'एक शाम मेरे नाम' की वार्षिक संगीतमाला 2011 करीब आने वाली है। पर वार्षिक संगीतमाला शुरु होने के ठीक पहले मैं आपको हर साल वैसे गीतों से भी रूबरू कराता रहा हूँ जिन्होंने पूरे देश को झुमाया है। वैसे भी साल के इस हफ्ते में जब माहौल में मस्ती की तरंग बह रही हो तो मुझे भी तो आपके थिरकने का बंदोबस्त करना पड़ेगा। तो चलिए चलते हैं बॉलीवुड की धूम धड़ाके वाली दुनिया में।
मुंबई नगरी में आजकल डान्स नंबर बक़ायदा आइटम नंबर के रूप में पेश किये जाते हैं। एक ज़माना था जब ये काम सिर्फ हेलेन, कल्पना अय्यर, प्रेमा नारायण जैसी अदाकारा सँभाला करती थीं। वक्त बदला तो चलन बदला। आजकल तो अगर आपके नाम के आगे कोई आइटम नंबर ना हो तो फिर आपकी हॉट अभिनेत्रियों की श्रेणी से छुट्टी कर दी जाएगी।
मुंबई नगरी में आजकल डान्स नंबर बक़ायदा आइटम नंबर के रूप में पेश किये जाते हैं। एक ज़माना था जब ये काम सिर्फ हेलेन, कल्पना अय्यर, प्रेमा नारायण जैसी अदाकारा सँभाला करती थीं। वक्त बदला तो चलन बदला। आजकल तो अगर आपके नाम के आगे कोई आइटम नंबर ना हो तो फिर आपकी हॉट अभिनेत्रियों की श्रेणी से छुट्टी कर दी जाएगी।
पर पिछले साल रिलीज़ हुई सौ से ज्यादा फिल्मों बहुत सारे आइटम नंबर बर्बाद धुनों की बलि चढ़ गए। वैसे ये गानें सिर्फ धुनों के सहारे चलते हों ऐसा भी नहीं है। अगर गत वर्ष के तथाकथित डान्स नंबरों पर नज़र डालें तो सफलता के तीन आयाम आपको इनमें से जरूर झाँकते नज़र आएँगे.. म्यूजिक मस्त, पोशाकें चुस्त और साथ में एक अदद गाली हो तो सोने पे सुहागा। जितनी भद्दी गाली गाना उतना ही हिट। हालांकि अपवाद हर जगह हैं और आप पाएँगे कि इनके बिना भी कुछ गीतों ने इस साल शोहरत पाई है। तो तैयार हैं ना आप मेरे साथ आज की इस महफिल में थिरकने के लिए..
पर रुकिए ज़रा इतनी जल्दी भी क्या है। भाई डॉन अपने नए अवतार डॉन 2 में एक बार फिर लौट आए हैं। वैसे तो हमारे कुछ फेसबुकिया मित्रों का मानना है कि डॉन 2 को झेल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। पर घबराइए नहीं विशाल शेखर ने डॉन 2 का ये गीत इतना अझेल नहीं बनाया है। तो दिल को थाम कर रखिए और देखिए शाहरुख के जलवों को इस गीत में
पर रुकिए ज़रा इतनी जल्दी भी क्या है। भाई डॉन अपने नए अवतार डॉन 2 में एक बार फिर लौट आए हैं। वैसे तो हमारे कुछ फेसबुकिया मित्रों का मानना है कि डॉन 2 को झेल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। पर घबराइए नहीं विशाल शेखर ने डॉन 2 का ये गीत इतना अझेल नहीं बनाया है। तो दिल को थाम कर रखिए और देखिए शाहरुख के जलवों को इस गीत में
#10 : ज़रा दिल को थाम लो
अब शाहरुख की बात हो गई तो सल्लू को कैसे छोड़ दें। बेचारे नाराज़ हैं कि करते तो सब वही हैं पर कैरेक्टर उनका ही ढीला बताया जाता है। फिर अगर गुस्से में 'साला' निकल जाए तो उनकी क्या गलती है। तो आइए सुने फिल्म रेडी में सलमान की शिकायत
#9 : कैरेक्टर ढीला है...पिछले साल एक फिल्म आई थी फालतू 2011। मैंने सोचा निर्देशक ने कुछ सोच समझ कर ही नाम रखा होगा सो देखने की ज़हमत नहीं उठाई। पर इसका एक हिंगलिश गीत युवाओं में खूब लोकप्रिय हुआ। होता क्यूँ ना आज कल की नाइट पार्टीज का इतना जीवंत वर्णन आपको कहाँ मिलेगा ? ज़रा इस गीत के पहले अंतरे पर गौर करें
आज है फ्राइडे नाइट मैं चलूँ अपने फ्रेंड्स के साथ
रैंडम स्पिनिंग व्हील्स मेरी बूम बूम कार
लगा के सीडी प्लेयर हम चलने को हैं तैयार
हैलो मिस्टर डीजे मेरा गाना प्लीज प्ले
बा बा बा बूजिंग डान्सिंग एंड वि क्रूजिंग
बाउंसर पंगा लेता है तो गोट्टा कीप इट मूविंग
चार बज गए लेकिन पार्टी अभी बाकी है
तारे घिर गए लेकिन पार्टी अभी बाकी है
डैडी हैं नाराज लेकिन पार्टी अभी बाकी है
मुझे नहीं लगता अब कुछ और कहने की जरूरत है :)
#8 : चार बज गए मगर पार्टी अभी बाकी है...और अब आ गई छम्मक छल्लो। ये शब्द एक ज़माने में मनचले आशिकों के शब्दकोश का अभिन्न अंग हुआ करता था अब विशाल शेखर की बदौलत सारे देश के युवाओं के शब्दकोश का है। किसी ने मुझसे पूछा कि इस गीत में 'छम्मक छल्लो' के आलावा गायक और क्या बोलता है? मैंने कहा ये तो संगीतकार विशाल शेखर से पूछिए जिन्होंने सेनेगल मूल के अमेरिकी गायक एकोन से ये गीत गवाया है। बाकी आप छम्मक छल्लो के साथ हाथ को बस गोल गोल घुमाइए और ठुमके लगाइए गीत के बोलों पर इतना भेजा फ्राइ क्यूँ करते हैं?
