कुछ गीत ऐसे होते हैं जिन्हें संगीत के बिना भी सुना जाए तो वो लगभग वही असर छोड़ते हैं। पर ऐसे गीतों को दिल में उतरने में वक़्त लगता है। वार्षिक संगीतमाला की 16 वीं पायदान पर ऐसा ही एक गीत है। सच बताऊँ तो जब कुछ महिने पहले इस गीत को पहली बार सुना था तो गीत श्रवणीय होने के बावज़ूद मुझ पर उतना असर नहीं कर पाया था। पर जैसे जैसे इस गीत की लोकप्रियता बढ़ी मुझे इस गीत को कई बार सुनने का अवसर मिला और मैंने पाया कि सीधे सहज बोलों को गायक ने जिस गांभीर्य और प्रबलता से निभाया है और गीत के अंदर की जो मधुरता व दर्द है वो दिल में धीरे धीरे घर कर जाती है। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ आशिक़ी 2 के गीत तुम ही हो की जिसे अपनी आवाज़ दी है उदीयमान गायक अरिजित सिंह ने और जिसकी धुन बनाई और लिखा है मिथुन ने
पर पहले बात अरिजित की। अरिजित सिंह का नाम भले ही आशिक़ी 2 की सफलता के बाद चारों ओर लिया जा रहा है पर जहाँ तक एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं का सवाल है अरिजित के गाए दो गीतों साँवली सी रात हो..खामोशी का साथ हो और फैली थी स्याह रातें ने पिछले साल के प्रथम दस गीतों में अपनी जगह बनाई थी। अगर आपको याद हो तो सोनी टीवी में आज से आठ साल पहले यानि 2005 में फेम गुरुकुल नाम का रियालिटी शो प्रसारित हुआ था। अरिजित उस शो में छठे स्थान पर रहे थे पर उस कार्यक्रम ने इतना नाम तो दिया कि संगीत समारोहों में बंगाल के इस गायक को मौके मिलते रहे। पिछले सात सालों के संघर्ष के बाद इस गीत को जो लोकप्रियता मिली है उससे वो खुश जरूर हैं पर उन्हें मालूम है कि ये उनके सांगीतिक सफ़र का प्रारंभिक मोड़ ही है। आशिकी 2 के इस गीत से जुड़े अनुभवों के बारे में बताते हुए अरिजित कहते हैं
ख़ैर अरिजित की मेहनत के साथ इस गीत की सफलता में संगीतकार मिथुन शर्मा का भी कम योगदान नहीं है। संगीतज्ञ नरेश शर्मा के पुत्र मिथुन पिछले छः सात सालों से हिंदी फिल्म जगत में सक्रिय हैं। पर तेरे बिना मैं कैसे जिया (बस एक पल), ज़िंदगी ने ज़िंदगी भर गम दिए (दि ट्रेन) और दिल सँभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू (मर्डर 2) मौला मेरे मौला मेरे (अनवर) जैसे लोकप्रिय गीतो् को संगीतबद्ध करने वाले मिथुन को खूब सारा काम करने की कोई जल्दी नहीं है। अगर आप ध्यान दें तो पाएँगे कि उनके गीतों में पियानो का इस्तेमाल बड़ी खूबसूरती से होता है। इस गीत की शुरुआत और इंटरल्यूड्स में पियानो और गीत के पार्श्व में गिटार की ध्वनि आपको गीत के साथ मिलेगी।
पर पहले बात अरिजित की। अरिजित सिंह का नाम भले ही आशिक़ी 2 की सफलता के बाद चारों ओर लिया जा रहा है पर जहाँ तक एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं का सवाल है अरिजित के गाए दो गीतों साँवली सी रात हो..खामोशी का साथ हो और फैली थी स्याह रातें ने पिछले साल के प्रथम दस गीतों में अपनी जगह बनाई थी। अगर आपको याद हो तो सोनी टीवी में आज से आठ साल पहले यानि 2005 में फेम गुरुकुल नाम का रियालिटी शो प्रसारित हुआ था। अरिजित उस शो में छठे स्थान पर रहे थे पर उस कार्यक्रम ने इतना नाम तो दिया कि संगीत समारोहों में बंगाल के इस गायक को मौके मिलते रहे। पिछले सात सालों के संघर्ष के बाद इस गीत को जो लोकप्रियता मिली है उससे वो खुश जरूर हैं पर उन्हें मालूम है कि ये उनके सांगीतिक सफ़र का प्रारंभिक मोड़ ही है। आशिकी 2 के इस गीत से जुड़े अनुभवों के बारे में बताते हुए अरिजित कहते हैं
"मैं इस गीत को गाते समय बिल्कुल नर्वस नहीं था क्यूँकि तब मुझे ये पता ही नहीं था कि ये गाने आशिक़ी के लिए प्रयुक्त होने हैं। मुझे ये गीत इसलिए पसंद है क्यूँकि इसमें मधुरता है। इसे और कोई भी गाता तो भी मुझे ये गीत पसंद आता। मुझे बड़ी खुशी है कि डान्स नंबर या फड़कता हुआ संगीत ना होते हुए भी ये गीत मशहूर हुआ। ये ऐसा सुरीला नग्मा है जिसे आप शांति से बैठकर सुनना चाहेंगे। रिकार्डिंग के समय मुझसे ये गीत पाँच से छः बार गवाया गया। कभी तो मुझे लगता था कि कितना करेंगे बहुत ज़्यादा हो रहा है। फिर मुकेश (मुकेश भट्ट) आ कर कहते ये अच्छा है पर और कोशिश करो बेहतर परिणाम आएँगे।"
ख़ैर अरिजित की मेहनत के साथ इस गीत की सफलता में संगीतकार मिथुन शर्मा का भी कम योगदान नहीं है। संगीतज्ञ नरेश शर्मा के पुत्र मिथुन पिछले छः सात सालों से हिंदी फिल्म जगत में सक्रिय हैं। पर तेरे बिना मैं कैसे जिया (बस एक पल), ज़िंदगी ने ज़िंदगी भर गम दिए (दि ट्रेन) और दिल सँभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू (मर्डर 2) मौला मेरे मौला मेरे (अनवर) जैसे लोकप्रिय गीतो् को संगीतबद्ध करने वाले मिथुन को खूब सारा काम करने की कोई जल्दी नहीं है। अगर आप ध्यान दें तो पाएँगे कि उनके गीतों में पियानो का इस्तेमाल बड़ी खूबसूरती से होता है। इस गीत की शुरुआत और इंटरल्यूड्स में पियानो और गीत के पार्श्व में गिटार की ध्वनि आपको गीत के साथ मिलेगी।
अक्सर गीतकार सईद क़ादरी के साथ काम करने वाले मिथुन ने इस बार ख़ुद बोलों को लिखा भी है। उनका कहना है कि आशिक़ी दो में प्रेम के जिस स्वरूप का चारित्रिक निरूपण किया गया है ये गीत उसी की अभिव्यक्ति है। मुझे लगता है कि अगर मिथुन बोलों में थोड़ी और गहराई ला पाते तो ये गीत मेरी इस सूची में और ऊपर होता।तो आइए एक बार फिर सुनें इस गीत को..
हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा
तुझ से जुदा अगर हो जायेंगे
तो खुद से ही हो जायेंगे जुदा
क्योंकि तुम ही हो, अब तुम ही हो
ज़िंदगी, अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी, अब तुम ही हो
तेरा मेरा रिश्ता हैं कैसा
इक पल दूर गवारा नही
तेरे लिये हर रोज़ हैं जीते
तुझको दिया मेरा वक़्त सभी
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हर साँस पे नाम तेरा
क्योंकि तुम ही हो
तेरे लिये ही जिया मैं
खुद को जो यूँ दे दिया हैं
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे ग़मों को दिल से निकाला
तेरे साथ मेरा हैं नसीब जुड़ा
तुझे पा के अधूरा ना रहा
क्योंकि तुम ही हो
वैसे अरिजित की आवाज़ से आगे भी मुलाकात होगी इस संगीतमाला में...:)
6 टिप्पणियाँ:
इस गाने ने तो मन मोह लिया है, बहुत ही अच्छा लगता है।
मनीष भाई इस साल की सीरीज़ मे पहले बार जुड़ा हूँ . इस पोस्ट की लिंक फेसबुक पर देने के लिए धन्यवाद . ये गाना तो सुना ही है, पर गाने और गाना गाने वाली की कहानी पढ़ना सचमुच रोमांचक है
मनीष जी!मुझे ये गीत बहुत पसन्द है लेकिन गायक का सच आज ही पता चला जब की फेम गुरुकुल में अरिजित को हम भी सुना करते थे।बहुत−बहुत धन्यवाद मनीष जी।
सचमुच, ये बड़ा ही सुरीला गीत है...
Bilkul sahi kaha manish. bahut karn priye geet he. jab ki new songs me bahut kam hota he.
प्रवीण, नूतन, सुनीता, प्रशांत गीत पसंद करने के लिए धन्यवाद
मृत्युंजय गीतमाला से जुड़ने के लिए धन्यवाद। पोस्ट आपको अच्छी लगी जानकर प्रसन्नता हुई।
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