बुधवार, जून 26, 2013

जलते हैं जिस के लिए, तेरी आँखों के दीये..

कुछ गीत ज़िंदगी में कभी भी सुने जाएँ, कितनी बार भी सुने जाएँ वही तासीर छोड़ते हैं। कुछ दिनों से ऐसा ही एक सदाबहार नग्मा होठों पर जमा हुआ है। 1959 में आई फिल्म सुजाता के इस गीत को गाया था तलत महमूद ने। 

हिंदी फिल्म जगत में तलत महमूद एक ऐसे गायक थे जो फिल्म संगीत में छाने के पहले ही ग़ज़लों की दुनिया में अपना एक अलग नाम बना चुके थे। मात्र सोलह साल की उम्र में आकाशवाणी लखनऊ से दाग़, मीर, ज़िगर मुरादाबादी जैसे नामचीन शायरों की ग़ज़लों को गाकर तलत ने श्रोताओं का दिल जीत लिया था। सन 1944 में उनका गैर फिल्मी गीत तसवीर तेरी दिल मेरा बहला ना सकेगी इतना लोकप्रिय हुआ कि उन्हें बंगाल की फिल्मों में काम करने के लिए कोलकाता में बुलाया गया। पर मुंबई फिल्म जगत में उनका पदार्पण 1949 में फिल्म आरजू के लिए गाए गीत ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल.... से हुआ। पचास और साठ के दशक में तलत ने ऐसे बेशुमार नग्मे दिये जिन्हें संगीतप्रेमी शायद कभी ना भूल पाएँ।
 
तलत एक आकर्षक नौजवान थे। इसी वज़ह से वो गायिकी के साथ अभिनय में भी कूद पड़े। तलत महमूद को अगर फिल्मों में पार्श्व गायन के साथ साथ हीरो बनने का चस्का नहीं लगा होता तो शायद पचास और साठ के दशक में गाए उनके गीतों की सूची और लंबी होती। वैसे तलत महमूद द्वारा की गई गलती बाद में तलत अजीज़ और सोनू निगम ने भी दोहराई और उसका ख़ामियाजा भुगता। साठ के दशक के बाद फिल्म संगीत में आया बदलाव ग़ज़लों के इस बादशाह को नागवार गुजरा और तलत ने फिल्मों में गाना लगभग छोड़ ही दिया।

यूँ तो उनके सदाबहार गीतों की फेरहिस्त में में तुमसे आया ना गया..., शाम - ए - ग़म की कसम..., तसवीर बनाता हूँ..., जाएँ तो जाएँ कहाँ...., दिल ए नादाँ तुझे हुआ क्या है... आदि का अक्सर जिक्र आता है पर अगर अपनी पसंद की बात करूँ तो मुझे मेरी याद में तुम ना आँसू बहाना..., इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा.., फिर वही शाम वही ग़म वही तनहाई है...को  गुनगुनाना बेहद पसंद है। पर इनसे भी अच्छा मुझे उनका वो गीत लगता है जिसकी बात मैं आज करने जा रहा हूँ।

फिल्म सुजाता का ये गीत अपने लाजवाब बोलों की वज़ह से दिल से कभी दूर नहीं होता। क्या मुखड़ा और अंतरा लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने। एक ऐसे गीत की कल्पना जिसकी भावनाओं की उष्मा से प्रियतमा की आँखे जल उठें। भई वाह ! एक ऐसा नग्मा जो दो दिलों की बेचैनी को इतने बेहतरीन अंदाज़ में परिभाषित करता है  
दर्द बन के जो मेरे दिल में रहा ढल ना सका..
जादू बन के तेरी आँखों में रुका चल ना सका 
.....जिसे महसूस कर सुनने वालों की आँखें नम हो जाएँ। सचिन देव बर्मन की बाँसुरी और तलत की थरथराती आवाज़ के साथ मज़रूह के शब्द जब कानों में पड़ते हैं तो मन इस गीत में बहुत देर यूँ ही डूबा रह जाता है।

फिल्म सुजाता में सुनील दत्त और नूतन पर ये गीत फिल्माया था। नूतन के चेहरे की सजीव भाव भंगिमाओं इस गीत की खूबसूरती को बयाँ कर देती हैं..


