आशिक़ी 2 फिल्म और उसके गीतों के आज काफी चर्चे हैं। सोचा आज इसके गीतों को सुन लिया जाए। सुन रहा है..और कुछ हद तक तुम ही हो के आलावा फिल्म के बाकी गीत सामान्य ही लगे। हाँ ये जरूर हुआ कि जिस फिल्म की वज़ह से ये दूसरा भाग अस्तित्व में आया है उसके गीत संगीत की इस फिल्म ने यादें ताज़ा कर दीं।
1990 में जब आशिक़ी आई थी तब मैं इंजीनियरिंग कर रहा था। फिल्म के रिलीज़ होने के पहले ही इसके संगीत ने ऐसी धूम मचा दी थी कि हॉस्टल के हर कमरे से इसका कोई ना कोई गीत बजता ही रहता था। राँची के संध्या सिनेमा हाल में फिल्म देखने के बाद फिल्म की कहानी से ज्यादा उसके गीत ही गुनगुनाए गए थे और आज भी इस फिल्म के बारे में सोचने से इसकी पटकथा नहीं पर इसके गाने जरूर याद आ जाते हैं।
आशिक़ी के गीतों की लोकप्रियता ने नदीम श्रवण की संगीतकार जोड़ी को फर्श से अर्श तक पहुँचा दिया था। अस्सी का दशक इस जोड़ी के लिए संघर्ष का समय था। छोटी मोटी फिल्में करते हुए उन्होंने उस ज़माने में ही अपनी बनाई धुनों का बड़ा जख़ीरा बना लिया था जो नब्बे के दशक में गुलशन कुमार द्वारा आशिक़ी में बड़ा ब्रेक दिए जाने के बाद खूब काम आया। आशिक़ी हिंदी फिल्म उद्योग की उन चुनिंदा फिल्मों का हिस्सा रही है जिसका हर गीत हिट रहा था। नदीम श्रवण के संगीत में कर्णप्रिय धुनों के साथ मेलोडी का अद्भुत मिश्रण था।
आज भी आशिक़ी के गीतों के मुखड़ों को याद करने के लिए दिमाग पर ज़रा भी जोर देना नहीं पड़ता। शीर्षक गीत साँसों की जरूरत हो जैसे ज़िंदगी के लिए बस इक सनम चाहिए आशिक़ी के लिए या फिर नज़र के सामने जिगर के पास कोई रहता है वो हो तुम या फिर धीरे धीरे से मेरी ज़िंदगी में आना धीरे धीरे से दिल को चुराना या अब तेरे बिन जी लेंगे हम जहर ज़िदगी का पी लेंगे हम ये सारे गीत एक बार ज़ेहन में जो चढ़े वे कभी वहाँ से उतरे ही नहीं।
आशिक़ी ने बतौर संगीतकार नदीम श्रवण की जोड़ी के साथ गायक कुमार शानू और अनुराधा पोडवाल को सीधे शिखर पर पहुँचा दिया और पूरे नब्बे के दशक में इन्हीं कलाकारों की हिंदी फिल्म संगीत पर तूती बोलती रही। यहाँ तक कि गीतकार समीर का परचम भी इसी दौर में फहरा। गुलशन कमार की कंपनी टी सीरीज़ का कारोबार यूँ बढ़ा कि HMV के कदम भी डगमगाने लगे।
आशिक़ी फिल्म का मेरा सबसे प्रिय गीत वो हे जो ऊपर के गीतों की तुलना में उतना तो नहीं बजा पर मेरे दिल के बेहद करीब रहा है। मेरी समझ से इस फिल्म में कुमार शानू द्वारा गाया ये सबसे मधुर गीत था। तो आइए सुनते हैं कुमार शानू को आशिक़ी फिल्म के इस गीत में..
आशिक़ी फिल्म का मेरा सबसे प्रिय गीत वो हे जो ऊपर के गीतों की तुलना में उतना तो नहीं बजा पर मेरे दिल के बेहद करीब रहा है। मेरी समझ से इस फिल्म में कुमार शानू द्वारा गाया ये सबसे मधुर गीत था। तो आइए सुनते हैं कुमार शानू को आशिक़ी फिल्म के इस गीत में..
तू मेरी ज़िन्दगी है,तू मेरी हर खुशी है
तू ही प्यार तू ही चाहत
तू ही आशिक़ी है
तू मेरी ज़िन्दगी है....
पहली मुहब्बत का अहसास है तू
बुझ के भी बुझ न पाई, वो प्यास है तू
तू ही मेरी पहली ख्वाहिश,तू ही आखिरी है
तू मेरी ज़िन्दगी है...........
हर ज़ख्म दिल का मेरे, दिल से दुआ दे
खुशियां तुझे ग़म सारे, मुझको खुदा दे
तुझको भुला ना पाया, मेरी बेबसी है
तू मेरी ज़िन्दगी है...........
वैसे पुरानी वाली आशिक़ी का आप को कौन सा गीत सबसे पसंद है?
19 टिप्पणियाँ:
उस फिल्म मे यही गाना मेरा भी पसंदीदा है ॥
अच्छी पोस्ट ...आपका पूरा ब्लॉग पढ़ा ...अच्छा लिखते है ....keep writing...
