वार्षिक संगीतमाला की सोलहवीं पॉयदान पर स्वागत कीजिए जी सा रे गा मा पा के 2010 के विजेता कमल खान का जिन्होंने दि डर्टी पिक्चर में आए अपने इस गीत से खासी लोकप्रियता अर्जित की है। अगर आपने सा रे गा मा पा पिछले साल देखा हो तो आप भली भांति जानते होंगे कि पंजाब के निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आया ये २७ वर्षीय युवक गले से कितना सुरीला है। कार्यक्रम में ऊँचे सुरों पर जब कमल पंजाबी लोकगीतों की तान छेड़ते थे तो लगता था कि मानों हम एक दूसरी दुनिया में ही पहुँच गए हों।
कमल की आवाज़ को फिल्मी पर्दे पर लाने का पूरा श्रेय संगीतकार विशाल शेखर की जोड़ी को दिया जाना चाहिए जिन्होंने पहले 'तीस मार खाँ' और अब 'दि डर्टी पिक्चर' में उसका बखूबी इस्तेमाल किया है। कमल की आवाज़ में इतना दम और हुनर जरूर है कि अगर वो यूँ ही अपनी आवाज़ को तराशते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब वो भारत के 'राहत' बन जाएँगे।
पर इस गीत को इतना मधुर बनाने में कमल के आलावा गीतकार संगीतकार जोड़ी का भी बराबर का हाथ है। मुखड़े के ठीक पहले बजती पियानो की धुन सबसे पहले आकर्षित करती है और फिर आता है मुखड़ा जिसमें गीतकार ने प्रेम को इतने मोहक रूपों में बाँधा है कि पढ़ सुन कर बस वाह या आह ही निकलती है। ज़रा आप भी देखिए ना..
गीत के इंटरल्यूड्स में भी हिंदुस्तानी और पश्चिमी वाद्य यंत्रों का संयोजन ने निकली धुन गीत के आनंद को बढ़ा देती है। वैसे क्या आपको पता है ये गीत किसने लिखा है। इस गीत को लिखने वाले हैं रजत अरोड़ा। रजत के गीतकार बनने का सफ़र बहुत कुछ 'रब ने बना दी जोड़ी' वाले जयदीप साहनी जैसा है। इन दोनों ने गीतकार बनने की सीढी पटकथा लेखक बनने के बाद तय की है।
वैसे रजत हमेशा से गीतकार ही बनना चाहते थे। पर मुंबई आने पर उन्हे काम मिला पटकथा लेखक का। टैक्सी नंबर 9 दो 11, Once Upon A Time in Mumbai और चाँदनी चौक टू चाइना जैसी फिल्मों का पटकथा लेखन करने के बाद जब उन्हे विशाल शेखर ने ये फिल्म बतौर गीतकार पेश की तो वो फूले ना समाए।। रजत कहते हैं कि पटकथा लेखन के बाद गीतों को लिखना और भी सहज हो जाता है क्यूँकि लेखक जानता है कि उसके सृजित किरदार अलग अलग परिस्थितियों में किस भावना से गुजर रहे हैं।
इस गीत में रजत ने नायक के प्रेम को सूफ़ियाना विशेषण दिया है। यानि किसी के प्रेम में ऐसा डूब जाना कि अपने अस्तित्व का पता ही ना चले। विशाल शेखर भी इस गीत को इस फिल्म की सबसे मेलोडियस रचना मानते हैं। तो आइए आनंद लेते हैं इस गीत का..
कमल की आवाज़ को फिल्मी पर्दे पर लाने का पूरा श्रेय संगीतकार विशाल शेखर की जोड़ी को दिया जाना चाहिए जिन्होंने पहले 'तीस मार खाँ' और अब 'दि डर्टी पिक्चर' में उसका बखूबी इस्तेमाल किया है। कमल की आवाज़ में इतना दम और हुनर जरूर है कि अगर वो यूँ ही अपनी आवाज़ को तराशते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब वो भारत के 'राहत' बन जाएँगे।
पर इस गीत को इतना मधुर बनाने में कमल के आलावा गीतकार संगीतकार जोड़ी का भी बराबर का हाथ है। मुखड़े के ठीक पहले बजती पियानो की धुन सबसे पहले आकर्षित करती है और फिर आता है मुखड़ा जिसमें गीतकार ने प्रेम को इतने मोहक रूपों में बाँधा है कि पढ़ सुन कर बस वाह या आह ही निकलती है। ज़रा आप भी देखिए ना..