जलते हैं जिस के लिए, तेरी आँखों के दीये
ढूँढ लाया हूँ वही, गीत मैं तेरे लिए

दर्द बन के जो मेरे दिल में रहा ढल ना सका
जादू बन के तेरी आँखों में रुका चल ना सका
आज लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिए

दिल में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे ना कही
गीत नाजुक हैं मेरा शीशे से भी टूटे ना कही
गुनागुनाऊँगा यही गीत मैं तेरे लिए

जब तलक ना ये तेरे रस के भरे होठों से मिले
यूँ ही आवारा फिरेगा ये तेरी जुल्फों के तले
गाये जाऊँगा यही गीत मैं तेरे लिए..

नई आवाजें  जब हिंदी फिल्म संगीत के इन अनमोल गीतों को आगे ले जाती हैं यो मन में बेहद खुशी होती है। स्निति मिश्रा की गायिकी से  करीब एक दशक पहले आपका परिचय कराया था जब वो सा रे गा मा पा में प्रतिभागी के तौर पर हम सबके सामने आयी थीं। देखिए उन्होंने तलत महमूद के इस कालजयी गीत को अपने अंदाज में किस तरह निभाया है?


वैसे तलत महमूद के गाए गीतों में अगर एक गीत का चुनाव करना हो तो आपकी वो पसंद क्या होगी?
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17 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय on जून 26, 2013 ने कहा…

अहा, बहुत ही अच्छा लगता है यह गीत..बैठकर सुन रहे हैं पुनः।

ashokkhachar56@gmail.com on जून 26, 2013 ने कहा…

सुन्दर

Kapil Sharma on जून 26, 2013 ने कहा…

kal shaam yahi gaana sunte huye soya

Pramod Kumar on जून 26, 2013 ने कहा…

RASAVTAR HAIN AAP.....MANISH JI...

Anumeha ने कहा…

ye gana humko itna pasand ki puchiye mat
sara din sun sakte hain

sare fav the isme
NUtan
sunil datt
Talat Mahmood

aur Ph pe gana .....Thanks for sharing

rashmi ravija on जून 26, 2013 ने कहा…

तलत के गाये गीत हमेशा से ही फेवरेट रहे हैं...पर "जलते हैं तेरे लिए..." और फिर वही शाम वही गम वही तन्हाई है..." बहुत ही पसंद है .

Rahul Verma on जून 26, 2013 ने कहा…

very nice sharing manishbhai......majrooh sahab in my view is the Best lyricist indian film industry has produced(with due respect to other equally well lyricists)...........very nice song from movie-'sujata'............combo of sd burmansaab & majroohsaab was just fantastic

Prashant Suhano on जून 26, 2013 ने कहा…

इस गीत के साथ-साथ मेरे कुछ पसंदीदा गीतों में 'तस्वीर बनाता हूँ' 'शामे गम की कसम' 'मेरी याद में तुम ना' और 'बेचैन नजर, बेताब जिगर' आदि हैं....

Shangrila Mishra on जून 26, 2013 ने कहा…

I too am listening.

Ambika P Pant on जून 29, 2013 ने कहा…

मनीष जी एक समय था जब एक मोहक धुन सुनकर लोगो को पता चल जाता था की घडी मे क्या बजा है। जी हाँ बात चल रही है ३ बजे विविध भारती मे प्रसारित होने वाले प्रोग्राम "लोकसंगीत " की। मैंने काफी कोशिश की पर सफलता हाथ न लगी क्या आप या पाठक गण मे कोई उस मोहक बांसुरी की धुन का लिंक दे सकता है ?

Cifar on जुलाई 02, 2013 ने कहा…

ye gana meri bhi sadabahar gano ki suchi mein aata hai,is gana ki pavitrta hi iski sunderta hai

Manish Kumar on जुलाई 10, 2013 ने कहा…

आप सब को भी ये गीत उतना ही पसंद है जानकर खुशी हुई। तलत के गाए अपने पसंदीदा गीतों से अवगत कराने के लिए धन्यवाद !

Rajeev on जुलाई 27, 2013 ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,मनीष जी .तलत साहब मेरे भी प्रिय रहे हैं .

राजीव कुमार झा(http://dehatrkj.blogspot.in)

Unknown on अप्रैल 20, 2017 ने कहा…

Itna na mujh se tu pyar badha .k me ek badal awara.

Namrata Kumari on जून 09, 2019 ने कहा…

Wah! Gaanay se pyar ho Gaya. Kya bol, kya gayaki.

Manish Kumar on जून 09, 2019 ने कहा…

राजीव जानकर खुशी हुई।

अकरम मुझे भी वो गीत पसंद है।

Manish Kumar on जून 12, 2019 ने कहा…

हाँ नम्रता, बेहद प्यारा गाना है ये, दिल को छूने वाला !

 

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