पिछले हफ्ते आपसे बातें हुई शंकर टकर और उनके एलबम 'दि श्रुति बॉक्स 'में शामिल क्लारिनेट पर बजाई उनकी अद्भुत धुनों पर। अगर आपनें ये धुनें नहीं सुनी तो यहाँ पर जरूर सुन लीजिएगा। इससे पहले कि आज मैं इस एलबम में शामिल निराली कार्तिक की गाई एक बंदिश का जिक्र करूँ अपने वादे के मुताबिक ये बताना जरूरी होगा कि इस अमेरिकी कलाकार का नाम 'शंकर' कैसे पड़ा ?
दरअसल शंकर का परिवार अम्मा यानि माँ अमृतानंदमयी का भक्त है। अम्मा जब जब अमेरिका की यात्रा पर होती हैं शंकर के माता पिता उनसे अवश्य मिलते हैं। ऐसी ही एक मुलाकात में अम्मा ने टकर परिवार को उनके छोटे से बेटे के लिए शंकर का नाम सुझाया था। तो ये था शंकर टकर के 'शंकर' का रहस्य !
शंकर की तरह ही अहमदाबाद में जन्मी और मेवात घराने से ताल्लुक रखने वाली शास्त्रीय गायिका निराली कार्तिक की अध्यात्मिक गुरु भी अम्मा हैं। निराली की माता ख़ुद एक गायिका हैं जबकि उनके भाई तबला वादक हैं। निराली नौ साल की आयु से ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। शायद अम्मा के सानिध्य ने इन दो कलाकारों को साथ काम करने की प्रेरणा दी और देखिए कितनी प्यारी बंदिश तैयार हुई जो कि मूलतः राग भीम पलासी पर आधारित है। बंदिश के बोल हैं
एक ओर निराली का आलाप चलता है और साथ ही थिरकती हैं क्लारिनेट पर शंकर की उँगलियाँ। ट्रैक में 75 सेकेंड के बाद की जुगलबंदी सुनने वाले के आनंद को दूना कर देती है।
शंकर, अमेरिका में अम्मा के दौरे में हमेशा साथ रहते हैं और उनके भजनों के कार्यक्रमों में अपने वाद्य के साथ शिरकत भी करते हैं। इस एलबम में भी उन्होंने तमिल का एक भजन शामिल किया है जिसे गाया है अमेरिका में रहने वाली अय्यर बहनों विद्या और वंदना ने। राग दरबारी कानड़ा पर आधारित इस भजन में महालक्ष्मी की स्तुति की गई है।
अब तमिल तो मुझे आती नहीं पर इस ब्लॉग पर अंग्रेजी में दिए हुई व्याख्या के आधार पर संक्षेप में भजन का अर्थ ये है कि जो तुमने एक बार सोच लिया तो वो होकर ही रहना है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का ही कारण तुम हो। अगर हमें अपने जीवन में सफलताएँ मिलें भी तो बिना तुम्हारे आशीष के क्या हम उन्हें अपने पास रख पाएँगे? अय्यर बहनों का ये भजन यू ट्यूब पर काफी लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
वैसे शंकर टकर फिल्मों में भी काम कर रहे हैं। ए आर रहमान के साथ किया गया उनका काम सराहा भी गया है। अगर वो इसी तरह भारतीय संगीत में अपने हुनर को तराशते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हम उनके कुछ और एलबमों को बाजार में उतरता देखेंगे। अगर शंकर टकर के बारे में कुछ और जानना चाहते हों तो उनकी वेब साइट ये रही।
दरअसल शंकर का परिवार अम्मा यानि माँ अमृतानंदमयी का भक्त है। अम्मा जब जब अमेरिका की यात्रा पर होती हैं शंकर के माता पिता उनसे अवश्य मिलते हैं। ऐसी ही एक मुलाकात में अम्मा ने टकर परिवार को उनके छोटे से बेटे के लिए शंकर का नाम सुझाया था। तो ये था शंकर टकर के 'शंकर' का रहस्य !
शंकर की तरह ही अहमदाबाद में जन्मी और मेवात घराने से ताल्लुक रखने वाली शास्त्रीय गायिका निराली कार्तिक की अध्यात्मिक गुरु भी अम्मा हैं। निराली की माता ख़ुद एक गायिका हैं जबकि उनके भाई तबला वादक हैं। निराली नौ साल की आयु से ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। शायद अम्मा के सानिध्य ने इन दो कलाकारों को साथ काम करने की प्रेरणा दी और देखिए कितनी प्यारी बंदिश तैयार हुई जो कि मूलतः राग भीम पलासी पर आधारित है। बंदिश के बोल हैं
जा जा रे अपने मंदिरवा जा
सुन पावेगी सास ननदिया
जा जा रे अपने मंदिरवा जा...
एक ओर निराली का आलाप चलता है और साथ ही थिरकती हैं क्लारिनेट पर शंकर की उँगलियाँ। ट्रैक में 75 सेकेंड के बाद की जुगलबंदी सुनने वाले के आनंद को दूना कर देती है।
शंकर, अमेरिका में अम्मा के दौरे में हमेशा साथ रहते हैं और उनके भजनों के कार्यक्रमों में अपने वाद्य के साथ शिरकत भी करते हैं। इस एलबम में भी उन्होंने तमिल का एक भजन शामिल किया है जिसे गाया है अमेरिका में रहने वाली अय्यर बहनों विद्या और वंदना ने। राग दरबारी कानड़ा पर आधारित इस भजन में महालक्ष्मी की स्तुति की गई है।
अब तमिल तो मुझे आती नहीं पर इस ब्लॉग पर अंग्रेजी में दिए हुई व्याख्या के आधार पर संक्षेप में भजन का अर्थ ये है कि जो तुमने एक बार सोच लिया तो वो होकर ही रहना है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का ही कारण तुम हो। अगर हमें अपने जीवन में सफलताएँ मिलें भी तो बिना तुम्हारे आशीष के क्या हम उन्हें अपने पास रख पाएँगे? अय्यर बहनों का ये भजन यू ट्यूब पर काफी लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
वैसे शंकर टकर फिल्मों में भी काम कर रहे हैं। ए आर रहमान के साथ किया गया उनका काम सराहा भी गया है। अगर वो इसी तरह भारतीय संगीत में अपने हुनर को तराशते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हम उनके कुछ और एलबमों को बाजार में उतरता देखेंगे। अगर शंकर टकर के बारे में कुछ और जानना चाहते हों तो उनकी वेब साइट ये रही।
8 टिप्पणियाँ:
बेहतरीन जानकारी .बहुत अच्छा लगा सुनना ...आभार यू ट्य़ूब अभी नहीं चल रहा ..फ़िर सुनती हूं..
मधुर स्वर लहरी।
ADBHUT...AANAND AA GAYA...SHUKRIYA.
बहुत सुन्दर.. अभी पहला गीत ही सुन रहा हूं पर बहुत आनन्द मिल रहा है।
धन्यवाद मनीष भाई।
जानकर खुशी हुई सागर ! क्लारिनेट पर उनकी कुछ धुनें भी दिल को छू लेती हैं। शंकर टकर भले ही भारतीय नहीं हो पर उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत को अपने हृदय में बसा लिया है। और निराली तो निराली हैं ही।
वाह...वाह...वाह...
बहुत बहुत आभार...और क्या कहूँ..?
बहुत आभार इस संगीत से परिचय कराने के लिए.
बहुत सुंदर
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