वार्षिक संगीतमाला की सोलहवीं पॉयदान पर के गीत की ख़ास बात ये है कि इसे गाया है मूलतः एक गिटार वादक ने। ये अलग बात है फिल्म रिलीज़ होने के पहले लोकप्रियता की सीढ़ियाँ चढ़ने में ये गाना अव्वल था। प्रीतम द्वारा संगीतबद्ध इस गीत को लिखा है आशीष पंडित ने जिनके बारे में इस संगीतमाला की शुरुआत में आपको यहाँ बता चुका हूँ। फिल्म बर्फी के इस गीत के गायक हैं निखिल पॉल जार्ज (Nikhil Paul George)।
निखिल का पैतृक निवास केरल में है पर भारत में उनका ज्यादा समय नागपुर में बीता। अब आप सोच रहे होंगे कि निखिल आखिर नागपुर में कर क्या रहे थे? नागपुर में तो निखिल ने कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली पर साथ साथ निजी तौर पर परीक्षा देकर पश्चिमी शास्त्रीय गिटार में भी डिप्लोमा हासिल कर लिया। कंप्यूटर और गिटार दोनों में डिग्रियाँ हासिल करने के बाद एक वज़ीफे की तहत संगीत संयोजन सीखने के लिए निखिल, रॉयल कॉलेज आफ लंदन जा पहुँचे और आजकल वे वहीं रहते हैं।
प्रीतम से परिचय में आने के बाद उन्होंने उनके कई गीतों में बतौर वादक, प्रोग्रामर, ध्वनि संयोजक का काम किया। प्रीतम के तमाम सफल गीतों टी एमो, रब्बा मैं तो. क्यूँ दूरियाँ ...आदि में वो उनकी टीम का हिस्सा रह चुके हैं। बर्फी के पार्श्व संगीत और फिल्म के गीतों के संगीत संयोजन में भी निखिल ने अपना योगदान दिया था।
एक आम से दीवाने लड़के के दिल की व्यथा को कहते इस गीत के लिए निर्देशक अनुराग बसु और संगीतकार प्रीतम को किसी होनहार गायक की नहीं बल्कि एक ऐसी आवाज़ की तलाश थी जो सिर्फ गीत की भावनाओं को अपनी आवाज़ में उतार सके। निखिल जिस बेचारगी और विवशता से मैं क्या करूँ मैं क्या करूँ... दसियों बार दोहराते है कि सुनने वाला भी सोचने लगता है कि सच इस हालत में ये लड़का अब करे तो क्या करे? :) आशीष पंडित द्वारा लिखी प्यार में डूबे दिल की ये दास्तां कोई नई नहीं है पर नया है उसे पेश करने का प्रीतम का अंदाज़ जो मन को एक बार में ही मोह लेता है। तो आइए सुनें उनका गाया ये नग्मा...
दिल ये मेरा, बस में नहीं
पहले कभी ऐसा होता था नहीं
तू ही बता इस दिल का मैं
अब क्या करूँ
कहने पे, चलता नहीं
कुछ दिनों से, मेरी भी सुनता नहीं
तू ही बता इस दिल का मैं
उफ्फ अब मैं क्या करूँ
मैं क्या करूँ, मैं क्या करूँ,मैं क्या करूँ, मैं क्या करूँ
करता हैआवारगी
इसपे तो धुन चढ़ी, है प्यार की
ना जाने गुम है कहाँ
बातों में है पड़ा, बेकार की
उलटी ये बात है
ऐसे हालात है
गलती करे ये, मैं भरूँ
उफ़ दिल का क्या करूँ
मैं क्या करूँ...
दिल पे मेरा काबू नहीं
फितरत कभी इसकी ऐसी थी नहीं
तू ही बता...
इस गीत को अभिनीत करने में रणवीर कपूर की कलाकारी भी कमाल की थी जिसका वीडिओ आप यहाँ देख सकते हैं...
5 टिप्पणियाँ:
बहुत प्यारा गाया है, विशेषकर मॉडुलेशन..
वाकई बढ़िया गाना है .
मनीष जी जितनी तफ़सील से आप गीत और उसके सृजनकर्ताओं के बारे में जानकारियों को पिरोते हैं वो लाजवाब होता है। पिछले वर्ष वैसे कर्णप्रिय फ़िल्मी गीत और वर्षों की तुलना में कम आये और उनमे जो थोड़ा सा आये उनमे बर्फी का हिस्सा सबसे ज्यादा है। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर मुझे बर्फी के ज़्यादातर गीत फिल्म/वीडिओ के साथ ही सुनने में अच्छे लगे।
प्रवीण और मृत्युंजय गीत पसंद करने के लिए शुक्रिया !
शु्क्रिया तारीफ़ के लिए अंकित..वैसे आप जैसे संगीत को परखने वाले श्रोता रहें तो गीतों के बारे में बातचीत का आनंद और बढ़ जाता है।
"पिछले वर्ष वैसे कर्णप्रिय फ़िल्मी गीत और वर्षों की तुलना में कम आये और उनमे जो थोड़ा सा आये उनमे बर्फी का हिस्सा सबसे ज्यादा है।"
सहमत हूँ आपके इस आकलन से।
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