अमिताभ बच्चन के अभिनय का तो हम सभी लोहा मानते हैं। उनके धारदार अभिनय को दर्शकों के दिल में बसाने में उनकी आवाज़ का बहुत बड़ा हाथ है। बचपन मे फिल्मों के प्रोमो रेडिओ पर आते थे 'प्रायोजित कार्यक्रम' के नाम से। अगर फिल्म अमित जी की हो तो कहना ही क्या। हम उनकी आवाज़ सुनने के लिए ट्रांजिस्टर के साथ कान लगाए फिरते। अमित जी के डॉयलॉग ज्यूँ ही कानों में पड़ते लगता कि आज का दिन ही बन गया। फिल्मी पर्दे पर भी उनकी स्क्रीन प्रेसेंस का अहम हिस्सा थी उनकी आवाज़....
अमिताभ ने बहुत कम गीत गाए हैं पर जब जब उन्होंने अपनी आवाज़ का इस्तेमाल बतौर पार्श्व गायक किया उनका जादू वहाँ भी चला। जब स्कूल में थे तो उनकी फिल्म नटवरलाल का गीत 'मेरे पास आओ मेरे दोस्तों इक किस्सा सुनो..' हम बच्चों को इतना पसंद आता था कि क्या कहें। गीत सुनकर हँसते हँसते हालत खराब हो जाती थी। फिर आई उनकी फिल्म सिलसिला। किशोरावस्था में इस फिल्म के लिए उनका गाया हुआ गीत नीला आसमान सो गया... सुनते तो लगता पूरे ज़हाँ का दुख अपने दिल में ही समा गया है। वहीं रँग बरसे.. की मस्ती से पूरा बदन थिरक उठता।
विगत कुछ वर्षों में अमिताभ हर साल इक्का दुक्का फिल्मों में अपनी आवाज़ देते रहे हैं। वर्ष 2007 में विशाल भारद्वाज के संगीत निर्देशन में फिल्म निःशब्द के लिए उनका गाया संवेदनशील गीत रोज़ाना जिएँ रोज़ाना मरें तेरी यादों में हम मेरी वार्षिक संगीतमाला का हिस्सा बना था। इस साल एक बार फिर उनके गीत ने कदम रखा है संगीतमाला की सत्रहवीं पॉयदान पर। फिल्म बुड्ढा होगा तेरा बाप के इस गीत में अमिताभ पर्दे पर हेमा जी से अपने हाल- ए- दिल का इज़हार कर रहे हैं।
अमिताभ अपने एक साक्षात्कार में इस गीत के बारे में कहते हैं
जब संगीतकार विशाल शेखर ने मुझे इस फिल्म के गीत गवाने की इच्छा ज़ाहिर कि तो मुझे लगा कि मैंने एक बुरा स्वप्न देख लिया। पर वे अच्छे मित्र हैं इसलिए उनकी बात नज़रअंदाज़ भी नहीं कर सकता था। हम लोग एक साथ स्टूडिओ में बैठे। हँसी मजाक के साथ गप्पें चल रही थीं कि किसी ने कोई वाद्य यंत्र उठाया और बस यूँ ही एक धुन तैयार हो गई।
विशाल शेखर अमिताभ की आवाज़ का असर भली भांति जानते हैं। इसलिए अमिताभ जब गीत शुरु करते हैं तो संगीत संयोजन नाममात्र का ही है। अमिताभ जब एक बार गीत के मुखड़े और एकमात्र अंतरे को गा लेते हैं तो ताल वाद्यों की बढ़ती रिदम के साथ गीत की पुनरावृति होती है। बीच बीच में पार्श्व गायिका मोनाली ठाकुर की मधुर तान गूँजती है जो मन को भली लगती है।
इस गीत के बोलों का क्रेडिट सम्मिलित रूप से दिया गया है गीतकार स्वानंद किरकिरे और अन्विता दत्त गुप्तान को। तो आइए सुनते हैं इस मधुर गीत को..
हाल-ए-दिल हाल-ए-दिल
तुमसे कैसे कहूँ
यूँ कभी आ के मिलतुमसे कैसे कहूँ
यादों में ख्वाबों में
आप की छब में रहें
हाल ए दिल हाल ए दिल
तुमसे कैसे कहूँ
हम तो उधड़ से रहे
होठ यूँ सिल से रहे
तेरी ही जुल्फों के धागे
यूँ तो सौ ख़त भी लिखे
कई पन्ने रट भी लिए
तेरी कहानी दोहराते
कबसे ये कह रहे
आपकी छब में रहे
हाल-ए-दिल हाल-ए-दिल.....
8 टिप्पणियाँ:
पहली बार सुना यह गीत...
सुर और संगीत जो है सो तो है ही,मृदंग का थाप सीधे मन पर पड़ता हो जैसे...
आभार आपका...
मैं यहाँ तू वहाँ वाला गीत अभी भी नीरवता ले आता है।
वाकई गीत और आपकी पसंद दोनों ही लाजवाब है.
जी बिल्कुल प्रवीण ! बागवान के उस गीत में भी यही जोड़ी पर्दे पर थी।
गीत, व आपकी पसंद लाजवाब है.
vikram7: महाशून्य से व्याह रचायें......
शुक्रिया रंजना जी,विक्रम जी और अभिषेक इस गीत को पसंद करने के लिए !
Manish G sharing this as i liked this song ..... its vry nice blog of urs for gud songs ...
Amita..Jaankar khushi huyi ki aapko bhi ye song pasand aaya. Amit ji ki aawaaz ka main to mureed hoon.
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