#7 : छम्मक छल्लो..
हीमेश रेशमिया बरसों बाद जागे हैं। सुना है विवादों से दूर नई धुनें तैयार करने में लगे थे। पर गए अकेले थे और लौटे हैं मुई इस नयी नवेली उमराव जान के साथ। अरे भाई दूर से ही देखिए,छूने के लिए आपके हाथ काहे फड़फड़ा रहे हैं। जानते हैं ना हीमेश का गुस्सा..वैसे मजाक नहीं करेंगे गीत की शुरुआती धुन तो मटकने के लिए हमें भी मजबूर किए देती है
#6 : No Touching No Touching Only Seeing Only Seeing..अब सारे आइटम नंबर हीरोइन ही करेंगी तो हमरे हीरोवन सबके लिए का बचेगा? हीरो लोगों को ऐसा आफर जवान लड़के देंगे नहीं। पर बच्चे तो मन के सच्चे होते हैं। चले गए रणबीर कपूर के पास कि हमारी फिल्म के लिए टपोरी वाला एक आइटम नंबर कर दो। और अमित त्रिवेदी के संगीत निर्देशन में क्या झकास आइटम नंबर किया रणबीर ने कि सबकी टाँय टाँय फिस्स हो गई आप भी देखिए...
अगर शादी का माहौल हो तो नाच गाने का मजा ही कुछ और है। और अगर शादी पंजाबी हो तो क्या कहने। लेहम्बर हुसैनपुरी का ये पंजाबी लोक गीत जो फिल्म तनु वेड्स मनु में जस का तस लिया गया है मेरे साल के चहेते गीतों में से एक है। आपने ना सुना हो तो जरूर सुनें मस्ती का माहौल ख़ुद बा ख़ुद आपके चारों ओर बन जाएगा।
#3 : कभी सड्डी गली ...आया करो
एक अलग सी सहज आकर्षित करती धुन , अच्छी आवाज़ पर बेमतलब से बोल जिनके उच्चारण का तरीका ही उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत है.... यही तो है 'कोलावेरी डी' की लोकप्रियता का राज। पर इससे एक इशारा हमारे संगीतकारों पर भी जाता है जिन्होंने अच्छी धुनों का इस साल एक ऍसा अकाल पैदा कर दिया है कि एक कोलावेरी डी को आकर उस शून्यता को भरना पड़ता है। जावेद अख्तर साहब ने इस गीत की धुन को बेकार ठहराया पर कुछ दिनों बाद सोनू निगम के बेटे द्वारा गाए इसके दूसरे वर्जन की तारीफ कर दी। ख़ैर जावेद जी की तो वो ही जाने ख़ुद गीत के रचयिता धनुष भी इसे गंभीरता से नहीं लेते पर कुछ तो जादू है इस धुन का कि पूरा देश इसका आनंद उठा रहा है..
अस्सी के दशक में बप्पी लाहिड़ी ने इन्दीवर के साथ मिलकर जीतेंद्र - श्रीदेवी - जयाप्रदा की तिकड़ी पर अपने कई हिट गीत दिए थे। उई अम्मा उई अम्मा और झोपड़ी में..उस ज़माने के हिसाब से निहायत घटिया किस्म के गीत थे। वो ज़माना गया तो बप्पी दा भी गए पर विशाल शेखर ने ये काम खूब किया उस पीरियड की फिल्म का संगीत दिया तो बप्पी दा की आवाज़ वापस ले आए। अब फिल्म ही 'डर्टी' है तो गीत थोड़ा डर्टी होगा ही पर यही उस समय की वास्तविकता थी जिसे श्रेया ने इस गीत में पूरी मस्ती के साथ बखूबी उभारा है..
