वार्षिक संगीतमाला की 24 वीं पॉयदान पर गीत है फिल्म विकी डोनर का। ऐसा बहुत कम ही होता है कि किसी फिल्म का हीरो अपने ऊपर फिल्माए जाने वाले गीत का गीतकार,संगीतकार और गायक भी खुद ही हो। ये अजूबा कर दिखाया है चंडीगढ़ से ताल्लुक रखने वाले आयुष्मान खुराना ने।
आयुष्मान ने संगीत की विधिवत शिक्षा तो नहीं ली पर अनौपचारिक रूप से ही सही संगीत सीखा जरूर। उनके संगीतप्रेमी पिता ख़ुद एक बाँसुरी वादक थे। चंडीगढ़ के डी ए वी कॉलेज में पढ़ते हुए आयुष्मान को संगीत के साथ थिएटर करने का चस्का भी लग गया। आयुष्मान ने पानी दा रंग.... कॉलेज में रहते हुए ही वर्ष 2003 में लिखा और संगीतबद्ध कर लिया था। वो जानते थे कि जो कुछ उन्होंने रचा है वो बेहतरीन है। पर उसे सबके सामने लाने के पहले उन्हें उचित अवसर की तलाश थी।
उनकी ये तलाश खत्म हुई दस साल बाद जब निर्देशक शूजित सिरकार ने विकी डोनर के नायक के किरदार में उन्हें चुना। आयुष्मान अपने साक्षात्कारों में इस गीत के विकी डोनर में समावेश के बारे में कहा था
मैं विकी डोनर के सेट पर एक बार साथ में अपना गिटार ले कर पहुँचा था। फिल्म के निर्देशक से कुछ विचार विनिमय हो ही रहा था कि मैंने शूजित दा से कहा कि मैंने एक गीत संगीतबद्ध किया है। क्या आप उसे सुनना चाहेंगे? शूजित पहले तो अचरज में पड़ गए पर उन्होंने कहा बिल्कुल सुनूँगा। और इस तरह ये गीत इस फिल्म का हिस्सा बना। वैसे तो पंजाबी लोग अपने अक्खड़पन के लिए जाने जाते हैं पर यह उनकी छवि से उलट एक मुलायमियत भरा प्रेम गीत है।
पानी दा रंग के बोल भले पंजाबी में हों पर इसकी मन को सुकून देने वाली धुन इस गीत की लोकप्रियता का मुख्य कारण हैं। वैसे गीत के मुखड़े में जिस तरह पानी के रंग को आयुष्मान ने एक प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया है वो सुधी श्रोताओं का ध्यान अपनी ओर खींचता है।
पानी दा रंग वेख के
पानी का रंग वेख के
अँखियाँ जो अंजू रुल दे
माहिया ना आया मेरा
राँझना ना आया
आँखो दा नूर वेख के
अँखियाँ जो अंजू रुल दे
पानी का रंग या यूँ कहें की उसकी रंगविहीनता को देखकर मुझे लगा कि मेरा जीवन भी तो तुम्हारे बिना बेरंग है और ये ख़्याल आते ही मेरी आँखों से आँसू बह निकले। यूँ तो 2003 में बने इस गीत का मूल रूप वही रहा पर फिल्म में डाले जाने पर इसमें एक अंतरा कोठे उत्ते..अँखियाँ मिलौंदे...और जुड़ा।
नायक और गायक के बहुमुखी किरदार की किशोर दा की परंपरा को आयुष्मान कितना आगे ले जाते हैं ये तो वक़्त ही बताएगा पर फिलहाल सुनते हैं विकी डोनर के इस प्यारे से गीत को...
8 टिप्पणियाँ:
mera most fav. song
अलग छाप छोड़ गया ये गीत ..बढ़िया !
बहुत सुन्दर गीत
excellent song.....share its female version too :-)
thanks
anu
my favorite
Lovely song. Got to know other information related to the song & Anshuman's talent. Thanks.
बहुत खूबसूरत नगमा . ये गाना इस फिल्म का USP है. फिल्म भी जबरदस्त थी .
आपके द्वारा इस गीत के पहले लिखी भूमिका पढ़ रहा था कि "ऐसा बहुत कम ....." तो किशोर दा का नाम झट से ज़ेहन में आ गया क्योंकि 1950 के बाद शायद हिंदी सिनेमा जगत में एक ही बार हुआ होगा कि किसी फिल्म का गायक, संगीतकार, नायक, और डायरेक्टर, प्रोडूसर भी एक ही हो।
विक्की डोनर का मेलोडी से भरा ये गीत पंजाबी शब्दों की प्रमुखता के बाद भी अपना प्रभाव छोड़ता है, और होंठों पर रहता भी है। आगे अगर आयुष्मान को ऐसे अवसर और भी मिलते हैं तो उन्हें सुनना और देखना वाकई अच्छा होगा। इस गीत के वीडिओ में भी एक खासियत है कि ये खूबसूरत लोकेशन को ढूँढने इधर-उधर भटकता नहीं है, एक अनगड़ सी छत पर ही रहता है।
मनीष जी, वैसे इस साल एक और ऐसी फिल्म आई है जिसका नायक और गायक (अली ज़फर) एक ही है, "लन्दन, न्यूयॉर्क, पेरिस".
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