ा करने और नयी जानकारियां सांझा करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार...

pallavi trivedi on अप्रैल 30, 2011 ने कहा…

जगजीत सिंह की तो सारी ग़ज़लें मुझे रटी हैं...बार बार सुनो तो कम लोकप्रिय ग़ज़लें भी जबान पर चढ़ जाती हैं और बढ़िया ही लगती हैं!

Mrityunjay Kumar Rai on मई 02, 2011 ने कहा…

यह ग़ज़ल मुझे भी बहुत पसंद है

daanish on मई 02, 2011 ने कहा…

पुरानी यादों का
फिर से ताज़ा हो जाना....
मानो
लफ्ज़ लफ्ज़ में
धडकनों का महसूस होने लगना ....
बड़ा एहसान फरमाया आपने जनाब !!

Amitabh Chandra ने कहा…

Bhai Mansh je,namaskar,jaggit Singh kai Gajal ko Apnai Blog mai Likh
kar Merai Maan kai Taar ko aap nai jhaan-jaana dala.Waah kaya prastut
Karnai ka aap ka dhhang hai. so mani thanks.----Amitabh

Manish Kumar on मई 08, 2011 ने कहा…

अनूप जी वाली असी की एक रिकार्डिंग मुझे नेट पर मिली थी पर वो इस ग़ज़ल की नहीं थी इसीलिए यहाँ शामिल ना कर सका।

पल्लवी सही कहा ..उस ज़माने में तो जो भी शायरी याद हुई वो जगजीत जी की ही बदौलत ! पर आवाज़ और संगीत की जिस नवीनता की वज़ह से वो सत्तर और अस्सी के दशक में उभरे थे, संगीत के दोहराव की वज़ह से नब्बे के उनके एलबम वो असर पैदा नहीं कर सके। हाँ ये जरूर है कि उनकी आवाज़ का जादू बरकरार रहा।

अभिषेक, रंजना जी, सिंह साहब, मृत्युंजय, दानिश,अमिताभ जी आप सब को ये पोस्ट पसंद आई जान कर खुशी हुई।

vibha on मई 11, 2011 ने कहा…

jagit singhji ki dilkash awaj ruh ko sahlatee hai ....class 10...11 main thee jab inkee awaj ka jadoo sir chadhkar bolta tha ....aur aaj bhee anhe sune bina chain nahin aata .aapne mere cllege ke dino aur school ki yadaon ko dohra diya...dhanywad itnee khoobsoortee se apne baat kahne ke liye ...

Manish Kumar on जुलाई 03, 2011 ने कहा…

विभा जी सही कहा आपने, हमारी पीढ़ी ने जगजीत जी की ग़ज़लों को किशोरावस्था स युवावस्था में जाते हुए जिया है।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie