सोमवार, मई 23, 2011

सोना महापात्रा और इंतज़ार का सुख : अभी ना..ही आना सजना,मोहे थोड़ा मरने दे.

आज के संगीत परिदृश्य में ऐसे गायक गायिका भी तेजी से उभर रहे हैं जिन्होंने हिंदी फिल्म संगीत के इतर भी अपना मुकाम बनाया है। आज की ये पोस्ट भी ऐसी ही एक गायिका के बारे में है जिनका नाम है सोना महापात्रा। सोना आज हिंदी पॉप जगत में जाना हुआ नाम हैं पर उनके संगीत को सिर्फ इसी श्रेणी में परिभाषित करना उनके साथ नाइंसाफी होगी। सोना ने पारम्परिक पॉप संगीत के साथ साथ कुछ ऐसा संगीत भी रचा है जिसमें भारतीयता और पश्चिमी वाद्य यंत्रों का अद्भुत मिश्रण है। पर इससे पहले कि उनकी ऐसे ही एक प्यारे गीत का जिक्र किया जाए, उनकी पारिवारिक और सांगीतिक पृष्ठभूमि के बारे में कुछ बातें जानना आप सब के लिए रोचक रहेगा।

सोना महापात्रा के पिता भारतीय नौ सेना में थे और इसी वज़ह से उनका बचपन भारत और विश्व के विभिन्न देशों में बीता। सोना ने बारह साल हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा तो ली पर भिन्न भिन्न सांगीतिक परिवेशों में रहने की वज़ह से उन्हें सूफ़ी, लोक व पश्चिमी संगीत से जुड़ने का भी मौका मिला। संगीत में रुचि लेने के साथ वो पढ़ती भी रहीं। पहले इंजीनियरिंग और फिर पुणे से MBA की डिग्री लेने के बाद कुछ दिनों तक उन्होंने एक निजी कंपनी मेरिको में काम भी किया। पर संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की उन्हें महात्त्वाकांक्षा ने उन्हें अच्छे वेतन वाली नौकरी से विमुख कर दिया।

सोना महापात्रा को अपना हुनर दिखाने का पहला मौका वर्ष 2006 में तब मिला जब Sony BMG ने उनका पहला एलबम 'सोना' रिकार्ड करवाया। सोना महापात्रा ने इस एलबम के लिए एड फिल्मों के सफल संगीतकार राम संपत को संगीत निर्देशन के लिए चुना। ये वही राम संपत हैं जिन्हें पीपली लाइव के कुछ गीतों को संगीतबद्ध किया था। संगीतकार राम संपत ने इस एलबम में सोना की गायिकी के बारे में कहा था कि

सोना किसी भी गीत की भावनाओं में अपनी आवाज़ को बड़ी सहजता से ढाल लेती हैं। उनकी आवाज़ में एक ऍसी ईमानदारी है जिसमें ताजगी भरी विलक्षणता के साथ साथ सुरीलापन भी है। उनके गले में एक ओर वही पुरातन सुर हैं तो दूसरी तरफ उनका हृदय आज की नारी का है और शायद यही सम्मिश्रण उन्हें विशिष्ट बनाता है।

यूँ तो एलबम सोना के कई गीत लोकप्रिय हुए पर मुझे उनके इस एलबम का एक गीत बहुत पसंद है। इस गीत को लिखा है मुन्ना धीमन ने। मुन्ना ने इस गीत में प्रेम को एक अलग नज़रिए से देखने की कोशिश की है। वो कहते हैं ना अगर प्रेम में वियोग नहीं हो तो वो प्रेम कैसा ? इंतज़ार की घड़ियाँ भले ही कष्टकर होती हैं पर उन पलों की तड़प, प्रेम की अग्नि को और बढ़ाने का ही तो काम करती है। इसीलिए तो मुन्ना अपने गीत में कहते हैं

अभी ना..ही आना सजना
मोहे थोड़ा मरने दे
इंतज़ार कर..ने दे

सोना इस गीत को ऍसे लहज़े में गाती हैं जो आपको दशकों पहले हिंदी फिल्मों में गाए जाने वाले उप शास्त्रीय संगीत का आभास दिलाता है। राम संपत ने संगीत में गिटार और चुटकी का बेहतरीन प्रयोग किया है। गीत के मुखड़े और इंटरल्यूड्स में गिटार वादक संजय दिवेचा द्वारा बजाई धुन सुनते ही हृदय गीत के मूड में बहने लगता है।

अभी ना..ही आना सजना
अभी ना..ही आना सजना
मोहे थोड़ा मरने दे
इंतज़ार कर..ने दे
अभी नहीं आना सजना

भेजियो संदेशा...
आप नहीं आ..ना
थोड़ी दूर रह के...
मोहे तरसा..ना
अभी तो मैं चा..हूँ
सारी सारी रात जगना
अभी ना..ही आना सजना...