जब इस फिल्म के गाने सुने थे तो "अब तेरे बिन जी लेंगे हम" सबसे पसंद आया था जो मानवीय मनोविज्ञान भी है कि सैड सांग्स टीनएज में ज्यादा पसंद आते हैं। पता नहीं अब के टीनएजर्स के साथ ऐसा है या नहीं लेकिन खासकर मुझे उस समय दुखांत फिल्में, किशोर के सैड सांग्स बहुत पसंद आते थे जबकि रीयल लाइफ काफी हंसी खुशी वाली थी... यह विरोधाभास क्यों था, यह समझ नहीं आता।
सच में, यह गाना बड़ा कर्णप्रिय लगता था।
कर दी एक शाम आपने मेरे नाम -शुक्रिया
धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना...धीरे धीरे मेरे दिल को चुराना....
ये हमें तब पसंद था...मगर अब दिल नहीं करता सुनने का,जाने क्यूँ??
शायद उम्र के साथ पसंद बदल गयी हो..
:-)
अनु
i also loved this song very much ..now u again reminded me !
स्वाति, सोनरूपा, प्रवीण अच्छा लगा जानकर कि ये गीत मेरी तरह आप लोगों को भी पसंद है।
अरविंद जी अपनी शाम देने के लिए धन्यवाद :)
इस फिल्म के सारे के सारे गानें हमें बेहद पसंद थे.. इन गानों को हमनें इतना सुना है जिसका कोई हिसाब नहीं.. एक कैसेट बज बज कर खराब हो गया था, हमें फिर दूसरा लेना पड़ा था.. मेरे पास एक 'वाकमैन' भी था, तो मैं जहां भी जाता था उसे साथ ले जाता था और उसके साथ कुछ चुनिंदा कैसेट्स; जिसमे 'आशिकी' हमेशा मेरी लिस्ट में 'टाप' पर होता था..
बाद में जब सीडी आई तो शायद हमनें पहली सीडी भी 'आशिकी' ही ली थी...
दीपिका आपने लिखा है
मानवीय मनोविज्ञान भी है कि सैड सांग्स टीनएज में ज्यादा पसंद आते हैं।पता नहीं अब के टीनएजर्स के साथ ऐसा है या नहीं
दो बातें कहना चाहूँगा इस बारे में।
कम से कम अपनी जेनेरेशन की बात करूँ तो हमारे कॉलेज में ज्यादातर लोग तब भी धूम धड़ाके वाला पश्चिमी संगीत या फिर मेलोडी सुनना पसंद करते थे। हमारे आपके जैसे लोग अल्पसंख्यक तब भी थे आज भी हैं :)।
खासकर मुझे उस समय दुखांत फिल्में, किशोर के सैड सांग्स बहुत पसंद आते थे जबकि रीयल लाइफ काफी हंसी खुशी वाली थी...
हम्म जब अपने मन की बात दूसरे के मुँह से निकलती है तो जैसा महसूस होता है वैसा ही महसूस कर रहा हूँ। उम्र के साथ मुझे आज भी आँखों को नम करने वाले गीत उतने ही प्यारें लगते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि आज कल इतनी आसानी से आँखें गीली नहीं होतीं।
किशोरावस्था और दुख में डूबकर सुकून हासिल करने की बात से एक और गीत याद आ रहा है। शायद आपका भी पसंदीदा हो!
अनु जी वज़ह साफ है आज जब तक बोल गहरे ना हों मन पर असर नहीं करते इसलिए इन गीतों को सुनना वो आनंद नहीं देता। वैसे तू मेरी ज़िदगी है.. और साँसों की जरूरत आज भी गाहे बाहे गुनगुनाना मुझे अच्छा लगता है इन गीतों की मेलोडी के चलते।
प्रशांत आप की आशिक़ी के गीतों से जुड़ी यादों को पढ़कर आनंद आया। कमोबेश उस दौर में शायद ही कोई आशिक़ी के गीतों से अछूता रह पाया होगा।
उन गानों को फिर से सुनने का एक कारण दे दिया है आशिकी 2 ने...
I was too young that time but i remember the songs being played at every nook and corner and a great impact, good old days
Manish jee , muze tho...''Ab tere bin jee lege hum, zahar zindgi ka pee lege hum...'' Aaj bhi achcha lagta hai l
मनीषा जी एक वक़्त था जब ये गीत मुझे भी पसंद था। इसे डॉयरी में नोट कर के भी रखा था । कल कब डॉयरी के पन्ने पलट रहा था तब इस पर भी नज़र गयी। इसके बोल उतने गहरे नहीं लगे जितना आज की तारीख़ में मैं पसंद करता हूँ।
नजर के सामने जिगर के पास कोई रहता है... अनगिनत बार सुन चुकी अभी भी सुनती हूँ फुरसत में आशिकी २ में वो बात नहीं याद दिलाने के लिए शुक्रिया.
purani aashiki ki yaad dila di aaj mai b phir se saare gaane sunugi Aashiqi ke :)
my most favourate song very emotional and meaningful. thanx to composer
मनीष जी, वाकई परिणीता का यह गीत बेहद सुकून पहुंचाने वाला है और मेरा काफी पसंदीदा है। सैड सांग्स की बात करूं तो मुझे आपकी कसम फिल्म का "जिंदगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम..." बेहद पसंद था, इस गीत में मानो ज़िंदगी की पूरी फिलॉसफी थी। कभी इस पर भी कोई पोस्ट तैयार करें तो मज़ा आएगा।
एक टिप्पणी भेजें