रब की क़व्वाली है इश्क़ कोई
दिल की दीवाली है इश्क़ कोई
महकी सी प्याली है इश्क़ कोई
सुबह की लाली है इश्क़....
गिरता सा झरना है इश्क़ कोई
उठता सा कलमा है इश्क़ कोई
साँसों में लिपटा है इश्क़ कोई
आँखों में दिखता है इश्क़...
गीत के इंटरल्यूड्स में भी हिंदुस्तानी और पश्चिमी वाद्य यंत्रों का संयोजन ने निकली धुन गीत के आनंद को बढ़ा देती है। वैसे क्या आपको पता है ये गीत किसने लिखा है। इस गीत को लिखने वाले हैं रजत अरोड़ा। रजत के गीतकार बनने का सफ़र बहुत कुछ 'रब ने बना दी जोड़ी' वाले जयदीप साहनी जैसा है। इन दोनों ने गीतकार बनने की सीढी पटकथा लेखक बनने के बाद तय की है।
वैसे रजत हमेशा से गीतकार ही बनना चाहते थे। पर मुंबई आने पर उन्हे काम मिला पटकथा लेखक का। टैक्सी नंबर 9 दो 11, Once Upon A Time in Mumbai और चाँदनी चौक टू चाइना जैसी फिल्मों का पटकथा लेखन करने के बाद जब उन्हे विशाल शेखर ने ये फिल्म बतौर गीतकार पेश की तो वो फूले ना समाए।। रजत कहते हैं कि पटकथा लेखन के बाद गीतों को लिखना और भी सहज हो जाता है क्यूँकि लेखक जानता है कि उसके सृजित किरदार अलग अलग परिस्थितियों में किस भावना से गुजर रहे हैं।
इस गीत में रजत ने नायक के प्रेम को सूफ़ियाना विशेषण दिया है। यानि किसी के प्रेम में ऐसा डूब जाना कि अपने अस्तित्व का पता ही ना चले। विशाल शेखर भी इस गीत को इस फिल्म की सबसे मेलोडियस रचना मानते हैं। तो आइए आनंद लेते हैं इस गीत का..
मेरे दिल को तू जान से जुदा कर दे
यूँ बस तू मुझको फ़ना कर दे
मेरा हाल तू, मेरी चाल तू
बस कर दे आशिक़ाना
तेरे वास्ते मेरा इश्क़ सूफ़ियाना
मेरा इश्क़ सूफ़ियाना ,मेरा इश्क़ सूफ़ियाना
सोचूँ तुझे तो है सुबह,
सोचूँ तुझे तो शाम है
हो ओ.. मंज़िलों पे अब तो मेरी…...
एक ही तेरा नाम है
तेरे आग में ही जल के,
कोयले से हीरा बन के
ख्वाबों से आगे चलके,
है तुझे बताना…..
तेरे वास्ते मेरा इश्क़ सूफ़ियाना.....
साथ-साथ चलते-चलते हाथ छूट जाएँगे
ऐसी राहों में मिलो ना
बातें-बातें करते-करते रात कट जाएगी
ऐसी रातों में मिलो ना
क्या हम हैं, क्या रब है
जहाँ तू है वहीं सब है
तेरे लब मिले मेरे लब खिले
अब दूर क्या है जाना
तेरे वास्ते मेरा इश्क़ सूफ़ियाना....
रब की.........इश्क़
मेरे दिल को तू ....मेरा इश्क़ सूफ़ियाना...
7 टिप्पणियाँ:
फिल्म तो नहीं सुहायी पर यह गाना बड़ा अच्छा लगा।
One of my fav. song...:)
yes, it is super duper song and my favorite as well
I like this song.
Lekh Aacha laga.
nice song
आप सब को गीत अच्छा लगा जानकर खुशी हुई।
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