पिछली वार्षिक संगीतमाला के सिरमौर प्रीतम इस साल पहली बार दाखिल हो रहें गीतमाला की अगली पॉयदान पर। संगीत संयोजन के मामले में प्रीतम का अपना एक अलग ही अंदाज़ रहा है। उनकी धुनों की मधुरता ऐसी होती है कि कई बार आप शब्दों की तह तक पहुँचने के पहले ही उन्हें गुनगुनाने लगते हैं। फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो में प्रीतम एक बार फिर अपने पसंदीदा गीतकार इरशाद कामिल के साथ नज़र आए हैं। पर वार्षिक संगीतमाला की बाइसवीं पॉयदान पर जो गीत है उसके यहाँ होने की वज़ह इसके गायक राहत फतेह अली खाँ और प्रीतम हैं।
राहत फतेह अली खाँ की गायिकी का जादू पहली बार फिल्म पाप के गीत लगन लागी तुमसे मन की लगन सुनने के बाद सम्मोहित कर गया था। पिछले एक दशक में वार्षिक संगीतमालाओं में नैणा ठग लेंगे, धागे तोड़ लाओ चाँदनी से नूर के,मैं जहाँ रहूँ तेरी याद साथ है,मन बावरा तुझे ढूँढता, मन के मत पे मत चलिओ, तू ना जाने आस पास है ख़ुदा, सुरीली अँखियों वाले, तेरे मस्त मस्त दो नैन, तोरे नैना बड़े दगाबाज़ रे, सज़दा, दिल तो बच्चा है जी जैसे बेमिसाल गीतों के माध्यम से वो छाए रहे हैं।
विछोह की भावना को प्रदर्शित करता फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो का ये
गीत गिटार और पियानो की मिश्रित प्रारंभिक धुन से शुरु होता है। ये धुन ऐसी
है कि इसकी खनक मिलते ही कानों के राडार एकदम से खड़े हो जाते हैं । इस धुन
को प्रीतम ने इस गीत की सिग्नेचर ट्यून की तरह जगह जगह इस्तेमाल किया है।
प्रीतम आरंभिक संगीत से गीत में रुचि जागृत करते हैं और फिर राहत की
आवाज़ गीत के अंत तक आपका ध्यान हटने नहीं देती। सच कहूँ तो इरशाद क़ामिल
के सहज शब्दों को राहत अपनी गायिकी से वो गहनता प्रदान करते हैं जो गीत को
सामान्य से उत्कृष्ट की श्रेणी में खड़ा कर देती है।
तो आइए सुनते हैं इस गीत को।
मेरे बिना तू, मेरे बिना तू
मेरे बिना ख़ुश रहे तू ज़माने में
कि आऊँ ना मैं याद भी अनजाने में
मेरे बिना तू...
भूल अब जाना गुज़रा ज़माना
कह तो रहे हो मुझको मगर
तस्वीरें ले लो, ख़त भी ले जाओ
लौटा दो मेरे शाम-ओ-सहर
जान जाए रे, जान जाए रे
जान जाए मेरी तुझको भुलाने में
कि आऊँ ना मैं याद भी अनजाने में
मेरे बिना तू...
तुझसे है वादा, है ये इरादा
अब ना मिलेंगे तुझसे कभी
दे जाओ मुझको सारे ही आँसू
ले जाओ मुझसे मेरी खुशी
मेरी खुशी तो, मेरी खुशी तो
मेरी खुशी आँसुओं को बहाने में
कि आऊँ ना मैं याद भी अनजाने में
मेरे बिना तू...
मेरे बिना ख़ुश रहे तू ज़माने में
कि आऊँ ना मैं याद भी अनजाने में
मेरे बिना तू...
भूल अब जाना गुज़रा ज़माना
कह तो रहे हो मुझको मगर
तस्वीरें ले लो, ख़त भी ले जाओ
लौटा दो मेरे शाम-ओ-सहर
जान जाए रे, जान जाए रे
जान जाए मेरी तुझको भुलाने में
कि आऊँ ना मैं याद भी अनजाने में
मेरे बिना तू...
तुझसे है वादा, है ये इरादा
अब ना मिलेंगे तुझसे कभी
दे जाओ मुझको सारे ही आँसू
ले जाओ मुझसे मेरी खुशी
मेरी खुशी तो, मेरी खुशी तो
मेरी खुशी आँसुओं को बहाने में
कि आऊँ ना मैं याद भी अनजाने में
मेरे बिना तू...
फिल्म में ये गीत राहत का गीत ना होके राहत और हर्षदीप कौर के युगल गीत के रूप में आया है। प्रीतम ने वहाँ संगीत संयोजन में कुछ प्रयोग करने की कोशिश की है पर मुझे युगल गीत से ज्यादा अकेले राहत का गाया वर्सन ही पसंद आता है। वैसे आपका इस गीत के बारे में क्या ख्याल है?
7 टिप्पणियाँ:
वाऽऽऽऽह ! इस फिल्म का ये गीत तो सुना ही नही था। अभी डॉउनलोड करती हूँ, दोबारा सुनने को.... बार बार !
a friend had shared the duet version, and we both loved harshdeep's verse in that one ... i may have heard the solo version but it got completely swept away by the duet after the reco :)
Suparna Harshdeep has only 45 seconds presence in that duet. Though she has sung her part well the main difference is in the Pritam's musical arrangement which I didn't like as compared to what solo version has to offer. So for me it's ''Rahat" all the way !
आह, प्यारे बोल, सुरीला स्वर
i will go back and listen to this one too .. speakers thapp as of now :/
waiting to see all that's lined up in your countdown this year!
wow...luvly song.Thanks for sharing manishji.
ये गीत कुछ ख़ास पसंद नहीं आया, न ही संगीत पक्ष से न ही गीत पक्ष से। इरशाद कामिल के लफ्ज़ थोड़ा कमज़ोर नज़र आते हैं जबकि इसी फ़िल्म में उन्हीं का लिखा एक और ख़ूबसूरत नग्मा है "मैं रंग शरबतों का …", उम्मीद है इससे आगे मुलाकात होगी।
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