गीतमाला की अगली सीढ़ी पर एक बड़ा ही सुरीला नग्मा खड़ा है आपके इंतज़ार में। एक ऐसा गीत जिसे मात्र एक दो बार सुनकर ही आप इसकी गिरफ़्त में आ जाएँ। कम से कम मेरे साथ तो ऐसा ही हुआ जब मैंने चेन्नई एक्सप्रेस के इस गीत को पहली बार सुना। विशाल शेखर द्वारा संगीतबद्ध रोमांटिक गीतों की मुलायमियत से हम सब वाकिफ़ हैं। अगर पिछले कुछ सालों के उनके रिकार्ड को देखा जाए तो हलके हलके रंग छलके.., जाने हैं वो कहाँ जिसे ढूँढती है नज़र.., फ़लक तक चल साथ मेरे.., कुछ कम रौशन है रोशनी..कुछ कम गीली है बारिशें.., बिन तेरे कई ख़लिश है हवाओं में बिन तेरे, बहारा बहारा हुआ दिल पहली बार रे... जैसे रूमानियत का रंग बिखेरते गीतों की लंबी झड़ी तुरंत ही दिमाग में आ जाती है। तितली.. विशाल शेखर की तरफ़ से इस तरह के गीतों को पसंद करने वाले श्रोताओं के लिए नया तोहफा है।
चेन्नई एक्सप्रेस के लिए विशाल शेखर ने गीतकार के रूप में अमिताभ
भट्टाचार्य को चुना और क्या मुखड़ा लिखा अमिताभ ने बन के तितली दिल उड़ा उड़ा
उड़ा है, कहीं दूर ...चल के खुशबू से जुड़ा जुड़ा जुड़ा है, कहीं दूर .. विशाल
की मधुर धुन पर चिन्मयी श्रीप्रदा की आवाज़ में इन शब्दों को सुन मन मयूर
सब कुछ भूल कर सचमुच उड़ने लगता है भावनाओं के क्षितिज में। अमिताभ ने ''ख़्वाबदारी'' और ''रागदारी'' जैसे अप्रचलित शब्दों का प्रयोग कर अंतरे
में नया रंग भरने की कोशिश की है।
इस गीत में चिन्मयी का साथ दिया है
मलयाली संगीतकार व गायक गोपी सुंदर ने। इस साल भले ही चिन्मयी श्रीपदा ऐ
सखी साजन, तू रंग शरबतों का और तितली जैसे गीतों में सुनी गई हैं पर गुरु
के गीत तेरे बिना बेसुवादी रतियाँ के बाद उनकी हिंदी फिल्मों मे उपस्थिति
नगण्य ही रही है। इसकी एक वज़ह ये भी है कि जिस कोटि के गीत उनकी आवाज़ में
जँचते हैं वहाँ श्रेया घोषाल ने अपनी पहचान पहले से बना रखी है। चिन्मयी
इस गीत को अपनी झोली में आने के बारे में कहती हैं..
"मुझे मुंबई फिल्मों में और गाने गाने का मन तो करता है पर समझ नहीं आता कि उसके लिए मैं काम करूँ। अपने लिए काम ना मै चेन्नई में माँगती हूँ और ना ये तरीका मैंने मुंबई वालों के लिए अपनाया है। नवंबर में जब शेखर सर चेन्नई आए तो उन्होंने कहा कि मुझे तेरे बिना गाने वाली लड़की से मिलना है। मुझे बुलाया गया, गीत की परिस्थिति बताई गयी और गीत रिकार्ड भी हो गया। बाद में जब शाहरुख सर ने ट्वीट किया कि उन्हें मेरा गाया गीत बेहद पसंद आया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
बन के तितली दिल उड़ा उड़ा उड़ा है, कहीं दूर ...
चल के खुशबू से जुड़ा जुड़ा जुड़ा है, कहीं दूर ...
हादसे ये कैसे, अनसुने से जैसे
चूमे अँधेरों को, कोई नूर ...
सिर्फ कह जाऊँ या, आसमाँ पे लिख दूँ
तेरी तारीफों में, चश्मेबददूर ...
भूरी भूरी आँखें तेरी
कनखियों से तेज़ तीर कितने छोड़े
धानी धानी बातें तेरी
उडते-फिरते पंछियों के रुख भी मोड़े
अधूरी थी ज़रा सी, मैं पूरी हो रही हूँ
तेरी सादगी में हो के चूर ....
बन के तितली ...
रातें गिन के नींदें बुन के
चीज़ क्या है ख़्वाबदारी हम ने जानी
तेरे सुर का साज़ बन के
होती क्या है रागदारी हम ने जानी
जो दिल को भा रही हैं, वो तेरी शायरी है
या कोई शायरना है फितूर..
बन के तितली ...
चलते चलते इस गीत से जुड़ी एक बात और। हिंदी भाषी लोगों के मन में ये प्रश्न जरूर उठता होगा कि इस गीत की शुरुआत में और अंतरे में जो तमिल श्लोक सुनाई देता है उसका क्या अर्थ है। इस श्लोक के धार्मिक महत्तव पर बिना विस्तार में जाए बस आपको इतना बताना चाहूँगा कि भगवन को संबोधित करते इसमें कहा गया है कि भगवान एक बार जब तुम्हारे अद्वितीय रूप के दर्शन हो गए तो मुझे इस संसार में अब कुछ और देखने की इच्छा नहीं बची।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत ही सुन्दर गीत
melodious song and thanks for narrating the meaning of Shlok.
प्रवीण, कंचन गीत पसंद करने के लिए धन्यवाद
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