इस गीत के बनने के बाद कितने ही डी के बोसों ने अपना सर पीट लिया होगा उसका अनुमान लगाना कठिन है। इस गीत का इतना असर तो होगा कि ये नाम आगे की पीढी में 'प्राण' की तरह ही विलुप्त होता चला जाएगा। मेरा मानना है कि वास्तविकता दिखाने के नाम पर 'डी के बोस' और 'आँधी' शब्द के बिना भी इस गीत में इतना दम था कि ये लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता पर आज का ज़माना शार्ट कर्ट का है। विवादित होना मतलब लोकप्रिय होना है और निर्देशक गीतकार ने वो रास्ता चुना। बहरहाल इस गीत को अंत में दिखाने के पीछे पीयूष नारायण का बनाए ये वीडिओ है। यह वीडिओ इस गीत को चित्रों के माध्यम से बड़े मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत करता है।
#4: डी के बोस....उम्मीद करता हूँ कि झूमते झुमाते गीतों का ये सिलसिला आपको पसंद आया होगा। वैसे वार्षिक संगीतमाला 2011 अगले हफ्ते शुरु हो रही है जिसमें मैं बाते करूँगा साल के पच्चीस बेहतरीन गीतों के बारे में। आशा है आप उस सफ़र में मेरे साथ होंगे..
12 टिप्पणियाँ:
सारे मस्त गाने है . थिरकने वाले . वार्षिक संगीतमाला का बेसब्री से इन्तेजार है .
bahut badhiya hai .aapka song pesh karne ka aandaj ameen ji jaisa hai, jo pasand aaya
मृत्युंजय बस हफ्ते भर की देरी है :)
शुक्रिया अरविंद अमीन सयानी की तो आवाज़ और बिनाका गीतमाला के जादू की तो बात ही क्या। आपको पोस्ट पसंद आई जानकर खुशी हुई।
sare songs mast.... New year eve party me bhi help mil jayegi :)
सेलेक्ट करने में बड़ी मेहनत की है आपने...!
गाने से ज्यादा उसके कमेन्ट पढ़ने में आनंद आया है...!!
what a lovely presentation !
superb post ....all songs r full of fun n masti !
गाने तो प्रेडिक्टेबल थे। मालूम ही था कि कौन कौन से होंगे। लेकिन ख़ासियत प्रस्तुति है। इस डिटेलिंग और अंदाज़ में की गई, जिससे नए नज़रिए से वीडियो देखें और गाने सुनें। बहुत बढ़िया मनीष जी। अब साल के टॉप टेन का इंतज़ार।
बहोत अच्छे गाने
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आइट्म डांस सीक्वेंस भी अब पिक्चर की इस्टेंट मार्केटिंग का एक सस्ता हथकंडा भर है..जिसमे आप क्रियेटिविटी और ओरिजिनलिटी के अलावा कुछ भी इस्तेमाल कर सकते हैं..इस साल के सारे आइटम भी इसी तथ्य की तस्दीक भर करते हैं बस..वैसे लिस्ट मे ’सड्डी गली’ भारी-भरकम म्यूजिक के बावजूद अपनी फ़ोल्क मेलोडी बचा ले जाता है सो मन भाता है..और कोलावरी अपनी कुछ अलग सी धुन की वजह से कुछ दूर चल जाता है..बाकी सब एक ही रेवड़ की भेड़ें हैं..हाँ गानों से ज्यादा उनके पेश करने के अंदाज मे मजा आता है...और अब गीतमाला का इंतजार है..वैसे म्यूजिक के लिहाज से पिछले सालों मे कुछ उन्नीस ही रहा है यह साल..खासकर विशाल-शेखर और शंकर-अहसान-लाय का त्रासद हश्र देख कर दुख हुआ..
"आइट्म डांस सीक्वेंस भी अब पिक्चर की इस्टेंट मार्केटिंग का एक सस्ता हथकंडा भर है..जिसमे आप क्रियेटिविटी और ओरिजिनलिटी के अलावा कुछ भी इस्तेमाल कर सकते हैं.."
अपूर्व तुम्हारे विचारों से शत प्रतिशत सहमत हूँ। सड्डी गली लोक धुन की वजह से इन गीतों से हटकर है इसलिए पसंद आता है। सही कहा तुमने पिछले कुछ सालों की अपेक्षा ये साल गीत संगीत में उस स्तर को दूर दुर तक नहीं छू पाया है। इस कठिनाई का सामना मुझे संगीतमाला के गीतों को चयनित करने में उठाना पड़ा है।
डांस करने का पूरा इन्तजाम हो गया है।
Very nice collection Manish jee.....liked it...
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