रुक रुक आ..ना धीरे धीरे चल.ना
भूलना डगरिया.., रास्ते बदल..ना
नहीं अभी मो..हे
गरवा नहीं है लगना

अभी ना जगाओ
बने रहो सपना
अभी सन्मुख ना लाओ मुख अपना
अभी तो मैं चाहूँ आस लगाए रखना
अभी ना ही आना सजना



सोना महापात्रा के संगीत का सफ़र उनके पहले एलबम सोना से आगे बढ़कर आज दिलजले तक जा पहुँचा है। फिल्मों में भी उनके गाए गीत यदा कदा सुनने को मिलते रहते हैं। पिछले साल श्रेया के साथ मिलकर गाया उनका गीत बहारा बहारा बेहद लोकप्रिय हुआ था। आशा है कि सोना अपनी गायिकी के द्वारा कुछ अलग हटकर संगीत देने की अपनी प्रवृति को आगे भी बनाए रखेंगी।
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14 टिप्पणियाँ:

daanish on मई 23, 2011 ने कहा…

सच कहा आपने ...
आवाज़ में कशिश तो है.....
स्वरों पर एक ख़ास 'पकड़'
प्रभाव,, बना पा रही है
और साथ ही याद आ गया
(काहे तरसाए...जियरा....)
जाने क्यूं ??

प्रवीण पाण्डेय on मई 23, 2011 ने कहा…

गज़ब की आवाज और सुर।

रंजना on मई 24, 2011 ने कहा…

" अभी नहीं आना...."

मेरे मोबाइल में है यह गीत...इतने दिनों से सुनती आ रही हूँ,पर यह नहीं पता नहीं था कि किसने गया है यह....

बहुत बहुत अच्छा लगा जानना...

दिल से दुआ करती हूँ इस गायिका के लिए कि ये सफलता के नित नए सोपान चढ़ें...

रंजना on मई 24, 2011 ने कहा…

प्रेम अनुहार का जो अद्वितीय रस है इस गीत में..क्या कहूँ...
इस गीत के संगीत ने इसे बेजोड़...बहुत ही ख़ास बना दिया है...


बहुत बहुत पसंद है मुझे...

Dawn on मई 25, 2011 ने कहा…

Tajjub ki baat hai ke ye hamare hee school mein padhti thi NDA Khadakwasla Pune KV mein :)....mujhe tumhare post mein ek aur baat ne ashcharyachakit kiya aur woh yeh ke woh Marico mein kaam karti thin...kyunke mein bhi Marico mein kaam karti this aur oske baad Canada ki aur rawana ho chali thi :)

Bahut khushi hui ek school mate ke saath ko yaad dilane ka ...

cheers

मीनाक्षी on मई 26, 2011 ने कहा…

आज यहाँ सोना महापात्रा का परिचय आखिर मिल ही गया... बहारा बहारा में इस आवाज़ ने मंत्रमुग्ध कर दिया था... हमें ही नहीं हमें ईरानी दोस्त भी इस आवाज़ के दीवाने हैं...

कंचन सिंह चौहान on मई 26, 2011 ने कहा…

Dr. Anurag ke FB par suna tha ye geet aur bahut karnpriya laga tha...

Mritunjay Mishra on मई 27, 2011 ने कहा…

अभी ना..ही आना सजना मोहे थोड़ा मरने दे इंतज़ार कर..ने दे

bahut sundar...

Alok Kumar Tripathi on मई 27, 2011 ने कहा…

Nayi baat.. naya pahlu.. thanks Manish bhai..

Mamta Prasad on मई 27, 2011 ने कहा…

Very nice lyrics haven't heard before....do agree with Alok jee.....thanx

अशोक सलूजा on मई 29, 2011 ने कहा…

सोना महापात्रा ,को अच्छे भविष्य की शुभकामनाएँ|

Manish Kumar on जून 01, 2011 ने कहा…

Dawnजानकर खुशी हुई कि ये पोस्ट तुम्हें तुम्हारी पुरानी यादों से जोड़ गई।

कंचन हाँ इस गीत की याद तो डा. अनुराग ने ही दिलाई।


रंजना जी. आलोक जी, ममता जी, मृत्यंजय, मीनाक्षी जी, प्रवीण व दानिश गीत आप सबको भी पसंद आया जान कर प्रसन्नता हुई।

अरुण चन्द्र रॉय on जून 02, 2011 ने कहा…

मनीष जी आप लिखते हैं अच्छा हैं... प्रस्तुति कारण का आपका अंदाज़ अदभुद है.. सोना से परिचय इनके गीतों के माध्यम से था.. लेकिन अपने जिस अंदाज़ से परिचय कराया वह अच्छा लगा.... शुभकामनाएं

Manish Kumar on जुलाई 03, 2011 ने कहा…

अरुण जी जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी ये प्रस्तिति अच्छी लगी। आसा है आप भविष्य में भी इन शामों क साझी बनते रहेंगे।

 

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